Homeतिलिस्मी कहानियाँ27 – घमंडी रानी | Ghamandi Rani | Tilismi Kahaniya

27 – घमंडी रानी | Ghamandi Rani | Tilismi Kahaniya

बुलबुल- ” करण! कर्मजीत! तुम ने मेरी जान बचाई है। बहुत-बहुत शुक्रिया!”

करण- ” अरे इस में शुक्रिया अदा करने की क्या आवश्यकता है।

कर्मजीत- “बिल्कुल! तुम तो हमारी मित्र हो,,,, और हर एक मित्र का फर्ज होता है कि वह अपने दूसरे मित्र की हमेशा सहायता करें!”

वधिराज- ” वाह करण! कर्मजीत! आप दोनों के विचार आप के चरित्र की तरह ही उत्तम है!”

बालक- ” आप लोगों को खुश होता हुआ देख कर हमें काफी प्रसन्नता हो रही है!”

बालक के माता पिता- ” हां बच्चों हमें भी!”

चिड़िया (उस प्राणी से)- ” हमारी सहायता के लिए सहमत होने के लिए आप का धन्यवाद!”

प्राणी- “इस में,, धन्यवाद कैसा??,,, बल्कि मैं ही घमंड में चूर हो गया था,,, धन्यवाद करमजीत जी का जिन्होंने मेरे जंगल को नुकसान होंने नहीं दिया!”

तभी वह प्राणी अपने ताज में लगे हुए मोती को करमजीत को दे देता है।

कर्मजीत- “परन्तु मैं इस मोती का क्या करूँगा!”

प्राणी- “मालिक,,,, मुझ पर दया करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया… मेरी तरफ से ये भेंट है… रख लीजिये!”

कर्मजीत- “शुक्रिया!”

प्राणी- ” आप के इस सफर में यह मोती बहुत ही सहायता देगा,,,इस मोती से आप अदृश्य हो सकते हैं। आप को कोई देख नहीं पायेगा!”

कुश- “वाह! जादुई मोती!”

प्राणी- “हां! अब मैं चलता हूँ!’

और फिर वह प्राणी वहां से गायब हो जाता है।
इस के बाद सभी लोग बालक के माता-पिता से आशीर्वाद लेते है

माता पिता- ” विजयी भवः। आप सब अपने लक्ष्य में कामयाब होंगे।!!!”

बालक- “अब चलो। मैं आप सब को हमारे राज्य में ले कर चलता हूँ!’

तो सभी लोग थोड़ी देर बाद……. वहां से बालक के राज्य में जाते हैं।

कुश- “आप का राज्य काफी बड़ा है और काफी सुंदर भी।”

बालक- “हां थोड़ा आगे जाते ही तितलियां आएंगी आप सब के स्वागत के लिए। डरियेगा मत!”

जैसे ही सभी लोग अंदर प्रवेश करते हैं वहां पर बहुत सारी खूबसूरत तितलियां आगे पीछे उड़ कर उन सभी का स्वागत करती हैं।

कुश- “वाह!!!!! कितना सुंदर है आप का महल!”

बालक- ” बहुत-बहुत शुक्रिया!”

टॉबी- ” मुझे तो बहुत भूख लग रही है… अब तो मै यहां पेट पूजा करूंगा हा हा हा!”

शुगर, ” अरे!!!.!..तुम भी ना टॉबी,,,, बहुत भुक्खड़ हो!”

लव- “हा हा हा। सही कहा शुगर!”

तभी लव देखता है उस के शरीर के घाव तेजी से ठीक हो रहे थे।

लव- “करण,,ये देखो, जो मुझे घाव लगे थे वह अपने आप ठीक हो रहे हैं,, लगता है हम सब में और भी शक्ति आ गई है!!

चिड़िया- ” हां लव ऐसा संभव है!”

बालक– “हां लव। अब सब महल में प्रवेश करते हैं और भोजन करते हैं।”

करण- “ये तो हमें बहुत मान सम्मान दे रहे हैं आप।!”

बालक- “यह मेरा कर्त्तव्य है मित्र!”

और भोजन के बाद सभी लोग इजाजत ले कर वहां से अलविदा कह कर चले जाते हैं।
थोड़ी ही दूर पहुंचने के बाद एक जंगल आता है।

कुश– “कितना अच्छा लग रहा था ना उस बालक के महल में!”

वधिराज- “हां और भोजन भी काफी स्वादिष्ट था!’

