Homeतिलिस्मी कहानियाँ36 – जादुई बौने | Jadui Baune | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

36 – जादुई बौने | Jadui Baune | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि करण और उस के मित्रों ने उन जादूगरों का पर्दाफाश कर दिया है और राजा को उन के चंगुल से मुक्ति भी मिल गयी है। वहीं सारे सैनिकों को पता चल चुका था कि वो जादूगर उन्हें भड़का रहे थे। और बुलबुल को कहानी के अंत में एक स्त्री भी दिखाई देती है।

उन तीनों जादूगरों को बंदी बना लिया गया है और अब सभी राहत की सांस ले रहे हैं।

तभी बुलबुल कोने में बैठी हुई उसी स्त्री के बारे में सोच रही थी।

कुश- “क्या हुआ बुलबुल, क्या सोच रही हो?”

बुलबुल- “कुश आखिर वह स्त्री कौन हो सकती है?”

कुश- “यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा, ना जाने कौन है वो?”

बुलबुल- “हां और अचानक से वह गायब भी हो गयीं थीं,, मुझे तो लगता है कि वह कोई मायावी स्त्री थीं जो हम से कुछ कहने आई थी!”

कुश- “तुम चिंता मत करो हो सकता है कि वह दोबारा से तुम से मिलने आए,,, तो तुम उनसे पूछ लेना!”

बुलबुल- “हां तुम सही कहते हो,, अगली बार मैं उन से अवश्य पूछूंगी!”

दोनों लोग बातें ही कर रहे थे कि अचानक से कुश के ऊपर एक मकड़ी आ जाती है और वह काफी डर कर जोर जोर से चिल्लाने लगता है।

कुश- “आ~~~आ~~~! बचाओ… मकड़ी !!!”

बुलबुल (गुस्से में)- “सिर्फ एक मकड़ी ही है, तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगी,,, इसे तो मैं पकड़ कर दिखाती हूँ।”

कुश- “अच्छा दिखाओ तो!!”

तभी बुलबुल गुस्से में उस मकड़ी को हाथ में पकड़ लेती है और वह मकड़ी पत्थर की बन जाती है।

कुश (हैरान हो कर)- “अरे यह क्या बुलबुल , ये मकड़ी तो पत्थर की बन गयी है!”

बुलबुल- “हां पर यह पत्थर की कैसे बन गई!”

कुश- “मुझे तो लगता है कि यह कोई जादुई मकड़ी थी, तुम्हारे हाथ लगाते ही पत्थर की बन गई!”

बुलबुल- “हां हो सकता है किसी ने हमारे पास शैतानी करने के लिए ये मकड़ी भेजी हो , चलो चले!”

कुश- “रुको, जरा देख तो लूं इस मकड़ी को !!’

तभी कुश नीचे बैठ कर उस मकड़ी को देखने लग जाता है।

बुलबुल- “अब चलो ना कुश, कितनी देर हो गई!!”

कुश- “रुको ना, मैं ध्यान से देख रहा हूं इसे!”

बुलबुल थोड़ी देर और इंतजार करती है और तभी वह गुस्से में कुश को बुलाने के लिए उस के कंधे पर हाथ रखती है।

बुलबुल- “चलो ना कुश!!”

और तभी कुश भी पत्थर का बन जाता है ,, यह देख कर बुलबुल बहुत डर जाती है

बुलबुल (चिल्ला कर)- “हे भगवान, ये क्या हो गया!! करण, करमजीत, जल्दी आओ!!””

बुलबुल के चिल्लाते ही बाकी सभी लोगों तुरंत वहां आ जाते है।

लव- “मेरे भाई को क्या हो गया!!”

करन- “ये कैसे हुआ बुलबुल!!”

वधिराज- “ये कुश तो पत्थर का बन गया!!”

करमजीत- “क्या यहां कोई आया था बुलबुल!!”?”

बुलबुल (रोते हुए)- “नही , कोई भी नही आया!!”

सुनहरी चिड़िया- “तो आखिर यह कैसे हुआ?”

