Homeतिलिस्मी कहानियाँ19 – जादुई नाग | Jadui Naag | Tilismi Kahaniya

19 – जादुई नाग | Jadui Naag | Tilismi Kahaniya

तो सभी लोग दरी पर बैठ कर वहां से निकल पड़ते हैं.

करण– “ये तो बस शुरुआत है। यही कहा था ना उस ने।”

कर्मजीत- “हाँ करण। ये किसी बड़ी मुसीबत का संकेत है।”

करण- “हमें जल्द से जल्द यह स्थान छोड़ना होगा।”

वधिराज- ” मुझे पता है कि जरूर वो स्त्री कोई ना कोई चाल चलेगी!”

सुनहरी चिड़िया- ” मुझे भी ऐसा ही लग रहा है!”

करण- ” लेकिन चिंता मत करो,, कोई ना कोई रास्ता तो निकाल ही जाएगा!”

कर्मजीत- ” हां करण तुम सही कह रहे हो!”

सभी लोग दरी पर बैठ जाते हैं और अपने रास्ते में आगे की तरफ बढ़ ही रहे थे कि तभी करण की नजर नीचे एक छोटे बालक पर जाती है, जो 8-10 साल का था।
वह जोर जोर से रो रहा था।
और एक सांप उस बच्चे के पास फन फैलाये बैठा था।

करण– “राजकुमारी अप्सरा !! जल्दी से दरी को नीचे कीजिए। वो देखिए वह बालक!! वह मुसीबत में है, हमें उस की मदद करनी होगी!”

राजकुमारी अप्सरा (बच्चे को देख कर)- “अरे,,, तुम सही कहते हो करण! हमें उस की मदद करनी होगी।”

चिड़िया- “लेकिन हम नहीं जानते!! हो सकता है यह भी कोई मायाजाल हो!”

बुलबुल- ” हां राजकुमारी जी! आप सही कहती हैं। अब तो हर चीज से भय रहने लगा है।”

करमजीत- ” हां मुझे भी यही लगता है। यह कोई मायाजाल है लेकिन हम उस बालक को ऐसे ही मुसीबत में नहीं छोड़ सकते।”

करण- ” बिल्कुल करमजीत!! क्या पता यह कोई मायाजाल ना हो और वह सच में ही मुसीबत में हो।”

चिड़िया- ” हां करण!! सही कहते हो तुम। हमें उस की मदद के लिए जाना चाहिए।”

तभी अप्सरा दरी को नीचे की तरफ ले जाने लगती है।

करण- ” बच्चे!! तुम घबराना मत! हम तुम्हारी मदद के लिए आये हैं।”

लेकिन बच्चा उस सांप को देख कर बहुत रोने लगता है।

करन (उस बच्चे से)- “घबराओ नहीं बेटा !! सब ठीक हो जाएगा। हम सब हैं तुम्हारे साथ!”

बच्चा (रोते हुए)- ” भैया मुझे बचा लीजिये।”

करमजीत- ” हां बेटा!! तुम घबराओ नहीं!”

बुलबुल- “ये सांप सामने फन फैलाए हुए बैठा है। ना जाने कब इस को काट ले। ”

लव कुश- “कहीं ये काट ना ले!!”

करन धीरे-धीरे एक रुमाल ले कर उस सांप की तरफ बढ़ता है, लेकिन सांप तुरंत ही उस बच्चे को काट लेता है।
वह बच्चा तड़प कर मरने लगता है।
वह सांप करण के दोस्तों के पास आने लगता है लेकिन करण छलांग लगा कर जल्दी से उस बच्चे के पास जाता है और उसे गोद में उठा लेता है।

करण- “बेटा!! उठो बेटा!”

और तभी करण के सभी दोस्तों की चिल्लाने की आवाज आती है।
करन जब पीछे मुड़ता है तो देखता है कि वह सांप एक रस्सी में बदल गया था और उस ने उस के सभी दोस्तों को जकड़ लिया है।
लेकिन करण अभी उस रस्सी की पकड़ से दूर था।

करण- “अरे ये सब कैसे हुआ????”

कर्मजीत- “वही जिस का हमे डर था। यह सब मायाजाल था और हम इस मे फंस गए।”

बुलबुल- “करण बचाओ हमे।”

वहीं दूसरी तरफ वह बच्चा भी दोबारा खड़ा हो जाता है और बहुत ही भारी भारी आवाज में हंसने लगता है।

वधिराज- ” लगता है यह उसी स्त्री की चाल है!”

