01 – जादुई दुनिया | Jadui Duniya | Tilismi Kahaniya
यह कहानी है 19वीं शताब्दी की, जो कि करण नामक एक लड़के पर आधारित है। जो काफी होनहार और समझदार बालक है। उसकी मां का नाम भानुमति है जो की कढ़ाई बुनाई करके थोड़े पैसे कमा लिया करती थी।
करण अभी हाल ही में 18 साल का हुआ था लेकिन उसे पहले से ही अपने घर की जिम्मेदारी मालूम थी। वह अपनी मां को इतना मेहनत करते हुए नहीं देख सकता था इसीलिए वह बहुत पहले से ही घर मे मिट्टी के घड़े बनाकर बेचा करता था।
उसे अपने इस काम पर काफी गर्व था और वह कोई कमी नहीं रखता था मेहनत करने में। जैसा उसका नाम था वैसा ही उसका काम भी था।
करण को तलवारबाजी का बहुत शौक था। वह जब 10 साल का था तब से वह अपने गांव के कुछ सैनिकों को तलवारबाजी करते हुए देखता था। उन सैनिकों को देख देख कर वह थोड़ी बहुत तलवारबाजी भी सीख गया था।
करण ने एक कुत्ता पाल रखा था जिसका नाम टॉबी था। टॉबी भी करण से बहुत ज्यादा प्यार करता था।
टॉबी को उसने खरीदा नहीं था बल्कि वह उसे कहीं पर बेहोशी के हालत मे मिला था।
जब करण उससे मिला था तो उसकी हालत बिल्कुल खराब थी। टॉबी को किसी ने बड़ी बेरहमी से मारा था और उसे ऐसे ही मरने के लिए छोड़ दिया था। करण से उसकी ऐसी हालत देखी ना गई और वह उसे अपने घर ले आया और तभी से वह उसे बहुत प्यार देता है।
करण की मां उससे बहुत ज्यादा प्यार करती थी वह अपने बेटे की छोटी से छोटी चीजों का भी ध्यान रखती थी। वह भले ही 18 साल का हो गया था लेकिन उसकी नजरों में तो वह अभी भी छोटा ही बच्चा था।
1 दिन भानुमति ने करण के लिए चावल की खीर बनाई थी। उसे खीर बहुत ज्यादा पसंद थी जब भी घर में खीर बनता था तो उसका चेहरा खुशी से खिल उठता था। उस समय करण घर के बाहर आंगन में घड़े बना रहा था। तभी उसकी मां उसे प्यार से खीर खाने के लिए बुलाती है।
भानुमति: “बेटा, बेटा करण जल्दी आ जा बेटा, देख मैंने तेरे लिए क्या बनाया है? तेरी पसंद की खीर बनाई है। चल अब बहुत काम कर लिया तूने, अब तू बहुत ज्यादा थक भी गया होगा। जल्दी से आ जा और खीर खा ले। नहीं तो ठंडी हो जाएगी।”
करण (आवाज देते हुए): “जी, माँ अभी आता हूं। बस थोड़ा सा काम बाकी है।”
करण अपना काम छोड़कर जल्दी से घर के अंदर जाता है और मां के हाथों की बनाई हुई की खीर खाने लगता है कि तभी वहां पर उसका दोस्त कुश आ जाता है। कुश काफी डरा हुआ लग रहा था। वह दौड़कर करण के घर आया था इसलिए वह जोर-जोर से सांस लेता है और हांफने लगता है।
कुश: “करण जल्दी चलो, एक आदमी आया था हमारे घर में। वह घड़े खरीदने के लिए हमारे घर में आया था उसने घड़े ले लिए और पैसे भी नहीं दिए और जब हमने उसे पैसे मांगे तो वह हम लोगों से लड़ने करने लगा। जल्दी चलो करण नहीं तो वह मेरे भाई को और भी मारेगा।”
करण: “अरे! तो तुमने उस का सामना क्यो नही किया। जयदेव को बुलाया या नही?”