बुलबुल उन्हें सारी बात बता देती है और सब काफी हैरान थे।

बुलबुल (कुश के हाथ को पकड़ कर)- “यह देखो, बस मैंने ऐसे ही उस का हाथ पकड़ा और वह पत्थर में बदल गया!”

और इस के तुरंत बाद ही कुश वापस इंसानी रूप में आ जाता है।

करमजीत- “अरे ये क्या??”

चिड़िया- “लगता है बुलबुल के हाथों से ही हो रहा है यह सब!!”

करण- “कुश, तुम ठीक तो हो ना? तुम्हे कुछ याद है क्या हुआ था”

कुश- “हां मैं बिल्कुल ठीक हूं, मुझे याद है, बुलबुल के हाथ लगाने से मैं पत्थर का बन गया था!”

बुलबुल- “हां करण, मेरी वजह से यह सब हो रहा है, वो मकड़ी भी पत्थर की बन गयी थी!”

करण- “लगता है तुम्हारे हाथों में शक्ति आ गयी है बुलबुल!”

कुश- “बुलबुल!! कहीं ये उसी स्त्री का काम तो नही!!”

बुलबुल- “हां हो सकता है!!”

करमजीत- “कौन सी स्त्री!!”

तभी बुलबुल वो स्त्री वाली बात सभी को बता देती है

चिड़िया- “वह स्त्री जरूर सकारात्मक शक्ति का प्रतीक होगी। चिंता मत करो, ये तो अच्छा ही हुआ है!’

करण- “तो इस का तात्पर्य है कि बुलबुल को शक्ति मिल गयी है!”

करमजीत्- “हां और यह शक्ति बुलबुल को उसी स्त्री ने दी होगी, हो सकता है कि वह ईश्वर का भी रूप हो!”

टॉबी- “हाँ, बस अब सब लोग बुलबुल से बच कर रहना हा हा हा!! कोई इसे गुस्सा मत दिलाना, कहीं हम सब पत्थर के ना बन जाएं”

लव- “हा हा हा, सही कहते हो टॉबी!!”

और उस दिन वहाँ ठहरने के बाद अगले दिन सभी लोग अपने रास्ते पर वापस चल देते हैं।

रास्ते में उन्हें दो बौने आदमी फल बेचते हुए मिलते हैं , जिन का नाम है चिंटू और पिंटू।

शुगर- “इनके फल बहुत अच्छे लग रहे हैं, क्या हम इन से फल ले सकते हैं?”

करण- “हां हां क्यों नहीं?”

करमजीत (चिंटू से)- “तो भाई फल कितने के दिए?,,, जरा हमें आम और सेब दे दो”

दोनों भाई फल निकाल कर उन्हें दे देते हैं।

तभी अचानक से तेज तूफान आने लगता है!

बुलबुल- “बहुत तेज तूफान आ रहा है, करण, अब हम कहाँ जाएं!!”

वधिराज- “यहां तो छुपने की कोई जगह भी नही दिख रही!!”

चिंटू- “चिंता मत करो, हमारे साथ चलो!!”

तो वह दोनों भाई उन सभी को अपने घर ले चलते हैं। जहां उन दोनों के पिता जी भी होते हैं।

चिंटू और पिंटू के पिता- “बच्चों आप लोग आराम से भोजन करो और जब तूफान थम जाए, तभी यहां से जाना!”

सभी लोग बातचीत कर रहे थे लेकिन चिंटू बहुत उदास बैठा हुआ था।

करण- “क्या हुआ चिंटू!!”

चिंटू- “कुछ नही!!”

करमजीत- “बताओ चिंटू!!”

बहुत पूछने पर भी वह करण और बाकी किसी को कुछ नहीं बता रहा था!”

बुलबुल- “मेरे दोस्त बहुत बहादुर है, अगर तुम अपनी समस्या बताओगे तो ये उसे सही कर सकते हैं!”

कुश- “हां, ये कुछ भी कर सकते हैं!”