बच्चा- “हाँ,,,बिल्कुल सही समझे तुम। मै उस का मुंह बोला भाई हूं,,, अब मैं तुम सब को बीच से चीर दूंगा,,,, हा हा हा हा!”

वधिराज- ” ऐसा करने की सोचना भी मत! वरना बहुत पछताओगे।”

और तभी वह बच्चा एक हट्टे कट्टे पुरुष मे बदल जाता है।

पुरुष (वधिराज से)- ” दिखने में तो तू काफी ताकतवर लगता है लेकिन यह मत भूल कि तू अभी मेरी माया जाल में फंसा हुआ है! और इस से निकलना आसान नहीं है”

वधिराज- ” अपनी ताकत का ज्यादा गुरुर मत करो,,, क्योंकि तू भी यह मत भूल कि मेरा मित्र करण अभी भी बाहर है, और तेरा सामना करने के लिए करें अकेला ही काफी है।

लव-कुश- “हां हाँ !!-हमारा दोस्त करण बहुत ही बलवान है,,!”

पुरुष (करण की तरफ देख कर खूब हंसता है)- “अरे!! ये बालक!! हा हा हा हा,,, यह मेरा क्या कर पाएगा?”

करण ( गुस्से से)- “याद रखना,, दूसरों का उपहास करने वालों के ऊपर तो एक दिन ये संसार हंसता है। माना कि तुम काफी ताकतवर हो, लेकिन इस का तात्पर्य यह नहीं है कि तुम दूसरों को कमजोर समझो!”

पुरुष- “अरे मुझे ज्ञान देने वाला तू कौन है? तुझे तो मै चींटी की तरह मसल दूंगा लड़के!”

करण- “ठीक है!! लेकिन तुम से युद्ध करने से पहले मैं तुम से विनम्र निवेदन करता हूं कि तुम बिना कोई युद्ध करें हम सभी को यहां से जाने दो, क्योंकि हम किसी खास कार्य के लिए जा रहे हैं!”

पुरुष- ” बिल्कुल भी नहीं जाने दूंगा! मर कर ही जाओगे तुम सब यहां से!”

करमजीत- “जाने दे हमें। नहीं तो तेरा हश्र बहुत बुरा होगा!”

पुरुष (गुस्से से)- ” अच्छा तो फिर देख लेते हैं किस का हश्र क्या होता है।”

बुलबुल- ” लगता है इसे अपनी जान प्यारी नहीं है! यह तो करण के हाथों मारा ही जाएगा !”

लव-कुश- ” हां बुलबुल!! आज इस का आखरी दिन है!”

अप्सरा- ” छोड़ दे दुष्ट! वरना पछताएगा!!’

इन सब की ऐसी बातें सुन कर वह पुरुष काफी गुस्सा हो जाता है

पुरुष- ” तुम सब कौन हो जो इस कमजोर बालक की प्रशंसा कर रहे हो? इसे तो मै चुटकियों में हरा दूंगा!”

करण- ” ठीक है अगर तुमने युद्ध को ही चुना है तो मैं भी युद्ध करने के लिए तैयार हूं! मैंने तुम से विनती करके देख ली और मेरे दोस्तों ने तुम्हें समझा कर भी देख लिया लेकिन शायद तुम्हें ऐसे नहीं समझ आएगा।

पुरुष- ” हां मुझे ऐसे नहीं समझ आएगा! मुझे युद्ध करना है!”

करण- ” हां मैं तैयार हूं!!”

और वह पुरुष यह बात सुन कर अपनी आंखें बंद करता है और तभी अचानक से एक तलवार उस के हाथ में अपने आप आ जाती है।

पुरुष- ” तो,,,आ जाओ,,, देखते हैं कौन कितना ताकतवर है!”

और उस के बाद दोनों में घमासान युद्ध शुरू हो जाता है।

लव- “हे ईश्वर! हमारे दोस्त करण की विजय करवा देना।”

बुलबुल- “चिंता मत करो। करण काफी वीर और समझदार है,,, और कभी किसी से भी नहीं डरता।”

अप्सरा- “हां और इस युद्ध मे उसी की जीत होगी।”

सुनहरी चिड़िया- ” हे ईश्वर!! करण की सहायता करना। बेचारा करण मेरे श्राप को तोड़ने के लिए कितनी परेशानियों से गुजर रहा है। मैंने तो बहुत दुख सहे,। परंतु आप करण को इन पीड़ा से बचाओ ईश्वर!”

टॉबी- “करन,,, सम्भल कर!”

