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यह उनके जन्म के समय में उल्लेख किया गया था कि उनके पास एक बेदाग सुनहरा चमकदार शरीर था और उनके माथे पर एक ‘यू’ आकार का लाल रेखा तिलक स्पष्ट रूप से देखा गया था।

विश्व की साहसी महिलायें हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं। कुछ ऐसी बहादुर तथा विश्वास से भरी बेटियों से रूबरू होते हैं, जिन्होंने समाज में बदलाव और महिला सम्मान के लिए सराहनीय तथा अनुकरणीय मिसाल पेश की है। देश में डीजल इंजन ट्रेन चलाने वाली पहली महिला मुमताज काजी हो या पश्चिम बंगाल में बाल और महिला तस्करी के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनोयारा खातून। ऐसी कई आम महिलाएं हैं जो भले ही बहुत लोकप्रिय न हो लेकिन उन्हें इस साल नारी शक्ति पुरस्कार के लिए चुना गया। राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को 30 महिलाओं को पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाने वालों में नागालैण्ड की महिला पत्रकार बानो हारालू भी शामिल है जो नागालैण्ड में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है। उत्तराखण्ड की दिव्या रावत ग्रामीणों के साथ मशरूम की खेती को विकसित करने की भूमिका निभा रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस में कांस्टेबल स्मिता तांडी ने 2015 में जीवनदीप समूह बनाया जो गरीबों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आर्थिक मदद करता है।

(1) क्या ‘असाधारण’ व्यक्तियों तथा ‘साधारण व्यक्तियों’ के द्वारा आत्मा के विकास में कोई फर्क है? हाँ!

(अ) समाज में कुछ ‘असाधारण’ तथा बिरले लोग ही’ ऋषि-मुनियों तथा महापुरूषों के रूप में विकसित हुए हैं जिन्होंने अपनी आत्मा के विकास के लिए कोई ‘नौकरी या व्यवसाय’ नहीं किया। इन महापुरूषों ने पर्वतों, कन्धराओं, गुफाओं तथा घास-फूस की झोपड़ियों या साधारण परिस्थितियांे में रहकर तथा समाज में अत्यन्त सादा एवं सरल जीवन जीकर और व्यापक ‘समाज के लिए उपयोगी बनकर’ समाज की महत्ती सेवा की और इस प्रकार अपनी आत्मा का विकास किया।

थामस एल्वा एडिसन प्राइमरी स्कूल मे पढ़ते थे। एक दिन घर आए और मां को एक कागज देकर कहा, टीचर ने दिया है। उस कागज को पढ़कर माँ की आँखों में आंसू आ गए। एडिसन ने पूछा क्या लिखा है? आँसू पोंछकर माँ ने कहा- इसमें लिखा है- ‘‘आपका बच्चा जीनियस है। हमारा स्कूल छोटे स्तर का है और शिक्षक बहुत प्रशिक्षित नहीं हैं, इसे आप स्वयं शिक्षा दें। कई वर्षों बाद माँ गुजर गई। तब तक एडिसन प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन चुके थे। एक दिन एडिसन को अलमारी के कोने में एक कागज का टुकड़ा मिला। उन्होंने उत्सुकतावश उसे खोलकर पढ़ा। ये वही कागज था, जिसमें लिखा था- आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर कमजोर है, उसे अब स्कूल न भेजें। एडिसन घंटों रोते रहे, फिर अपनी डायरी में लिखा- एक महान माँ ने बौद्धिक तौर पर कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया। 

निविदा उम्र में कठिन जीवन ने उसके मन, शरीर और आत्मा के भीतर आध्यात्मिकता के विचारों को एन्क्रिप्ट किया। कठिन तपस्या, आध्यात्मिक प्रथाओं और सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति समर्पण के बाद, उसे “ओम” की शक्ति प्राप्त हुई।

सरकार के 500 और 1000 रूपये के नोटबंदी के फैसले को लेकर देश भर में बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतारें लग गई हैं। कही रोष है तो कई इस फैसले के साथ नजर आ रहे है। इस बीच इंडिया के विस्फोटक बल्लेबाज रहे वीरेंद्र सहवाग ने लोगों को संदेश दिया है ‘‘शहीद हनुमनथप्पा ने 6 दिन, -45 डिग्री सेल्सियस बर्फ के अंदर 35 फीट दबे रहने के बाद भी बचाए जाने की उम्मीद में काट दिए। निश्चित तौर पर हम सभी लोग भी अपने देश को बनाने के लिए कुछ घंटे बैंक की लाइन में लग सकते हैं। बैंक एटीएम के बाहर खड़े लोगों की मदद के लिए बढ़े हाथ भी देश भक्ति के प्रति सम्मान प्रकट करने के सराहनीय आयाम हैं। भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली ने केंद्र के इस बड़े कदम की जमकर सराहना की। इसे भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे बड़ा कदम बताया। कोहली ने मजाकिया अंदाज में कहा कि वे तो सोच रहे थे कि पुराने नोटों पर अपने प्रशंसकों को आटोग्राफ देे दें। देश के लिए अपना जीतोड़ तथा सर्वोत्तम खेल प्रदर्शन देने वाले खिलाड़ियों की आवाज हमें अवश्य सुननी चाहिए। 

कुछ बच्चे अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण कुछ न कुछ पूछते हीं रहते हैं- यह क्या है, ऐसा क्यों होता है, आदि-आदि। अगर इन प्रश्नों का सही उत्तर उन्हें मिल जाये तो उन्हें अधिक सोचने का मौका मिलता है। माता-पिता को ऐसे बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके विपरीत माता-पिता झिड़की देकर अथवा डांट-डपट कर बच्चों के मनोभावों का दमन करते हैं और बाल चिकित्सकों के अनुसार बच्चे के मन को कुंठित करने का एक तरीका यह भी है कि उसकी स्वाभाविक जिज्ञासा को दबाने के लिए उसे झिड़किया दी जाएं और उसे डराया धमकाया जाए।

यह घटना आजादी के पूर्व की है| मुंशी प्रेमचन्द हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कथाकार एवं उपन्यास-लेखक ने जीवन की शुरुआत अध्यापन कार्य से की थी, बाद में वे स्कूलों के इंस्पेक्टर बन गए थे| यह घटना उस समय की है, जब वह एक सामान्य स्कूल में एक सामान्य शिक्षक थे| एक बार इंस्पेक्टर विधालय के निरक्षण के लिए पधारे| प्रेमचन्द जी ने पूरी विनम्रता और कायदे से उन्हें स्कूल दिखलाया|

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के खैर के गांव सूरजमल निवासी अमित को किडनी खराब होने का पता उस वक्त चला जब फौज की भर्ती में दौड़ के दौरान अचानक उसका बीपी बढ़ गया। जांच कराने पर पता चला कि उसकी दोनों किडनी खराब हो गई है। आर्थिक रूप से कमजोर अमित हो आॅपरेशन के लिए साढ़े आठ लाख रूपये की जरूरत थी। अमर उजाला-फाउंडेशन की पहल पर अमित को आर्थिक मदद की गयी। ये अभियान था किडनी ट्रांसप्लांट करा कर 20 वर्षीय युवा अमित की जिंदगी बचाने का। जिसमें अमर उजाला फाउंडेशन की अपील पर लोगों से सवा सात लाख रूपये की बड़ी मदद उसको मिली है। अमित का किडनी ट्रांसप्लांट 11 मार्च 2017 को दिल्ली के प्रतिष्ठित सर गंगाराम हास्पिटल में सफलतापूर्वक हुआ। अमित और उसे किडनी देने वाली उसकी मां अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।