Homeतिलिस्मी कहानियाँ37 – जादुई डायन | Jadui Dayan | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

37 – जादुई डायन | Jadui Dayan | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड में आप ने देखा कि चिंटू और पिंटू की परेशानी खत्म हो गई है। बाद में यह भी पता चला था कि उन के पिता ने कुछ गुनाह किए थे, जिस की सजा उन को मिल रही थी। वहीं करण के समझाने पर गांव वाले चिंटू के पिता को नहीं मारते हैं और उन्हें सजा का पालन करने को कहते हैं।

चिंटू के पिता- “ठीक है मुझे थोड़ा वक्त दीजिये, मैं आज ही यहां से चला जाऊंगा!!”

चिंटू (रोते हुए)- “पिता जी, ये तो बहुत गलत हो गया!”

चिंटू के पिता- “नही बेटा, दुखी मत हो, ये तो होना ही था!!’

पिंटू (रोते हुए)- “पिता जी हम आप को ऐसी सजा नही दिलवाना चाहते थे!! हमे माफ कर दीजिए!”

चिंटू के पिता- “मैंने गलत किया था, ये उसी का फल मिला है, अब मैं चलता हूं!!”

तो चिंटू के पिता सभी से अलविदा ले कर वहां से जंगल की तरफ निकल पड़ते हैं, उन्हें जाता देख चिंटू पिंटू रोने लगे जाते हैं !’

करण- “चिंटू पिंटू , अब तुम दोनों परेशान मत हो,, तुमको तो पता है ना कि गलती की सजा तो मिलती ही है!”

वधिराज- “हाँ, वैसे भी इस के अलावा कोई और उपाय सामने नहीं दिख रहा था!”

करमजीत- “तुम दोनों को श्राप से मुक्ति दिलवाने के लिए ये करना जरूरी था!!””

बुलबुल- “हां!! अब तुम दोनों का श्राप भी टूट जाएगा!”

और तभी अचानक चिंटू पिंटू की चारों तरफ हरे रंग का धुआं उठता है, औऱ जैसे ही धुंआ खत्म होता है, चिंटू पिंटू बड़े हो जाते हैं।

बुलबुल- “अरे वाह, देखो तो इन्हें!!”

लव- “ये तो कमाल हो गया!!

कुश- “अब तुम दोनों बौने नही रहे!!”

चिंटू पिंटू खुद को देख कर बहुत खुश हो जाते हैं और उछलने लगते हैं।

करमजीत- “देखा, टूट गया ना श्राप!!’

शुगर- “वाह, वाह, कितने अच्छे लग रहे हैं!”

टॉबी- “ये सब मेरे दोस्तों का कमाल है, उन्ही के कारण ये सम्भव हो पाया है!’

चिंटू- “हाँ सही कहते हो टॉबी!!’

पिंटू- “करमजीत, करण,,, आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया!! हम बहुत खुश हैं”

चिंटू- “आप ने हमारी बहुत सहायता की है, धन्यवाद!!”हम सच मे आप के बहुत आभारी है दोस्तों!”

करण- “कोई बात नही दोस्तों, हमे तुम्हारी सहायता कर के खुशी हुई!!’

चिड़िया- “करण अब हमें यहां से चलना होगा!! बहुत देर हो चुकी है!!”

करन- “हां राजकुमारी जी!!”

तो चिंटू पिंटू से अलविदा लेने के बाद वे लोग वहां से चले जाते हैं।

चलते-चलते उन्हें पूरा दिन बीत जाता हैं।

टॉबी- “करण, हमें कहीं पर रुक जाना चाहिए, बहुत ही ज्यादा थकान लग रही है!”

शुगर- “हाँ करण,, देखो टॉबी की क्या हालत हो गई है!”

चिड़िया- “तुम परेशान मत हो,, सब ठीक हो जाएगा!!”

करण- “हम कहीं पर रुकने का बंदोबस्त करते हैं,,, ठीक है ना टॉबी?”

लव- “वो सामने कोई गांव दिखाई पड़ रहा है, वहीं रुक जाएंगे!!”

बुलबुल- “फिर से ये कोई मायावी जगह ना हो बस, अभी हिम्मत नही है मुसीबत का सामना करने की!”

