सूबेदार और गुरु
एक बार गुरु तेग़ बहादुर साहिब आगरा जाते हुए रास्ते में एक तम्बू में ठहरे हुए थे तो मुग़ल बादशाह का एक अहलकार गुरु साहिब से मिलने के लिए आया|
एक बार गुरु तेग़ बहादुर साहिब आगरा जाते हुए रास्ते में एक तम्बू में ठहरे हुए थे तो मुग़ल बादशाह का एक अहलकार गुरु साहिब से मिलने के लिए आया|
जब तीसरे गुरु, गुरु अमर दास जी ने अपना उत्तराधिकारी चुनने का मन बनाया तो उनके शिष्यों में से बहुत से ऐसे थे जिन्हें विश्वास था कि शायद गुरु साहिब उन पर दया करके उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दें|
सत्ता और बलवंड नामक दो पाठी थे| वे गुरु अर्जुन साहिब के दरबार में कीर्तन किया करते थे| उन्हें भ्रम हो गया कि उनके कीर्तन के कारण ही इतनी संगत जुड़ती है|
एक बार का ज़िक्र है, एक महात्मा ने कुछ भजन-बन्दगी की| एक दिन भजन-बन्दगी के बाद उसने घोषणा की कि जो मेरे दर्शन करेगा वह सीधा स्वर्ग जायेगा|
जिस वक़्त गुरु हरकिशन जी चोला छोड़ने लगे तो उनके शिष्यों ने पूछा कि अब हमें कौन उपदेश देगा? आपने उत्तर दिया कि वह बाबा बकाला गाँव में मिलेगा|
रूस का बादशाह पीटर अपने देश की उन्नति के लिए बहुत उत्सुक था| इसी कारण वह बहुत समय तक यूरोप के देशों में रहा ताकि वह उन देशों की उन्नति के अनुरूप रूस को भी आगे की ओर ले जा सके|
हज़रत अब्दुल क़ादिर जीलानी फ़ारस देश के बहुत कमाई वाले महात्मा थे| मुसलमानों में फ़क़ीरों के दर्जे होते हैं – क़ुतुब गौस आदि|
कहा जाता है कि शेख़ फ़रीद का एक शिष्य बहुत नेक-पाक था| जब वह बाज़ार जाता तो एक वेश्या उसका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए उससे मज़ाक़ किया करती|
‘अनलहक़’ जिस का अर्थ है कि मैं ख़ुदा हूँ, कहने पर हज़रत मंसूर को बग़दाद में सूली पर चढ़ाने की सज़ा सुनायी गयी|
एक बुढ़िया थी| उसकी एक जवान लड़की थी| इत्तफ़ाक से वह लड़की सख़्त बीमार हो गयी| बहुत इलाज करवाया लेकिन फ़ायदा न हुआ|