23 – जादुई परियाँ | Jadui Pariyan | Tilismi Kahaniya
घाव ठीक होने से राजा काफी खुश हो जाता है।
राजा (मुस्कुरा कर)- “आरा ओरु जोरों रो आरा आ आ!”
करण- ” राजा कह रहे हैं कि उन के पैर की चोट काफी पुरानी थी जिस पर कोई भी दवा असर नहीं कर रही थी लेकिन हम लोगों ने चमत्कार कर दिया!”
सुनहरी चिड़िया- ” हमें खुशी हुई कि आप ठीक हो गए!”
और करण अनुवाद कर के राजा को बताता है और उन लोगों में कुछ देरी तक वार्तालाप होती रहती है।
करण- ” राजा जी चाहते हैं कि हम लोग आज यहीं पर रुक कर इन के जशन में शामिल हो,,,, यह हमारे लिए छोटा सा जशन मनाना चाहते हैं!”
बुलबुल- ” हां हां क्यों नहीं! बहुत मजा आएगा!”
लव- “और फिर खाने को बहुत कुछ मिलेगा!”
कुश- “हां हां सही कहा भाई!”
शुगर- “हाँ दीदी!”
तो थोड़ी देर में शाम होती है और बेहतरीन जश्न मनाया जाता है. सभी लोग झूमते और नाचते हैं और कबीले वालों जैसा नृत्य भी करते हैं।
टॉबी- ” शुगर,,, कितना मजा आ रहा है ना?”
शुगर- “हाँ टॉबी!”
लव- “देखो तो कितने सारे पकवान भी है यहाँ!”
कुश- “चल भाई, हम तो पहले करेंगे पेट पूजा, फिर करेंगे, काम दूजा। हा हा हा!”
खाने पीने, और नाचने के बाद रात में सब लोग थक कर वहीं सो जाते हैं। अगले दिन सुबह, सब उठते हैं।
कर्मजीत- ” करण हम सब की तरफ से राजा जी को बहुत-बहुत शुक्रिया कह दो! उन्होंने हमारा बहुत सत्कार किया”
चिड़िया- “हां करण और अब हमें चलना होगा,, आप हमें यहां से जाने की इजाजत दें!!
तो करण राजा से उन की भाषा मे सब कह देता है।
और करण राजा को अलविदा कह कर अपने मित्रों के साथ वहां से चल पड़ता है।
वधिराज- ” अब हमें सोनापुर जाना होगा,, क्योंकि मेरे मालिक नें मुझे बताया था कि उस जादूगर का ठिकाना सोनापुर से बहुत आगे है…
बुलबुल- “तो फिर हम सब पहले सोनापुर ही चलते है, दोस्तों…!”
सुनहरी चिड़िया- “वैसे,, पहले भी मैं सोनापुर गई हूं, वहां पर मेरे कई मित्र भी रहते हैं!”
वधिराज- ” ठीक है राजकुमारी जी,,, आप हमें रास्ता दिखाइए!”
सुनहरी चिड़िया- ” वधिराज,,, मुझे लगता है आगे का रास्ता काफी मुश्किल होने वाला है”
वधिराज- “हाँ, राजकुमारी जी, लेकिन धैर्य रखिए,, सब कुछ अच्छे से हो जाएगा!”
तो उन्हें चलते-चलते शाम हो जाती है…. और थोड़ी देर बाद वे लोग एक बहुत ही चमकदार मायावी दुनिया में पहुंच जाते हैं।
कर्मजीत- ” वो देखो सब लोग, कितनी चमक दिखाई पड़ रही है सामने!”
बुलबुल- “यह किस की चमक है राजकुमारी जी?”
वधिराज- “वो सोनापुर की चमक है, दूर से ही दिखाई दे रही है।”
सुनहरी चिड़िया- ” हां अब तो बस आ गया सोनापुर!”
शुगर- ” वाह कितनी सुंदर चमक है, सच मे!”
और सभी लोग सोनापुर में प्रवेश करते हैं। वे लोग जैसे ही अंदर प्रवेश करते हैं एकदम आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
बुलबुल- “यहां तो बहुत सारी मायावी चीजें दिख रही है और देखो तो वो लोग…कितने सुंदर है ना!”
कर्मजीत- “हा हा हा, इतने छोटे लोग वो भी इतने चमकीले…!”
करण- “वाकई में, अदभुत नजारा है!”
लव- “हां यहां के लोग, कितने छोटे हैं और इन के तो पंख भी है, ये साधारण इंसान जैसे नहीं दिख रहे ।”
कुश- “राजकुमारी जी, ये तो आप के जितने छोटे इंसान हैं। इंसान और पक्षी का मेल है इन मे! ”
टॉबी- “ऐसे अदभुत इंसान तो मैने कभी नही देखे!”
कर्मजीत- “हां सही कहते हो!”
शुगर- “कहीं इन से हमे कोई खतरा तो नही होगा??”
सुनहरी चिड़िया- “नही नही, ये सब लोग बहुत अच्छे हैं। इन से डरने की आवश्यकता नही है दोस्तों!”