कुश- “हा हा हा, क्यों बुलबुल, तुम तो एक पल में अपने गुस्से से किसी को भी पत्थर बना दोगी!!’

करमजीत- “हा हा हा, सही कहते हो कुश!!”

थोड़ा और आगे चलने पर वो उस गांव में पहुंच जाते हैं।

चिड़िया- “देखो उस कुटिया के बाहर बड़ा सा पेड़ है, उसी के नीचे जा कर बैठ जाते हैं!!”

बुलबुल- “हां राजकुमारी जी!!’

वधिराज- “हां कुछ देर पेड़ की ठंडी छाया में बैठते है, फिर विश्राम कर के हम आगे को चलेंगे!”

शुगर- “हाँ, और कुछ खा भी लेंगे!”

तो सभी कुटिया के बाहर पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं।

लव- “लगता है इस कुटिया में कोई नही रहता!”

कुश- “हां इतनी पुरानी कुटिया में भला कौन रहता होगा!”

तभी कुटिया का दरवाजा खुलने की आवाज आती है।

टॉबी- “अरे देखो दरवाजा खुल रहा है!”

करण- “सब चौकन्ने हो जाओ!! ना जाने कौन है अंदर!!”

सभी जल्दी से खड़े हो जाते हैं और कुटिया में से एक साधारण सा दिखने वाला आदमी बाहर आता है।

रामू (आराम से)- “आप लोग कौन हैं और यहां कैसे!!”

करमजीत- “हम काफी दूर से आये हैं, यहां पेड़ के नीचे विश्राम के लिए बैठे थे!”

करण- “अगर आप को कोई एतराज ना हो तो हम कुछ देर और बैठ सकते हैं?? विश्राम के बाद हम यहां से चले जायेंगे!!”

रामु- “भला, मुझे क्यों एतराज होगा, और आप मेरे मेहमान है , मेरी आप से विनती है कि आप मेरी कुटिया के अंदर आ कर विश्राम कीजिये!!’

कर्मजीत- “आप का बहुत बहुत धन्यवाद!!”

बुलबुल (धीरे से)- “सावधान रहना दोस्तों, ये कोई कपटी राक्षस भी हो सकता है!!”

तो सभी लोग कुटिया के अंदर चले जाते हैं।

रामू- “दोस्तों, आप काफी परेशान लगते हैं, आप यहां पर जितने दिन चाहो,,,,उतने दिन रुक सकते हो!”

करमजीत- “नहीं नहीं,, हमें यहां पर ज्यादा दिन नहीं रुकना, बस आज ही रुकना है!”

करण- “हां फिर हमे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ना है!”

रामु- “अच्छा ठीक है, तो आप लोग बैठिए, मैं आप के लिए खाने का बंदोबस्त करता हूँ!!”

करमजीत- “बहुत-बहुत धन्यवाद आप का!”

लव- “शुक्र है कुछ खाने को मिलेगा!!”

टॉबी- “हां बहुत भूख लगी है!!”

तो इस के बाद रामू सभी के खाने पीने का सामान वहां पर ले आता है और सभी को भोजन करवा कर खुद भी आराम करने लगता है।

कुश- “मजा ही आ गया खाना खा कर!”

लव- “हां सच मे, बहुत स्वादिष्ट था!”

बुलबुल- “तो अब थोड़ा टहलने चलते हैं, बहुत पेट भर गया है!”

टॉबी- “हां मेरा भी!!”

शुगर- “तुम ने इतना सारा खाना जो खाया, पेट तो भरना ही था!”

करमजीत- “तो चलो, बाहर टहल कर आते हैं!!”

सभी बाहर खेलने कूदने लगते हैं और ये देख कर राजकुमारी अपना बचपन याद करने लगती है और रोने लगती है।

करण- “अरे राजकुमारी जी, क्या हुआ? आप रो क्यों रही है?”

चिड़िया- “करण वो मुझे अपने बचपन की याद आ रही थी कि मैं किस तरीके से अपनी सहेलियों के साथ खेला करती थी!”

करण- “अच्छा,,,, आप का बचपन काफी अच्छा रहा होगा!”

चिड़िया- “हाँ करण,,,!”