कर्मजीत- “रुको सब। मुझे कोई आवाज आ रही है।”

करण- “हां घोड़े के दौड़ने की। यहीं रुक जाओ सब। चौकन्ने रहना!’

कर्मजीत- “ये हमारी तरफ ही आ रहा है!’

तब वहां पर एक राजा घोड़े पर आ कर उन के सामने रुकता है।

करण- “सब तैयार रहो। ये दुश्मन भी हो सकता है।”

कर्मजीत- “हां करण।”

चिड़िया- “नहीं नही। रुको सब। मैं जानती हूं इन्हें!”

करण- “क्या??”

राजा- “लेकिन मैं आप को नही जानता।!’

चिड़िया- “आप कृष्णपुर नरेश उत्तम सिंह जी हैं। परन्तु, आप यहां पर क्या कर रहे हैं? ”

उत्तम सिंह (चौकते हुए)- “आप की आवाज तो राजकुमारी चंदा की तरह लगती है? ”

तभी चिड़िया उसे सारी बात बताती है। बात जान कर उत्तम सिंह काफी हैरान हो जाते हैं।

करण- ” परंतु महाराज! आप बताइए आप यहां पर क्या करने आए है? ”

उत्तम सिंह (उदासी से)- “क्या बताऊं?,,,, मैं बहुत बड़ी दुविधा में हूँ। इतनी धन-दौलत होने के बावजूद भी अपनी दादी मां की सहायता नहीं कर सकता,,,!”

कुश- ” अरे पर क्यों ! आखिर क्या हुआ है उन्हें? ”

उत्तम सिंह- ” दरअसल मेरी एक प्रेमिका थी मधु ,,,, मैं उस से बहुत प्रेम करता था परंतु किसी कारणवश उस से विवाह नहीं कर पाया और इसी कारण उस ने मुझे श्राप दिया कि मेरे दिल के जो सब से प्रिय होगा वो हमेशा दुख में जिएगा…।

कर्मजीत- “और आप की दादी मां आप को। सब से प्रिय है!”

राजा उत्तम- “हां ! तो उस ने श्राप दिया कि मेरी दादी मां की आंख की रोशनी रोजाना दिन ढलते ही खत्म हो जाएगी,,,, मैं बहुत परेशान हूं…मेरी सहायता करो!”

बुलबुल- ” परंतु आप को हमारे बारे में कैसे पता चला? ”

उत्तम सिंह- ” मेरी दादी मां के सपने में,,,, भोलेनाथ आए थे…उन्होंने बताया कि इस दिशा में इस दिवस पर दो बालक आएंगे जो मेरी दादी मां की सहायता करेंगे!”

करण और करमजीत ( हाथ जोड़ कर)- ” हे भोले बाबा! आप का करिश्मा बेमिसाल है!”

करण- ” तो चलिए राजा जी,,,, हम सब को आप के महल में ले चलिए।”

सभी लोग राजा के महल में पहुंचते हैं और उनकी दादी मां की हालत देख कर बहुत दुखी हो जाते हैं।
वहीं एक भानु नाम की दासी उन की सेवा में लगी थी।

राजा उत्तम- “आप सब कुछ देर तक विश्राम कीजिये। सफर काफी लंबा था!”

करण- “ठीक है। तब तक हम दादी माँ के लिए कुछ उपायों पर भी विचार करते हैं।”

चिड़िया- “यह कौन है, जो दादी माँ की सेवा कर रही हैं!”

राजा उत्तम- “यह भानु है। यही इन्हें संभालती है।”

चिड़िया- “अच्छा!”

और थोड़ी देर आराम करने के लिए एक जगह पर बैठ गए…सभी लोग इस परेशानी का उपाय ढूंढने का प्रयास करते हैं।

करण को एहसास होता है कि जो दासी (भानु ) दादी मां की सहायता करती थी,,,,उस के आव-भाव काफी संदिग्ध है।

करण- “हमें,,, भानु पर,,, नजर रखनी होगी।!”

चिड़िया- “हां करण। मुझे भी उस भानु पर सन्देह हो रहा है!”

लव- ” ठीक है, हम नजर रखेंगे!!”

वधिराज- “आज रात होने पर जब दादी माँ की आंखों की रोशनी जाएगी तो कुछ लोग उन के कक्ष में छुप जाना!”

