(1) माँ का हृदय ममता की भाषा मानता है
माँ की ममता तथा करूणा से भरी बचपन की एक बड़ी ही मार्मिक कहानी मुझे याद आ रही है – सांसारिक स्वार्थ में डूबा एक व्यक्ति अपनी बूढ़ी माँ का दिल निकालने के लिए हाथ में छुरी लेकर गया और माँ को मारकर उसका दिल हाथ में लेकर खुशी-खुशी चला। रास्ते में उसे जोर की ठोकर लगी वह गिर पड़ा। छिटककर हाथ से गिरा माँ का कलेजा बेटे की तकलीफ से तड़प गया। माँ के दिल से आह निकली मेरे प्यारे बेटे चोट तो नहीं आयी। माँ तो सदैव अपने बच्चों पर जीवन की सारी पूँजी लुटाने के लिए लालयित रहती है। मोहम्मद साहब ने कहा था कि अगर धरती पर कहीं जन्नत है तो वह माँ के कदमों में है।