करण- “मैं आप के दुख को समझ सकता हूं,, परन्तु राजकुमारी जी आप चिंता मत करिए,, सब ठीक हो जाएगा!”

और इस के बाद सभी मित्र खूब मौज मस्ती करते हैं और रात में सब सोने चले जाते हैं।

उसी रात राजकुमारी चिड़िया को एक भयानक सपना आता है जिस के कारण उस की नींद खुल जाती है।

चिड़िया- “हे भगवान ये कैसा सपना था?”

और तभी चिड़िया को कुछ अजीब सी आवाज आती है और उस की नजर रामू की तरफ जाती है तो वो देखती है… कि एक चुड़ैल रामू के हाथ से उस का खून पी रही है।

चिड़िया (अपने मन मे)- “हे भगवान, ये तो चुड़ैल है, लेकिन अभी मैं किसी को उठा नही सकती, मुझे सुबह होने का इंतजार करना होगा!”

तो सुबह, सब उठ जाते हैं, लेकिन रामू अभी तक सो रहा था।

वधिराज- “क्या हुआ राजकुमारी जी, आज आप बहुत परेशान लग रही है?”

चिड़िया- “हाँ,, वो मुझे रामू से कुछ बात करनी है!”

बुलबुल- “रामू जी तो अभी तक उठे ही नही”

लव- “मैंने उन को हाथ लगा कर देखा था, उन का शरीर काफी गर्म है!”

कुश- “हां बीमार लग रहे हैं वो!”

करण- “हम उनके उठने का इंतजार करते हैं!”

चिड़िया- “नही करन, अभी उन्हें उठा कर बात करनी होगी!!’

तभी चिड़िया रामु के पास जाती है!”

चिड़िया- “रामू, उठो, उठ जाओ, मुझे कुछ जरूरी बात करनी है!!’

रामू की नींद खुल जाती है।

रामू- “हां बताइए….क्या बात है?”

चिड़िया- “क्या हुआ रामू तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है ना?”

रामु- “हां आज मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही, थोड़ा ताप लग रहा है!”

चिड़िया- “इस की वजह मैं जानती हूं,,

चिड़िया सभी को चुड़ैल वाली सारी बात बता देती है। यह सुन कर रामू बहुत डर जाता है।

रामू- “हाँ, हमारे गांव में 2 महीने से 10 लोगों की रहस्यमई तरीके से मौत हो गई है और उन की मौत का कुछ पता भी नहीं चल पाया,, कहीं ऐसा तो नहीं कि यह चुड़ैल ही उन सभी को मार रही हो!”

बुलबुल- “हाँ मुझे तो इन सब के पीछे वही लगती है,,,

रामू- “तो इस का मतलब है कि मेरी जान खतरे में है,, हे प्रभु अब मेरा क्या होगा?!”

लव- “दोस्त तुम डरो नहीं…. हम सब तुम्हारे साथ हैं,, हम सब तुम्हे कुछ भी नहीं होने देंगे!”

कुश- “हाँ..! मेरे दोस्त बहुत बहादुर हैं, पर वो चुड़ैल रहती कहाँ हैं!”

रामु- “यहां से थोड़ी दूर एक पेड़ है, सुना है वहीं रहती है

करण- “हमे अब कोई योजना बनानी होगी!”

करण और करमजीत मिल कर एक योजना बनाते हैं और अपने सभी साथियों को बताते हैं।

करमजीत- “तुम सब समझ गए ना क्या करना है??”

सब एक साथ (लव, कुश , टॉबी, शुगर, बुलबुल)- “हां समझ गए!

करण- “तो ठीक है, अब उस चुड़ैल को सबक सिखाएंगे!”

तो योजना के अनुसार सभी मित्र रामू के बताए हुए उस चुड़ैल वाले पेड़ के नीचे बैठ कर बातें करते हैं।

बुलबुल- “तुम्हें पता है, मुझे चुड़ैल से बहुत डर लगता है और कल मैंने एक चुड़ैल देखी,, जिस ने सफेद रंग का कपड़ा पहना था,,, और उस के हाथ में लाठी थी!,, वह तो मुझे जान से ही मारने वाली थी!”

लव- “हे भगवान अब तो मुझे भी बहुत डर लग रहा है,, कहीं वह चुड़ैल मुझे भी ना मिल जाए!”