सुनहरी चिड़िया को देख कर सभी लोग काफी प्रसन्न हो जाते हैं और वो उन्हें गले से लगाती हैं लेकिन थोड़ी देर बाद वे लोग दुखी दिखाई देते हैं।
सुनहरी चिड़िया- “इन से मिलें सब लोग, ये यहां की रानी कविता है!”
बुलबुल- “लव कुश- “प्रणाम रानी जी!”
कविता- “आप सबका यहां स्वागत है!”
करण- ” लेकिन आप सभी इतनी दुखी क्यों दिखाई पड़ रहे हैं रानी जी ??”
रानी कविता- “क्या बताऊं,, सोनापुर को तो नजर लग गई है,,,!”
बुलबुल- ” लेकिन ऐसा क्यों? ”
कविता- ” दरअसल,,,, एक राक्षस है कापला,,,, जो बेहद खतरनाक है वो हर हफ्ते सोनापुर में आता है और यहाँ के 4 निवासियों को एक बार मे ही खा जाता है!”
सुनहरी चिड़िया- “क्या??????,,, हे प्रभु,,,, यह तो बहुत बड़ी बाधा है!”
वधिराज- ” लेकिन आप चिंता मत करो रानी जी,, सब ठीक हो जाएगा,, हम सब कोई उपाय सोचते हैं ,!!”
कुश- “हाँ रानी जी,, आप चिंता ना करें,,, ऐसे रोइये ना,,, हम आप सब की सहायता करेंगे!”
कर्मजीत- “हाँ,,, रानी जी… हम आप की सहायता करेंगे!”
करण- ” तो ठीक है रानी जी, अब हम उस राक्षस से लड़ेंगे…मुझे विश्वास है कि हम जीत जाएंगे!”
कविता- ” आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे मित्रों! वह राक्षस कल यहां आने वाला है, फिर से 4 निवासियों को मार कर खाने वाला है।
सोनापुर की एक वासी- ” सब बहुत डर में हैं। न जाने अब क्या होगा? कौन मारा जायेगा”
सुनहरी चिड़िया- ” जो होगा अच्छा ही होगा,, डरो मत बहन, ये सब हमारे साथ हैं!”
अगले दिन, सुबह के वक्त अचानक धरती में कम्पन होने लगती है।
बुलबुल- “ये क्या है, ये धरती हिल क्यों रही है।”
कविता रानी- “वो आ रहा है। ये राक्षस कापला के आने का संकेत है! ”
लव कुश- “लगता है बहुत बड़ा राक्षस है वो, तभी ऐसा हो रहा है !”
करण- “डरिये मत, हम हैं ना यहां! ”
तभी वह बड़ा सा राक्षस आता है , उस के बड़े-बड़े पैर थे और वह बहुत विशालकाय था।
करमजीत- ” सभी तैयार हो जाओ साथियों!”
कुश- ” हां करमजीत हम सब तैयार हैं!
सुनहरी चिड़िया- “टॉबी,,,, शुगर,,, तुम दोनों जाओ और करण के साथ रहो!”
टॉबी- ” ठीक है राजकुमारी जी!”
शुगर- ” जी राजकुमारी!”
राक्षस उनके और पास आ जाता है और जोर जोर से हंसने लगता है।
राक्षस (भयंकर आवाज में)- ” आज मैं फिर से अपनी पेट पूजा करूंगा…..हा हा हा हा,,, मरने के लिए तैयार हो जाओ सोनापुर वालों!”
और इसी बीच वधिराज भी अपना आकार काफी बड़ा कर लेता है…
वधिराज- ” हे!!!!अधर्मी पापी दुष्ट,,, तू इन मासूम लोगों की जान ले कर अपने आप को बहुत महान समझने की भूल कर बैठा है,,, अभी भी वक्त है , सुधर जा दुष्ट,,नहीं तो अंजाम बहुत ही खराब होगा!”
राक्षस कापला- “तू मुझे अहंकार दिखा रहा है,,मुझे हां.., अभी रुक तुझे सबक सिखाता हूं!”
और दोनों में घमासान लड़ाई होने लगती है.. दोनों एक दूसरे पर वार करते रहते हैं….
कविता- ” संभल कर वधिराज!”
बुलबुल- “देखो कापला हार रहा है!”
लव कुश- “वाह वधिराज, ओर मारो ओर मारो!”
वधिराज- “तू हार रहा है कापला, आज तेरा अंत मेरे हाथों ही होगा!”
और इसी बीच कापला मरने का नाटक करता है और गिर जाता है।
बुलबुल- “लगता है कापला मर गया है!”
वधिराज- “हां अभी देखता हूँ!”
करण- “मुझे नही लगता ये मरा है!”
वधिराज- ” इस की सांस देखता हूँ करण!”
तो वधिराज उस के पास जा कर उस की सांस को महसूस करने की कोशिश करता है लेकिन इसी बीच कापला जग जाता है और वधिराज के पैरों को पकड़ कर उसे जोर से नीचे गिरा देता है।
जिस से वधिराज वहीं बेहोश हो कर गिर जाता है।
करण- “ये तो कापला की चाल थी, वधिराज को फंसाने के लिए!’
