32 – राक्षस vs राक्षस | Rakshas vs Rakshas | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा कि किस तरीके से सभी मित्रों ने बड़ी चतुराई से एक अच्छा उपाय बना कर उस राक्षस का सामना किया और उसे हराने में कामयाब भी हो गए। वहीं बाद मे वह राक्षस सभी मित्रों के सामने अपने किए के लिए पछतावा करता है , अब देखते हैं कि क्या उसे माफी मिलेगी!
गांव का आदमी 1- “करण, इसे बचाने की मत सोचो। ये राक्षस है, इस पर भरोसा नहीं कर सकते!”
राक्षस- “नही नही, ऐसा मत कहिए!”
आदमी 2- “दुष्ट, अब क्यों रो रहा है, जब हमें तकलीफ देता था, तब कहाँ थे ये आंसू!”
औरत 1- “हां मरने दो इसे, ये इसी लायक है!”
राक्षस (रोते हुए)- “मुझे माफ़ कर दो, मुझे बहुत पछ्तावा है। मुझे बचा लो!”
चिड़िया- “करण, हमे इसे बचा लेना चाहिए!”
करण- “हां राजकुमारी जी, लेकिन अब इस राक्षस को कैसे बचाया जाये?”
गांव वाले- “नही नही! मत बचाओ इसे!”
करण- “उसे अपनी गलतियों पर पश्चाताप है, हम इसे ऐसे नही छोड़ सकते!”
तो करण अपनी बातों से सभी गांव वालों को उस राक्षस को बचाने के लिए मना लेता है
करमजीत- “राजकुमारी जी, हमे इसे बचाने के लिए जल्द ही कुछ करना होगा!”
सुनहरी चिड़िया- “हमें रानी कविता को बुलाना होगा?”
बुलबुल- “हाँ, राजकुमारी जी, आप सही कह रही हैं, आप जल्दी से उन्हें बुला लीजिए!”
और सुनहरी चिड़िया एक मंत्र पढ़ती है , जिस से कविता वहां पर आ जाती है। और चिड़िया सारी बात कविता को बता देती है।
कविता- “ठीक है मैं इस राक्षस को बचाने का प्रयास करती हूँ!”
करण- “पर आप क्या करने वाली हैं??”
कविता- “मुझे इस राक्षस के भीतर जाना होगा!”
बुलबुल- “लेकिन यह तो जानलेवा हो सकता है!”
कविता- “चिंता मत करो, मुझे कुछ नही होगा! प्रयास तो करना ही होगा”
तो कविता उस राक्षस के मुंह में प्रवेश करती है और उन सभी तलवारों और बारूद को उस के पेट से निकालने का प्रयास करती है परंतु कविता से यह कार्य नहीं हो पाता है।
तो वह बाहर आ जाती है।
कविता- “राजकुमारी यह कार्य मेरे बस का नहीं है..!”
चिड़िया- “अब क्या करें कविता!”
कविता- मुझे अपने राज्य के एक बालक मानक को यहां पर बुलाना पड़ेगा, उस के पास जादुई शक्ति है जिस से वह किसी भी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रख सकता है!”
चिड़िया- “ठीक है कविता तो उन्हें यहाँ जल्दी से बुलाओ,!”
वहीं दूसरी और राक्षस दर्द से कराह रहा है।
कविता- “हाँ राजकुमारी!”
तो कविता अपनी आंखें बंद करती है और कुछ मंत्र बोलती है जिस से वहां पर एक 19 साल का बालक आ जाता है जिस के पास जादुई शक्तियां थी।
कविता उसे सारी बात बता देती है।
कविता- “तो मानक, क्या तुम हमारी सहायता करोगे?”
मानक- “मैं आप की सारी परेशानी समझ गया हूँ, मैं आप की सहायता अवश्य करूंगा रानी कविता!
तो इस के बाद मानक उस राक्षस के पेट के अंदर जाता है और सभी बारूद और तलवारों को चुटकी बजा कर उस के पेट से बाहर निकाल देता है।
लव- “वाह • यह तो चमत्कार हो गया!”