कर्मजीत- “हां! तो रात में करन, लव, कुश और मैं दादी मां के कक्ष में जा कर पर्दों के पीछे छुप जाएंगे।

थोड़ी देर बाद भानु दादी मां को कक्ष में ले कर आती है…. फिर वे सभी देखते हैं कि भानु दादी मां को अनार के जूस में कुछ मिला कर दे रही है।

करण- ” रुक जाओ भानु.!”

तभी भानु डर जाती है और वहां से भागने की कोशिश करती है लेकिन उसे पकड़ लिया जाता है… शोर सुन कर उत्तम सिंह भी वहाँ आ जाते हैं।

और राजा को सारी बात बताई जाती है।

उत्तम सिंह- ” भानु हमें यकीन नहीं होता,,,, कि आप ऐसा कर सकती हैं!!!!,,, आप के पिता कई सालों से यहां पर काम कर रहे हैं,,, और आप ने तो उन का नाम ही खराब कर दिया.. आप ने मधु की सहायता की???”

भानु- “हां महाराज की थी!”

उत्तम सिंह- “तो कहाँ है वो अभी??!”

भानु- “नही बता सकती!”

उत्तम सिंह- “तो तुम्हे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी!”

भानु यह सुन कर बहुत रोती है और राजा के पूछने पर भी मधु का पता नहीं बताती……लेकिन अचानक से वह बहुत गुस्सा हो जाती है।

भानु- “बस कर उत्तम सिंह। वरना बहुत बुरा होगा!”

करण- “यह अचानक इसे क्या हो गया!”

उत्तम सिंह- ” सैनिकों! जल्दी से भानु को बंदी बना लिया जाए!”

सुनहरी चिड़िया- ” तो इस का तात्पर्य है कि,,, भानु ने ही यह सब किया है। तभी वह गुस्से में थी। ”

सभी लोग बात कर ही रहे थे कि दादी मां कक्ष से बाहर निकलती है…. वह काफी खुश थी।

दादी- ” मेरी आंखों की रोशनी आ गई बेटा!”

उत्तम सिंह अपनी दादी को गले से लगाते हैं और बहुत खुश होते हैं।

उन्हें लगा था कि सब कुछ ठीक हो गया है लेकिन उन्हें क्या पता था कि सच्चाई तो कुछ और ही है।

चिड़िया- ” तो ठीक है महाराज,, अब हम कल यहां से चलते हैं!”

उत्तम सिंह- “नहीं,,, राजकुमारी जी,,, आप हमारी बहुत ही खास मित्र है और आप सब ने हमारी इतनी सहायता की है…इसलिए आप को एक-दो दिन तो और रुकना होगा!”

चिड़िया- “लेकिन !!”

उत्तम सिंह- “मेरी विनती है। कल इस राज्य की होने वाली रानी यहां पर आने वाली है….उन का नाम है हेमलता…. इन सब परेशानियों के बीच में मैं तो आप को यह बताना ही भूल गया!

सुनहरी चिड़िया- ” बधाई हो महाराज,,,,

करण- “हमें आप के लिए बहुत ही खुशी हो रही है,, आप इतना कह रहे हैं तो हम जरूर रुकेंगे !”

उत्तम सिंह- “अब आप सब सो जाइये!”

चिड़िया- “ठीक है महाराज!”

राजा वहां से चला जाता है

करण- “क्या किसी को अभी भी संदेह हो रहा है??”

कर्मजीत- “हां पता नही क्यों, मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है!”

वधिराज- “हां करण। मुझे भी अनहोनी की आशंका हो रही है!’

चिड़िया- ” खैर सुबह होने दो। तभी पता लगेगा।”

बुलबुल- ” अभी हमे सोना चाहिए। कल महल में रानी हेमलता की आने की तैयारियां भी शुरू हो जाएगी।

करण- “ठीक है। सब सो जाओ।”

अगली सुबह, थोड़ी देर बाद रानी हेमलता अपने माता-पिता और कुछ दास दासियों के साथ महल में प्रवेश करतीं हैं.

( सभी लोग राज दरबार में बैठे हुए हैं। )

तभी अचानक से एक बेसुध हाथी दौड़ कर राज दरबार में आ जाता है और वो उत्तम सिंह की तरफ ही बढ़ता है।
यह देख कर उत्तम सिंह के होश उड़ जाते हैं और वह सुन्न पड़ जाता हैं।

हेमलता (चिल्ला कर)- “नहीईईईई!”