कुश: “मैं जयदेव के घर में गया था लेकिन जयदेव अपने घर में नहीं था, वह किसी काम से दूसरे गांव गया हुआ है। तुम जल्दी चलो, वो आदमी बहुत देर से मेरे भाई को मार रहा है। मेरे भाई के मुंह से खून भी निकलने लगा है तुम जल्दी चलो और मेरी मदद करो।”
करण (गुस्से में): “अच्छा चलो, जल्दी चलो। मैं भी तो देखूं कौन है वह दुस्साहस दिखाने वाला।”
लव और कुश दो जुड़वा भाई थे और उसकी माता पिता भी घड़े बनाकर बेचा करते थे। वह करण के पास इसीलिए आया था क्योंकि वह जानता था कि पूरे गांव में सिर्फ करण ही ऐसा लड़का है जो उसकी मदद करेगा। और करण उसकी मदद करता भी क्यों ना, वह उसका बचपन का दोस्त जो था।
करण की माँ: “तो बिना खीर खाए ही उसकी मदद करने के लिए जा रहे हो। खा कर चले जाना।”
करण: “आ कर खा लूंगा मां।”
करण की माँ: “लेकिन मुझे तेरा ऐसे लड़ाई झगड़ा करना अच्छा नहीं लगता था लेकिन अब मना भी नहीं कर सकती, क्योंकि बात उसके बचपन के दोस्त की है।”
जब वह लव के घर पहुंचता है तो वह देखता है कि उस आदमी ने लव और कुश के घर में पूरी तबाही मचा रखी है और बेचारों का कितना सामान बर्बाद कर दिया है।
उस आदमी ने लगभग उनके आधे घड़े तोड़ दिए थे। लव के मां-बाप तो बेचारे कोने में बैठ कर रो रहे थे। और वहां आदमी कुश को पीटे जा रहा था।
वैसे करण किसी से भी लड़ने से नहीं डरता था और जब बात अपने दोस्तों पर आती थी तो वह बिल्कुल भी पीछे नहीं हटता था। वह तो अपने दोस्तों के लिए जान भी देने के लिए हमेशा तैयार रहता था।
वहां पर करण की बचपन की दोस्त विदुषी भी खड़ी थी। करण को देखते ही वह खुश हो जाती है और उसे अब लगता है कि वह उस आदमी को मारकर हरा देगा।
करण (गुस्से में): “छोड़ दे मेरे दोस्त लव को। बहुत हो गया तुम्हारा, अब यहां से चले जाओ! नहीं तो अंजाम बुरा होगा।”
वह आदमी (करण को देखकर हंसने लगता है और हंसते-हंसते बोलता है): “अरे देखो तो गांव वालों!.. कौन आया है! एक बच्चा आया है मुझ जैसे हट्टे कट्टे जवान से लड़ने… हा हा हा हा… मैं कहता हूं अभी यहां से निकल जा, नहीं तो तेरी हड्डी पसली एक कर दूंगा, बड़ा चला है बचाने हा हा हा हा।”
आदमी काफी हट्टा कट्टा और मोटा था जिसकी उम्र लगभग 35 साल लग रही थी। वह काफी भयानक सा दिख रहा था। बड़ा आदमी सिर्फ लव के परिवार को ही नहीं परेशान कर रहा था बल्कि इससे पहले भी वह गांव के कई परिवार को परेशान कर चुका है। वह अपने ताकत का फायदा उठाता था और लोगों के घर से सामान लेकर चला जाता था वो भी बिना पैसे दिए। उस भयानक आदमी को देखकर तो ऐसा लग रहा था जैसे कि वह करण को घायल ही कर देगा। अब देखना यह था कि जीत किसकी होती है।
करण (गुस्से में): “अच्छा तो तुझे बहुत घमंड है अपने शरीर का, अगर मैंने भी तुझे धूल न चटा दी ना, तो मेरा नाम भी करण नहीं! तूने मेरे दोस्तों को परेशान करके अच्छा नहीं किया है।”
अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि क्या करण उस कट्टे कट्टे आदमी को हरा पाएगा?