बुलबुल- “हे भगवान,,,, करण की जीत हो!”

कुश- “ना जाने क्या होगा,,,, बहुत डर लग रहा है!”

और वही दूसरी तरफ करण हर संभव प्रयास कर रहा है कि वह उस पुरुष से जीत जाए लेकिन वह पुरुष भी काफी ताकतवर है और कहीं भी कमजोर नही पड़ रहा।

पुरुष (उस पर तलवार से हमला करते हुए)- ” ए!! बालक!! हार मान ले! क्यों मुझ जैसे ताकतवर व्यक्ति से तू भीड़ रहा है? मारा जाएगा”

करण (उस के वार को अपनी तलवार से रोकते हुए)- ” नहीं,,, मैं अपने मित्रों के लिए कुछ भी कर सकता हूं,,,,, और उन्हें बचाने के लिए मुझे तुम को हराना ही होगा!”

पुरुष- ” बड़ा ढीठ मनुष्य है तू,,,, लेकिन दिन में स्वपन देखना अच्छी बात नहीं!”

करण ( मुस्कुरा कर)- “स्वपन उसी के पूरे होते हैं जो स्वपन देखता है!,,, याद रखना”

पुरुष- ” तेरी जान खतरे में है और तू अभी भी मुस्कुरा रहा है!”

करण- ” क्योंकि हमें पता है कि जीत हमारी ही होगी!”

वह पुरुष काफी गुस्सा हो जाता है और भी जोर से उस पर वार करता है , जिस से करण के बाहिने हाथ में उस पुरुष की तलवार लग जाती है। और करण दूर जा कर गिर जाता है।

पुरुष (जोर से हंस कर)- ” तेरा अभिमान तो टूट गया होगा हा हा हा हा हा!”

करन- ” यह मेरा अभिमान नहीं,,, स्वाभिमान है!”

और इतना कह कर करन एक बड़े से वृक्ष को नीचे से पूरा जोर लगा कर अपनी जादुई तलवार से एक ही बार में काट देता है।

और वो बड़ा सा वृक्ष उस पुरुष के ऊपर गिर जाता है।

पुरुष- “आह आह आ आ हह!”

करण- ” आशा करता हूं कि अब तुम्हारा भी अभिमान चूर-चूर हो गया होगा!”

तभी करण अपने हाथों से उस रस्सी को खोलता है लेकिन वह रस्सी अपने आप बंध जाती है और खुलती ही नहीं।

करन- “यह रस्सी खुल क्यों नहीं रही।”

करमजीत- “मुझे तो लगता है यह रस्सी भी मायावी है।”

सुनहरी चिड़िया- ” करण तुम उस पुरूष की तलवार से इस रस्सी को काट कर देखो। शायद खुल जाए।”

करन- ” ठीक है राजकुमारी जी!”

और करण उस पुरुष की तलवार ले कर अपने दोस्तों की रस्सी को खोल देता है और उन्हें आजाद कर देता है।,, क्यूंकि वो रस्सी मायावी थी इसीलिए उस पुरुष की तलवार से ही वह रस्सी कटी।

और करण उस पुरुष की तलवार को करमजीत को दे देता है।

करमजीत- ” लेकिन इस पुरूष का क्या करें। इसे हमें ऐसे नहीं छोड़ना चाहिए!”

वधिराज- ” हां करमजीत तुम सही कहते हो,,, क्या पता कि यह हमारे रास्ते में फिर से अड़चन डाल दे,,, हमें इस का वध करना होगा!”

जब यह दोनों बातें कर रहे थे तो करण की नजर उस पुरुष की आंखों पर जाती है। उस पुरुष की आंखों में काफी भय था और आंसू भी।

करन (पुरुष की आंखों की ओर देखते हुए)- “वधिराज,, करमजीत,, मुझे इस की आंखों में पश्चाताप दिख रहा है!”

चिड़िया- “हाँ,,, करन,,, सही कहते हो। मुझे भी दिख रहा है!”

तभी वह पुरुष गिड़गिड़ा कर रोने लगता है।

पुरुष- “हाँ महाराज!! मुझे अपने किए का पश्चाताप हो गया है। कृपया मुझे छोड़ दीजिए!”

और करन के समझाने पर वधिराज और करमजीत मान जाते हैं।

तो दोस्तों तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि वाकई मे यह पुरुष सुधर चुका है या पुन: यह करण के इस सफर में कोई बाधायें उत्पन्न करेगा!!!??
जानने के लिए बने रहिये तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक.

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