Homeतिलिस्मी कहानियाँ13 – लाल दानव | Lal Danav | Tilismi Kahaniya

13 – लाल दानव | Lal Danav | Tilismi Kahaniya

करण: “अरे नहीं ये तो एक दानव है!”

टॉबी (चिलाते हुए): “करण! देखो इतने सारे चमगादड,,, ना जाने कहां से आ रहे हैं!!”

जयदेव (चिल्लाकर): “उस दानव के हाथ को देखो, देखो यह उसी के हाथों से निकल रहे हैं!”

करण: “जो भी वस्तु हाथ मे आये, उठा लो दोस्तों! अपना बचाव करो इन से।”

लव: “दोस्तों! यहां से कहीं और चलते हैं,, इन को संभालना काफी जटिल हो रहा है!”

कुश: “हाँ भाई! चलो”

विदुषी: “ये कैसे अजीब चमगादड़ हैं, ये तो गायब हो रहे हैं।”

टॉबी: “लगता है ये भी जादुई चमगादड़ हैं।”

दानव (भारी आवाज में ): “हाहाहा….. बच कर कहां जाओगे, तुम सब! ये चमगादड़ कभी खत्म नही होंगे।”

करण: “जयदेव अपनी बायीं ओर वो कपाट देखो,,, जल्दी से वो खोलो और उसके अंदर चलते हैं सब, तब तक मैं यहां संभालता हूं!”

अचानक से सुनहरी चिड़िया पर एक चमगादड़ हमला करने लगता है, वहां पर तुरंत विदुषी आती है और उस चमगादड़ को अपने हाथ से मार देती है।

विदुषी: “हम आपको कुछ भी नहीं होने देंगे राजकुमारी, आप ठीक तो है ना?”

सुनहरी चिड़िया (गहरी सांस लेते हुए): “हां विदुषी, मैं ठीक हूं बहुत-बहुत धन्यवाद!”

जयदेव (जोर से सभी को पुकारते हुए): “मित्रों जल्दी से चलो यहां से,,,, दरवाजा खुल गया है!”

सभी लोग जल्दी से उस दरवाजे से एक कमरे के अंदर चले जाते हैं और ज़ब अंदर जाते हैं तो देखते हैं कि वहां पर उस दानव ने बहुत सारे इंसानों को पारदर्शी डिब्बों के अंदर बंद करके रखा है!

सुनहरी चिड़िया (एक डिब्बे के पास जाती है ओर कहती): “अरे साथियों! यह देखो, हमें लगता है ये कोई परी है!”

विदुषी: “आखिर क्यों! इस दानव ने इतनी सुंदर परी को कैद किया होगा?”

टॉबी: “करण, वह दानव यहाँ आ रहा है। मुझे आभास हो रहा है!”

(तभी अचानक से वह दानव वहाँ प्रकट हो जाता है।)

कुश: “आखिर तुम हम लोगों से क्या चाहते हो?”

लव: “हमें यहां से जाने दो। आखिर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”

दानव: “हा हा हा…. मैं तुम लोगों को यहां से ऐसे ही जाने नहीं दे सकता, तुम यह जो अपने चारों तरफ इन लोगों को देख रहे हो ना, इन सब को मैंने ही बन्दी बनाया है। अब तुम्हारी भी यही दशा होगी।”

करण: “लेकिन इन के साथ ऐसा क्यों किया”

दानव: “उस रास्ते से जो कोई भी गुजरता है मैं उन लोगों को कैद कर लेता हूं और उन लोगों से वह कार्य करवाता हूं जो मेरा मन करता है और धीरे-धीरे एक एक करके सब को मार देता हूं।”

जयदेव: “लेकिन हम तुम्हारे रास्ते मे नही आये, बल्कि तुम हमारे रास्ते मे आये हो।”

दानव: “अच्छा! तो एक शर्त है अगर तुम लोगों में से कोई भी मुझे प्रसन्न करने में सफल हो गया तो मैं तुम लोगों को जिंदा जाने दूंगा!”

करण: “ठीक है, हमें शर्त मंजूर है!” … “लेकिन हमारी भी एक शर्त है!”

दानव: “ठीक है बताओ!”

करण: “शर्त ये है कि मैं आपको कहानी सुनाऊंगा। यदि आपको हमारी कहानी पसंद आई तो आपको हमारी एक इच्छा पूरी करनी होगी!”