चिंटू (रोते हुए)- “क्या बताऊं दोस्त, आप को पता है?? हमारी पहले यह हालत नहीं थी। हमारी यह हालत तो 20 वर्ष के बाद हुई है,,, हमारे 21वें जन्मदिन में ही हम दोनों ऐसे हो गए,,, और हमारे ऐसे हो जाने के बाद हम से कोई विवाह भी नहीं करना चाहता!”

करण- “अच्छा, तो तुम मुझे पूरी बात बताओ, यह सब हुआ कैसे?”

चिंटू- “मित्र,,, हमें कुछ भी नहीं पता कि क्यों हुआ, कैसे हुआ!”

पिंटू- “अगर हमें कुछ पता होता तो हम जरूर प्रयास करते कि हम फिर से पहले जैसे ही बन जाए”

चिंटू- “हां मित्र..यह बस हमारा दुर्भाग्य ही समझ लो। लगता है हमें आजीवन ऐसा ही रहना पड़ेगा..

पिंटू- “हां, लगता है हमें किसी पुराने कर्मों की सजा मिल रही है!”

चिड़िया- “आप दोनों दुखी ना हो… हमें पता है कि अवश्य ही इन सभी परेशानियों का कोई ना कोई हल तो होगा!”

तभी बुलबुल देखती है कि जहां चिंटू और पिंटू बहुत दुखी हैं…वहीं दूसरी और उन के पिता कुछ बोल नहीं रहे हैं।

बुलबुल (धीरे से)-“देखो करण, इन के पिता जी चुप है, लगता है उन के मन में कोई गहरा राज छुपा हुआ है।

चिंटू के पिता- “चलो सब सो जाओ, रात हो गयी है!”

फिर चिंटू पिंटू सोने चले जाते हैं।

करमजीत- “करण, हमने उन की सारी समस्याओं को ध्यान से सुना है, लेकिन कुछ समझ नही आ रहा हैं!”

वधिराज- “आखिर इन सब चीजों के पीछे कौन हो सकता है।

करण- “कुछ सोचना पड़ेगा, अभी हमे सो जाना चाहिए!”

सब सो जाते हैं, पर करण को नींद नहीं आती। आधी रात में करण को दरवाजा खुलने की आवाज आती है

करण (खुद से)- “अरे इस वक्त दरवाजा किस ने खोला, मुझे देखना होगा!!”

करण चुपके से देखता है कि चिंटू के पिता जी घर से बाहर जा रहे हैं

करण (खुद से)- “ये इस वक्त कहाँ जा रहे हैं!”

करण छुप कर उन का पीछा करता है, वो एक पुराने कुएं के पास जा कर बैठ जाते हैं और कुंए के अंदर देखने लगते हैं।

चिंटू के पापा- “मुझे माफ करना अनुराधा, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया?,, मैंने जो गलती थी, उस के लिए मैं हर दिन रोता हूं और अपने बच्चों को ऐसे परेशान देख कर मुझे अपनी गलती का और भी आभास होता है!”

करण- “तो इस का मतलब यह है कि जरूर उन्होंने कुछ किया है,, और उसी गलती के कारण ही चिंटू और पिंटू का यह हाल है!”

चिंटू के पिता- “मुझे माफ कर दो,,,, अनुराधा मुझे माफ कर दो,, मेरे बच्चों को छोड़ दो। उन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? तुम्हें जो सजा देनी है मुझे दो.. तुम चाहो तो तुम मुझे यहीं पर खत्म कर दो परंतु उन्हें छोड़ दो!”

अचानक से कुंए के अंदर से एक औरत की आवाज निकलती है।

औरत की आवाज- “जब तक तू अपनी गलती पूरे गांव वालों के सामने नहीं मानेगा…तब तक मैं तेरे बेटों को ऐसे ही परेशान करती रहूंगी और तू अपने बच्चों के लिए बिल्कुल वैसे ही तड़पता रहेगा…जैसे मैं अपने बच्चे के लिए तङपी थी!”

इस के बाद चिंटू के पिता और भी जोर जोर से रोने लगते हैं!