तभी वधिराज आ कर अपने हाथों से उस हाथी को रोक लेते हैं…

वधिराज- ” रानी हेमलता,,, हमें पता है कि यह सब आप ही कर रही हैं,,,, अब अपना यह नाटक बंद कर दीजिए!”

हेमलता- ” यह आप कैसी बकवास कर रहे हैं? आप को सजा मिलेगी इस दुस्साहस की। ”

तभी वधिराज एक मंत्र पढ़ने लगता है जिसे हेमलता पागल सी हो जाती है और अपने कान बंद कर लेती है।

हेमलता- “आह!!!!! चुप हो जाओ!”

बुलबुल- “देखो हेमलता कैसे कर रही है!’

लव- “”धीरे-धीरे उस का रूप बदल रहा है

कुश- “यह तो चुड़ैल में बदल रही है!”

कर्मजीत- ” उस के माता-पिता भी राक्षस में बदल रहे हैं।

शुगर- “यह सब क्या हो रहा है!’

कर्मजीत- “साथियों स्थिति खराब हो रही है। वो देखो, हेमलता के साथ जितने भी लोग आए थे सभी लोग राक्षस मे बदल रहे हैं।”

चिड़िया- “अब क्या होगा। इन की तो सेना बन गयी!”

हेमलता (गुस्से में)- ” ठीक है अब तुम्हें मेरी सच्चाई पता चल चुकी है,,,,,, तो यही सही,,,,, तुम सब मरने के लिए तैयार हो जाओ फिर…..मैं तुम लोग को आज ही यहीं पर मार डालूंगी,,,,, लेकिन सब से पहले मैं उत्तम सिंह को मारूंगी क्योंकि उस ने मुझे धोखा दिया है!”

उत्तम सिंह- ” मधु तुम ने ये अपना क्या हाल कर लिया है?? सिर्फ मुझ से बदला लेने के लिए यह सब किया? ”

हेमलता- ” धोखेबाज…मरने के लिए तैयार हो जा!”

उत्तम सिंह- ” तुम मुझे धोखेबाज मत कहो,,,, मत भूलो कि तुम ने होश खो कर किसी दूसरे व्यक्ति से प्रेम लीला रचाई थी!!

हेमलता गुस्सा हो जाती है और उसे मारने के लिए आगे बढ़ती है।
वहीं उस के राक्षस सैनिक भी करण और उस के मित्रों के पीछे पड़ जाते हैं।

करण- “सब हमले के लिए तैयार रहो। यह महल अब युद्ध क्षेत्र बनने वाला है!”

लव- “हाँ करण हम सब तैयार हैं।”

वधिराज- “हमला !! साथियों!’

करण और उसके सब साथी उन भूतिया सैनिको को मारने में व्यस्त हो जाते है।

बहुत ही घमासान युद्ध होने लगता है।

शुगर- “टॉबी! हम तो हार रहे है!”

टॉबी- “नही शुगर। डरो मत! देखो मैं क्या करता हूँ अब ”

तभी टॉबी हेमलता को रोकने के लिए उस के पैर में काट लेता है,,,, वहीं शुगर भी टॉबी की सहायता करती है…लेकिन हेमलता उन दोनों को दूर फेंक देती है….

उत्तम सिंह- “इस के सैनिक तो हमारे सैनिकों को मार गिरा रहे है। अब क्या करें!”

कर्मजीत- “शांत रहिये महाराज। हम नही हारेंगे!”

करण- “सम्भल कर महाराज। वह आप की तरफ आ रही है!”

तभी वधिराज उत्तम सिंह की सहायता करने के लिए आ जाता है।

( इस सीन में चुड़ैल उड़ रही है!)

लेकिन हेमलता अपने जादू से वधिराज के ऊपर बिजली की बरसात करने लगती है…. और जब वधिराज उस से बचता रहता है तो गुस्से मे अपने जादू से उसे रस्सी से बांध देती है।

तभी करण पीछे से आता है और उस की चोटी को काट देता है जिस से उस की शक्ति खत्म हो जाती है….वो हवाज़ से नीचे ज़मीन पर गिर जाती है।

( चुड़ैल नीचे लेटी हुई है और उत्तम सिंह उस के पास बैठ कर उसे देख रहा है!)

उत्तम सिंह- “यह तुम ने क्या किया!!”

तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे के उत्तम सिंह की प्रेमिका का ये हाल कैसे हुए और क्यों उसने उन सब पर हमला किया।

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