कुश- “हां भाई लगता है यह बहुत ही शक्तिशाली है!”
तभी राक्षस उठता है और सभी को प्रणाम कर के अपनी गलती के लिए क्षमा मांगता है।
करमजीत- “तुमने जो किया, उन कर्मों को भूल जाओ परंतु भविष्य में कभी भी ऐसी गलती ना करना!”
राक्षस- “जी महाराज… आप जैसा कहें!”
शुगर- “करण, आप का यह उपाय तो बिल्कुल सही बैठा!”
टॉबी- “हां शुगर, मैंने कहा था ना कि तुम अब करण का कमाल देखना! देखा है ना कमाल!!”
शुगर- “हॉं बिल्कुल!”
करण- “माना कि उपाय मेरा था परंतु मानक और रानी कविता की सहायता के बिना यह संभव नही था, बहुत-बहुत धन्यवाद आप दोनों का!”
करण और बाकी मित्र भी उन का शुक्रिया अदा करते हैं। वहीं सभी गांव वाले बहुत खुश थे क्योंकि राक्षस वाली समस्या अब दूर हो चुकी थी। सारे गांव वासी भी करण और उस के मित्रों का शुक्रिया अदा करते हैं।
( थोड़ी देर बाद )
कविता- “करण, आप और आपके सभी मित्र बहुत ही कठिन मार्ग पर चल पड़ें हैं!”
करण- “हां रानी कविता, लेकिन हमें हर कीमत पर राजकुमारी जी की सहायता करनी ही है!”
करमजीत- “हां भले उस के लिए हमे कितनी ही कठिनाईयों का सामना क्यों ना करना पड़े!”
कविता- “हॉं, जानती हूं, इसलिए मैं चाहती हूं कि आप सभी की सहायता के लिए आप को मानक की शक्तियां दे दी जाए!”
करण- “लेकिन वो कैसे सम्भव है?”
कविता- “मेरे पास आओ, मैं दिखाती हूँ!”
तो कविता करण के हाथ को पकड़ती है और मानक के हाथ पर रख देती है। और कुछ मंत्र पढ़ने के बाद मानक की वो शक्ति करण के अंदर आ जाती है।
मानक- “जब आप की ये यात्रा सफलतापूर्वक पूरी हो जाएगी ….तब मेरी ये शक्ति मेरे पास वापस आ जाएगी!”
लव- “वाह! ये तो अद्भुत है!”
कुश- “अब तो करण और भी अच्छे से शत्रुओं का सामना कर पायेगा!”
करण- “बहुत-बहुत धन्यवाद आप का मानक!”
कविता- “अब हम दोनों चलते हैं। अलविदा दोस्तों !!”
तो इस के बाद कविता और मानक वहां से चले जाते हैं।
चिड़िया- “अब हम सभी को भी यहां से जाना चाहिए!”
करण- “हां राजकुमारी जी!”
रानू- “अच्छा वधिराज अब मैं भी यहां से जाती हूँ,!”
वधिराज- “लेकिन क्यों रानू!”
रानू- “मैं तो तुम्हें देखने के लिए आई थी परंतु मेरी वजह से तुम लोगों को और भी मुसीबत का सामना करना पड़ा , मुझे क्षमा करना!”
चिड़िया- “ऐसी कोई बात नहीं है रानू … आप का कोई भी इरादा बुरा नहीं था,!”
बुलबुल- “हॉं रानू जी, परंतु आप संभल कर रहिएगा क्योंकि इस मार्ग पर काफी खतरा है!”
रानू- “ठीक है बुलबुल,!”
और फिर रानू भी वहां से चली जाती है। गांव वासी अभी तक वहीं थे।
करण- “गांव वालों, अब हम सब को भी जाना होगा!”
करमजीत- “अगर कोई भूल हो गयी हो तो क्षमा करना!”
आदमी 1- “नही नही, ऐसा मत कहिये! आप सब की वजह से ही आज हम सब जिंदा है।
करण- “ठीक है, हमें आज्ञा दीजिये!”