चिंटू के पिता- “हे भगवान अब मैं क्या करूं?? अगर मैंने सारी सच्चाई दुनिया वालों के सामने बता दी तो वे लोग मुझे यहां रहने नहीं देंगे…. करूं तो करूं क्या?”

इतना कह कर वो वापस अपने कमरे में जा कर सो जाते हैं। और वहीं करण उपाय सोचने लगता है।

अगले दिन करन बिना समय गंवाए चिंटू के पिता से बात करता है।

करण- “आप ने अपने भूतकाल में जो भी किया था उसे सबके सामने कबूल करना होगा।”

चिंटू के पिता- “नही, नही, मैं नही बोल पाऊंगा!!’

करण- “तो फिर उस के लिए भी मेरे पास एक उपाय है!”

चिंटू के पिता- “पर वो क्या है!”

करण- “मेरे मित्र लव को किसी की भी आवाज निकालना बहुत अच्छे से आता है तो वह आप की आवाज में आप की सारी बात गांव वालों के सामने कबूल करेगा,,,!”

टॉबी- “लेकिन शक्ल तो वही रहेगी ना?”

करण- “इस के लिए भी मेरे पास एक उपाय है, लव तुम घर के अंदर ही रह कर यह सारी बातें कबूल करोगे,, ताकि अगर कोई गांव का व्यक्ति घर के अंदर घुस कर चिंटू के पिता को हानि पहुंचाने का भी प्रयास करता है, तो वह ऐसा नहीं कर पाएगा!”

लव- “ठीक है, मैं समझ गया!!”

थोड़ी देर बाद गांव वालों को इकट्ठा कर लिया जाता है।

लव (चिंटू के पिता की आवाज में)- “गांव वालों मुझ से बहुत बड़ी भूल हो गई है…मेरी पहली पत्नी अनुराधा,, जिस के बारे में मैंने कहा था कि वह मुझे छोड़ कर अपने बच्चे को ले कर कहीं भाग गई है , लेकिन ऐसा नहीं था बल्कि मैंने ही उसे गलती से मार दिया था!”

गांव वाले यह सुन कर बहुत हैरान हो जाते हैं।

गांव का एक बूढ़ा व्यक्ति- “परंतु तुम ने ऐसा क्यों किया?”

लव (आवाज बदल कर)- “गांव वालों!! समझने का प्रयास करो..मैंने यह जानबूझ कर नहीं किया,, दरअसल एक दिन जब वो अपने बच्चे को ले कर कुंए से पानी भरने के लिए गई थी तभी मैं भी वहां उस से कुछ बात करने के लिए गया। क्योंकि हमारे पहले बेटे के बारे में एक पंडित ने बताया था कि वह बोना रहेगा, बस समाज के डर से मैंने उसे कहा कि वह अपने बच्चे को कहीं छोड़ आए लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हो रही थी और इसी लड़ाई के बीच वह कुएं में गिर गई,, उस समय उस की आयु 21 वर्ष थी इसीलिए मेरे बच्चे 21 वर्ष की आयु में बोने हो गए।”

यह सारी बातें सुन कर चिंटू और पिंटू भी बहुत दुखी हो जाते हैं। गांव वाले चिंटू के पिता को लेने के लिए घर के अंदर आ जाते हैं, क्योंकि वह लोग काफी आक्रोश में थे।

करण- “देखिए गांव वालों, माना कि चिंटू के पिता ने बहुत गलत किया है,,, परंतु आप यह भी सोचिये कि उन्होंने इतने सालों तक अपने बच्चों का गम देखा है और अंदर ही अंदर घुटते रहे। हिंसा कर के कोई फायदा नहीं है , पर आप जो सजा देंगे, वो मानी जायेगी!!”

और बातचीत के बाद तय किया जाता है कि चिंटू के पिता को अब गांव के जंगलों में ही सादा जीवन व्यतीत करना होगा। और चिंटू के पिता रोते हुए यह बात मान लेते हैं।
करण और उसके मित्रो की मनोरंजक कहानियो में अब आगे और क्या क्या होगा। देखने के लिए बने रहियेगा हमारे साथ।

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