दानव: “कोई भी शर्त मंजूर होगी, परंतु यहां से बाहर जाने की शर्त बिल्कुल नामंजूर होगी!”

करण: “अवश्य, आप जैसा कहें।”

जयदेव (करण से): “लेकिन तुम कैसे करोगे?”

करण (जयदेव स): “मैं कुछ सोचता हूं!”

तभी थोड़ी देर बाद करण उस दानव से कहता है: “ठीक है मैं आपको कहानी सुनाता हूं। वैसे मैं यह मानता हूं कि तुम एक अच्छे निर्णायक हो और आप अच्छे से निर्णय ले सकते हो कि इस कहानी में कौन सही है और किसके साथ गलत हुआ है।”

दानव: “ये बात तो तुमने बिल्कुल सही कही है, ठीक है मगर ध्यान रखना अगर मुझे तुम्हारी कहानी अच्छी ना लगी तो मै तुम्हें ओर तुम्हारे सारे मित्रों को इन सभी लोगों की तरह यहीं पर कैद कर दूंगा”

तो करण कहानी सुनाना शुरू करता है!
***** किसी गांव में हरिया नाम का एक गरीब किसान रहता था और उसके पास एक बकरी थी। बीते कुछ दिनों से उसकी फ़सल खराब हो रही थी इसीलिए उसके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। तभी उसे एक दिन यह विचार आता है कि उसे अपनी बकरी को खाना चाहिए उस समय नवरात्र चल रहे थे इसलिए वह उस बकरी को नहीं खाता है।

वह सोचता है कि वह अपनी बकरी को नवरात्रि के बाद पकाकर खाएगा। लेकिन उसकी बकरी को यह बात पता चल गई थी कि उसका मालिक अब उसकी जान लेने वाला जिसके कारण उसकी आंख में डर साफ दिखाई दे रहा था लेकिन हरिया तो उसको मारने का मन बना चुका था।

वहीं वह बकरी हरिया को बहुत प्रेम दिखाती थी, जब भी वह जंगल से लकड़ियां काटकर घर आता था तो वह बकरी अपने मालिक के पास जाकर उसे प्रेम से चाटने लगती। लेकिन तभी उसी समय उसके गांव में एक राक्षस लोगों को मारकर खा रहा था लेकिन हरिया को यह बात मालूम नहीं थी।

तो 1 दिन ऐसे ही हरिया ज़ब जंगल में लकड़ियां लेने के लिए गया हुआ था तभी उसके घर में वह राक्षस आ जाता है, उस समय उसे बहुत भूख लगी थी और वहां बस किसी शिकार की तलाश में शहर में आया हुआ था!”

दानव: “अरे तुम्हें कहानी क्यों बंद कर दी? आगे सुनाओ!”

करण: “तो तुम्हें ये अर्ध कहानी कैसी लगी?”

दानव (जोर जोर से हंसते हुए): “उत्तम! अति उत्तम,,,,, लेकिन अब कहानी सुनाना शुरू करो नहीं तो तुम दोनों की गर्दन यहीं पर काट दूंगा!”

जयदेव: “नहीं नही! मैं सुनाता हूं आगे की कहानी!”

दानव: “हा हा हा हा हा… सुनाओ!!!!!”

जयदेव: “तो जब वह राक्षस शिकार की तलाश में हरिया के घर में आता है तो देखता है कि वहां पर कोई भी मनुष्य नहीं है और थोड़ी देर बाद यहां वहां ढूंढने के पश्चात उसे वह बकरी वहां पर दिखाई देती है। बड़ा राक्षस उस बकरी को देखकर काफी प्रसन्न हो जाता है और उसकी गर्दन काट कर तुरंत ही उसका सारा रक्त पी जाता है, इसके बाद उसका आधा मांस खाकर वहीं पर उसके शव को छोड़ देता है। और जब हरिया घर आता है तो उसके होश उड़ जाते हैं!”

दानव: “और फिर!”

तो अगले एपिसोड में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या इस कहानी से उस दानव पर कोई असर पड़ेगा या वह भी अन्य राक्षसों की तरह करण और उसके मित्रों पर हमला करेगा?

FOLLOW US ON:
12 - जादुई
14 - जादुई