औरत 1- “ठीक है बच्चों! हम सभी का आशीर्वाद आप सभी के ऊपर हमेशा बना रहेगा!”
तो वे लोग जैसे ही वहां से जाने लगते हैं कि तभी अचानक से वहाँ विशाल आकार का लाल रंग का भयंकर राक्षस रकतम आ जाता है।
गांव वाले चिल्लाने लगते हैं।
करण- “फिर से एक ओर राक्षस!!”
करमजीत- “ये यहाँ हो क्या रहा है। मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नही ले रही!”
बुलबुल- “देखो तो कितना भयानक है ये! तीन सींग हैं इस के!”
वधिराज- “पर! अब ये छिपकली जैसा राक्षस कौन है आखिर?…”
लव- “पता नहीं, कहीं इस को उसी राक्षस ने तो नहीं भेजा,… अपना बदला लेने के लिए?”
कुश- “हां हो भी सकता है!”
टॉबी- “हे भगवान, हमारी रक्षा करना!”
तभी राक्षस रकतम अपनी चुटकी बजाता है और वहां पर उस की सेना आ जाती है।
करण- “गाँव वालों, सब लोग दूर चले जाओ और आप सब घबराइएगा मत! हम आप को कुछ नही होने देंगे”
करमजीत- “दोस्तों, तैयार रहना! ये बहुत मुश्किल होने वाला है”
बुलबुल- “सभी तैयार हो जाओ!”
रकतम के सैनिक उन सभी की ओर बढ़ने लगते हैं और युद्ध शुरू हो जाता है।
बहुत ही घमासान युद्ध होता है. लेकिन करण के पास अब पहले से ज्यादा ताकत आ चुकी थी इसलिए वे सभी सैनिकों का सामना बड़ी बहादुरी और चतुराई से कर रहे थे।
और धीरे-धीरे एक-एक कर के वे लोग उस के सैनिक को मारते जा रहे थे।
तभी रकतम टॉबी को उठा लेता है।
रकतम- “तू इन सभी का बहुत प्यारा है ना…तो सब से पहले तुझे ही मौत के घाट उतार देता हूं! हा हा हा”
टॉबी- “दुष्ट पापी तू मुझे क्या मारेगा, तुझे नहीं पता कि अगर तूने ऐसा किया तो इस दुस्साहस का परिणाम तुझे भुगतना पड़ेगा जो कि अत्यंत बुरा होगा, छोड़ मुझे!”
रक्तम- “एक जानवर हो कर ऐसा साहस, वाह! अब तू नही बचेगा!”
टॉबी- “हां और फिर तू भी नही बचेगा!! आजमा कर देख ले”
रक्तम- “मेरे सामने अपने प्राणों की भीख मांगने के बजाय तू यहां पर बड़ी बड़ी बातें कर रहा है…..रुक जा तुझे अभी जमीन पर पटक कर मौत के घाट उतार देता हूं!”
टॉबी- “करण ! करमजीत!! मुझे बचाओ , मुझे बचाओ!”
वहीं करण और बाकी लोग तो राक्षसों को मारने में लगे हुए थे।
ऐसा लग रहा था जैसे कि अब टॉबी की जान खतरे में है।
तभी शुगर की नजर टॉबी पर जाती है और बहुत जोर से चिल्लाती है।
शुगर- “मेरी आवाज तो किसी तक नहीं पहुंच रही है। यहाँ बहुत भीड़ है और सभी लोग अपने प्राण की रक्षा करने में लगे हुए हैं। अब मैं क्या करूँ!”
तभी सुनहरी चिड़िया की नजर टॉबी पर पड़ जाती है।।
चिड़िया- “करण!! करण!! टॉबी को बचाओ, जल्दी!!!”
वहीं रकतम टॉबी को जोर से अपने हाथों से नीचे फेंक देता है।
टॉबी- “नहीईईईई….!”
शुगर- “नही~~~~~!!!
