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जब तीसरे गुरु, गुरु अमर दास जी ने अपना उत्तराधिकारी चुनने का मन बनाया तो उनके शिष्यों में से बहुत से ऐसे थे जिन्हें विश्वास था कि शायद गुरु साहिब उन पर दया करके उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दें|

सत्ता और बलवंड नामक दो पाठी थे| वे गुरु अर्जुन साहिब के दरबार में कीर्तन किया करते थे| उन्हें भ्रम हो गया कि उनके कीर्तन के कारण ही इतनी संगत जुड़ती है|

रूस का बादशाह पीटर अपने देश की उन्नति के लिए बहुत उत्सुक था| इसी कारण वह बहुत समय तक यूरोप के देशों में रहा ताकि वह उन देशों की उन्नति के अनुरूप रूस को भी आगे की ओर ले जा सके|