मानव जीवन का उद्देश्य प्रभु को प्राप्त करना और प्रभु शिक्षाओं पर चलना है:
जिस प्रकार से किसी भी देश को चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार से मनुष्य को अपना निजी जीवन चलाने के लिए व अपना सामाजिक जीवन चलाने के लिए धर्म की आवश्यकता है। अगर वह इसमें सही प्रकार से सामंजस्य करता है तो वह आध्यात्मिक कहलाता है। अध्यात्म का मतलब यह नहीं होता कि दुनियाँ से बिलकुल दूर जाकर के जंगल में पहाड़ों की कन्दराओं में जाकर बैठ जाओं। धर्म का मतलब होता है अपने जीवन को इस प्रकार से संचालित करना कि मानव अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सके। मानव जीवन का उद्देश्य है प्रभु को प्राप्त करना और उसकी शिक्षाओं पर चलना। इस प्रकार जैसे-जैसे हमारे जीवन में धर्म आता जायेंगा वैसे-वैसे हम आध्यात्मिक होते जायेंगे।