लेकिन तभी खुशकिस्मती से करण जल्दी से चुटकी बजाता है जिस से टॉबी नीचे गिरते वक्त गायब हो जाता है और आराम से जमीन पर पहुंच जाता है।
शुगर- “टॉबी!! तुम ठीक तो हो न!!”
टॉबी- “हां यह सब मानक की दी हुई शक्तियों के कारण हुआ, मैं बच गया शुगर!”
शुगर बहुत खुश होती और टॉबी को गले लगाती है,।
शुगर (रोते हुए)– “मुझे लगा मैंने तुम्हें खो दिया है। मैं बहुत डर गई थी!”
टॉबी (उस की आंखों को पोछते हुए)-“अरे शुगर तुम रोती क्यों हो और डरो मत! क्योंकि मेरे साथ मेरे इतने बलवान और बहादुर मित्र जो हैं, मुझे कभी कुछ नहीं होगा!”
करण- “रक्तम, तूने टॉबी को मारने की कोशिश की, ये तूने अच्छा नही किया।”
वहीं अब करण रकतम से युद्ध करने लग जाता है….लेकिन वही करमजीत यह देखता है कि जैसे-जैसे वे लोग रकतम के सैनिक को मारते जा रहे हैं वैसे जैसे उन की संख्या भी दुगनी होती जा रही है।
करमजीत- “ये सैनिक तो बढ़ते ही जा रहे हैं, यह कैसी माया है!”
बुलबुल- “करमजीत अब हम क्या करें?? हम सब कब तक लड़ते रहेंगे?”
लव– “हां बिल्कुल, अब क्या करें?? समझ नहीं आ रहा!”
कर्मजीत- “फिलहाल तो लड़ते रहो बस…जीत हमारी ही होगी ,हिम्मत मत हारना!”
कुश- “हा, हमें अपने साथ इन गांव वालों की भी रक्षा करनी है… नहीं तो यह राक्षस बेचारे इन मासूम गांव वालों को मार कर खा जाएगा,
बुलबुल- “हमारे होते हुए ऐसा नहीं हो सकता!”
वहीं अब सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण सभी लोग थकने लगते हैं।
करण- “ये कैसा मायावी राक्षस है, उस की सेना बढ़ती ही जा रही है!”
करमजीत- “हां करण, अब तो हम सब भी लड़ते लड़ते थक रहे हैं!”
बुलबुल- “क्या करें करन!”
वहीं दूसरी और रकतम उन गांव वालों में से करीब 10 लोगों को अपनी हथेली में रख लेता है।
और अपने मुंह में डालने वाला ही होता है कि तभी अचानक से वो राक्षस वहाँ आ जाता है, जिस की जान करण ने बचाई थी।
लव- “वो देखो, ये तो वही राक्षस है जिस की हम ने जान बचाई थी!”
कुश- “हां वो उस से लड़ रहा है
लव- “यह उस राक्षस से हमारी सहायता करने के लिए आया है!
और तभी वह राक्षस रक्तम का सिर धड़ से अलग कर देता है…
उस के मरने के साथ ही सारे सैनिक भी गायब हो जाते हैं।
राक्षस (दुखी हो कर)-“मुझे माफ करना… मेरे मित्र !”
वधिराज- “क्या हुआ मित्र???… तुम इस के लिए पछतावा क्यों कर रहे हो?”
राक्षस- “रक्तम मेरे बचपन का मित्र था, जब मैं अपने राज्य में वापस गया… तो वहां पर सभी को यहां की सारी बातें बतायी, तभी रकतम मेरे हार जाने पर बहुत क्रोधित हुआ और उस ने निर्णय लिया कि वो तुम सभी का खात्मा कर देगा…!”
बुलबुल- “तो वह बदला लेने आया था!”
राक्षस- “हां परन्तु मैंने इसे रोकने का बहुत प्रयास किया। उस ने मेरी बात नहीं मानी, और ना चाहते हुए भी मुझे यह करना पड़ा!”
तो अगले एपिसोड में हम देखंगे कारण और उसके दोस्तों की आगे की कहानी। तब तक के लिए बने रहिएगा हमारे साथ।