कापला- ” तुम सोनापुर के निवासियों को क्या लगा कि तुम सब बच जाओगे???? चिंता मत करो मैं तुम सब को एक-एक कर के खत्म कर दूंगा हा हा हा हा!”
कर्मजीत- “करण अब हमें ही कुछ करना होगा!’
सोनापुर के निवासी बेहद डर जाते हैं।
करण- ” आप सब डरिये मत,,,हम कुछ करते हैं!”
करमजीत- “हाँ,करण चलो लड़ते हैं इस से,,,!”
और दोनों कापला राक्षस से लड़ने लगते हैं लेकिन उस का आकार काफी बड़ा था दोनों उस का सामना करते करते थक जाते हैं।… बुलबुल भी उस राक्षस पर वार करने की कोशिश करती है।
बुलबुल- ” यह काफी ताकतवर है करण,,,,अब क्या करें?,,!”
करण- ” कोई उपाय तो सोचना होगा! हमारे वार का इस पर कोई पर प्रभाव ही नही पड़ रहा!”
कर्मजीत- “हां करण, हम इस के सामने बहुत छोटे हैं।”
बुलबुल- ” अब कापला तो उन निवासियों की तरफ बढ़ रहा है। अब क्या होगा !’
तभी सुनहरी चिड़िया को एक उपाय सूझता है।
सुनहरी चिड़िया- “करण,,,, मुझे जल्दी से अपनी जादुइ अंगूठी दे दो,,,,!”
करण (अंगूठी दे कर)- ” ये लीजिये राजकुमारी जी , पर इस से क्या होगा,,,,!”
सुनहरी चिड़िया जादुई अंगूठी को अपने मुंह में पकड़ लेती है और कापला की तरफ बढ़ती है।
वहीं कापला सोनापुर के वासियों को खाने के लिए उन्हें अपने हाथों से उठा लेता है।
राक्षस (वासियों को हाथ मे लिए हुए)- ” तुम लोगों को देख कर लगता है कि तुम सब काफी स्वादिष्ट हो, हा हा हा हा!”
कविता- ” ए पापी रुक जा!!! ऐसा अधर्म ना कर! छोड़ दे इन मासूमों को। छोड़ दे”
कापला राक्षस (गुस्से में उसे आंख दिखा कर)- ” चुप कर जा बेवकूफ,, मुझे अपने भोजन का स्वाद और आनंद उठाने दे!”
और इतना कहने के बाद वह अपने हाथ में पकड़ी हुई उन छोटे छोटे वासियों को अपने मुंह में डालने ही लगता है कि तभी चिड़िया भी अंगूठी के साथ कापला के मुँह के अंदर चली जाती है।
और जल्दी से उस अंगूठी से सुरक्षा का आवरण उत्पन्न कर देती है जिस से कापला राक्षस का मुंह फट जाता है।
और सारे सोनापुर वासी बाहर निकल आते है।
सभी सुनहरी चिड़िया को गले लगा लेते हैं।
सभी वासी- ” राजकुमारी जी, आप का बहुत-बहुत धन्यवाद हमारी जान बचाने के लिए,,, अगर आज आप यहां ना होती तो ना जाने हमारा क्या होता,, हम तो जिंदा ही ना रहतीं!”
सुनहरी चिड़िया- ” इस में धन्यवाद किस बात का हम सब बहने हैं…. और एक बहन का फर्ज होता है कि वह अपनी दूसरी बहन की रक्षा करे… जो कि मैंने किया…बस !”
कविता- ” आप ने बिल्कुल सही कहा राजकुमारी!”
करण- “बहुत बहादुरी का कार्य किया आप ने राजकुमारी जी!”
कर्मजीत- “हॉं वाकई में!”
सुनहरी चिड़िया- “तुम दोनों के साथ रहने से मैं भी बहादुर हो गयी हूँ हा हा हा!”
वहीं दूसरी और सभी लोग सुनहरी चिड़िया के इस बहादुरी से काफी खुश थे।. तभी वधिराज भी होश में आ जाता है….
सभी को खुश देख कर शुगर और टॉबी खुशी से नाचने लगते हैं।
बुलबुल- ” चलो मैं भी तुम्हारा साथ देती हूं हा हा हा!”
कुछ सोनापुर वासी- ” तो चलो हम लोग भी नाचते हैं हा हा हाहा !”
और इस के बाद सब एक दूसरे का हाथ पकड़तीं हैं और गोला बना कर इधर-उधर घूमतीं हैं… जिस से उन के चारों ओर जादुई चमक पैदा हो जाती है.. जो कि देखने में बहुत खूबसूरत लगता है।
बुलबुल- “करण, कर्मजीत, तुम सब भी आओ ना!”
लव- “हां दोस्तों, बहुत मजा आ रहा है!”
शुगर- ” मैंने तो अपने पूरे जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं देखा!”
टॉबी- “हाँ,,, शुगर!”
तभी सोनापुर के वासी करण और कर्मजीत को भी खींच कर ले आते हैं और सब नाचने लगते हैं।
तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का मज़ेदार सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।