करण- “मैने भी देखा था उस चुड़ैल को, सच मे बहुत भयानक थी!”

उस पेड़ पर बैठी हुई चुड़ैल यह सुन कर हैरान हो जाती है क्योंकि वह तो काले रंग का कपड़ा पहनती है और उस के हाथ में कोई लाठी भी नहीं है।

चुड़ैल (खुद से)- “अरे,,,,मेरे इलाके मे कौन है जो मुझ से बिना पूछे आ गया है,,,, और लोगों को डराने का काम कर रहा है, यह तो मेरा काम है”

कर्मजीत- “लगता है वह काफी ताकतवर है,, अब हम सब को बच कर चलना होगा,,,अच्छा बुलबुल वह कौन सी जगह है जहां पर तुम्हें वो चुड़ैल मिली थी?”

बुलबुल- “वो कुँए के पास जो पेड़ है ना उसी के पास,,, शाम के वक्त देखा था!”

चुड़ैल (खुद से)- “तो मुझे पता लगाना ही होगा कौन है!”

तो शाम होते ही चुड़ैल कुंए के पास उस पेड़ की तरफ पहुंच जाती है

चुड़ैल- “मै भी देखू जरा कौन है वो?,, अरे सामने आ,,,ओ चुड़ैल . सामने आ! मेरे रहते हुए तू यहां के लोगों को नहीं डरा सकती समझी ना!”

और तभी पेड़ से करण कूद कर नीचे आ जाता है।

करण- “अच्छा तो तुम हो जो गांव के लोगों को मार रही हो?”

चुड़ैल- “हां मैं ही हूं और तू कौन है?”

करण- “मै भी तुम्हारे जैसा ही हूँ,,आओ मुझसे लड़ो,,!”

और इतना कह कर करण अपनी जादुई शक्ति की मदद से एक जगह से दूसरी जगह पर चला जाता है।

चुड़ैल ये देख कर बहुत खुश होती है।

चुड़ैल- “अरे वाह, तुझसे लड़ने में तो मजा आएगा! हा हा हा!!”

चुड़ैल उस पर आक्रमण करती है लेकिन करन उस की पकड़ से बचता रहता है

चुड़ैल (गुस्से में)- “तुझे तो मैं जिंदा नहीं छोडूंगी अब !”

और चुड़ैल अपने जादू से वार पर वार करती रहती है , उसी दौरान करण के बाकी सभी साथी भगवान की मूर्तियां ले कर चुड़ैल को घेर लेते हैं।

चुड़ैल (चिल्ला कर)- “आ””आ~~~ दूर करो इन को!!”

कर्मजीत- “हरगिज नहीं!!”

और वह चुड़ैल जमीन पर सिर झुका कर बैठ जाती है और उन के नियंत्रण मे आ जाती है…

करमजीत- “जल्दी करो करण!!”

करन- “हां आ गया!!”

तभी करण जादुई रस्सी लाता है और चुड़ैल को बांध देता है।

रामू- “अब इस चुड़ैल को ले कर गांव वाले के पास चलते हैं!’

सब गांव में पहुंच जाते हैं और बुलबुल सारी सच्चाई गांव वालों को बता देती है।

पंचायत का एक बूढ़ा आदमी- “मैं अभी पंडित को बुला कर यहाँ पर पूजा करवा देता हूँ! वो इस चुड़ैल को कैद कर लेंगे!”

पंडित को बुला के उस चुड़ैल को एक डिब्बे मे कैद कर लिया जाता है।

उस के बाद सभी लोग करण और उसबके मित्रों को धन्यवाद कहते हैं।

रामु- “आप सब इतने महान है,,, और मैं तो धन्य हो गया जो आप मेरी कुटिया में आये

करण- “महान हम नहीं..महान तो आप हैं जिन्होंने हमारा इतनी प्रेम और सम्मान के साथ आदर सत्कार किया!”

गांव वाले भी उन की खूब तारीफ करते हैं और सब काफी खुश थे।

करण और उसके मित्रो की मनोरंजक कहानियो में अब आगे और क्या क्या होगा। देखने के लिए बने रहियेगा हमारे साथ।

FOLLOW US ON:
36 - जादुई
38 - जादुई