उनके गुरुदेव, महामंडलेश्वर श्चिदानंद स्वामी महाराज, और श्री बिसुद्धनंद पेठेश्शीश्वर ने आशीर्वाद दिया है और मकर संक्रांति, पौष महीने, वील्सएनएल 2054 पर आरंभ किया। वृंदावन धाम श्रीमद्गवत में सनातन धर्म की शुरुआत के बाद, उन्होंने पवित्र ग्रंथों और सोच का अध्ययन किया।

1994 में उच्चतम सम्मान स्वामी श्री माधवचार्यजी महाराज ने अपने संत, निर्दोष आचरण और गहन शिक्षा के साथ प्रसन्न किया, उन्हें अशरफी भवन अयोध्या पीठ के लिए अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया।

राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले ओमप्रकाश डूडी का चयन एमबीबीएस में हुआ था। वह पढ़ाई के लिए महाराष्ट्र के शोलापुर मेडिकल कालेज पहुंचे। यहां अपनी सहपाठी स्नेहा से उनका मिलना हुआ और दोनों में प्यार हो गया। 2006 में डा0 ओम की तबीयत खराब हुई तथा डाक्टरों ने कहा कि उनकी किडनियां खराब हैं। 2007 में ओम की किडनी का ट्रांसप्लांट हुआ जो उसकी मां ने दी थी। स्नेहा ने 2009 में डा. ओम से लव मैरिज कर ली। पति की दूसरी किडनी खराब होने के कारण डाॅ0 स्नेहा ने तय किया कि अब अपने सुहाग पर आए संकट के लिए वह खुद आगे आएंगी। स्नेहा ने 6 फरवरी 2017 को अपने पति डाॅ0 ओमप्रकाश को किडनी दे दी। स्नेहा की एक किडनी ओम के शरीर में है। यह पति-पत्नी के प्यार के एक अनुकरणीय मिसाल है। 

मानव जीवन का उद्देश्य प्रभु को प्राप्त करना और प्रभु शिक्षाओं पर चलना है:

जिस प्रकार से किसी भी देश को चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार से मनुष्य को अपना निजी जीवन चलाने के लिए व अपना सामाजिक जीवन चलाने के लिए धर्म की आवश्यकता है। अगर वह इसमें सही प्रकार से सामंजस्य करता है तो वह आध्यात्मिक कहलाता है। अध्यात्म का मतलब यह नहीं होता कि दुनियाँ से बिलकुल दूर जाकर के जंगल में पहाड़ों की कन्दराओं में जाकर बैठ जाओं। धर्म का मतलब होता है अपने जीवन को इस प्रकार से संचालित करना कि मानव अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सके। मानव जीवन का उद्देश्य है प्रभु को प्राप्त करना और उसकी शिक्षाओं पर चलना। इस प्रकार जैसे-जैसे हमारे जीवन में धर्म आता जायेंगा वैसे-वैसे हम आध्यात्मिक होते जायेंगे।