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हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा का बहुत ही महत्त्व है। पहले के समय यात्रा में जाना बहुत कठिन था। पैदल या तो बैल गाड़ी में यात्रा की जाती थी। थोड़े थोड़े अंतर पे रुकना होता था।

नांदेड में रहनेवाले रतनजी शापुरजी वाडिया एक फारसी सज्जन थे| उनका बहुत बड़ा व्यवसाय था| किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी| प्रकृति से वो बहुत धार्मिक थे| अपने दान-धर्म की वजह से वे बहुत प्रसिद्ध थे| ईश्वर की कृपा से उनके पास सब कुछ था| यदि उनके जीवन में किसी चीज की कमी थी तो वह एक संतान की| संतान के लिए तरसते थे| वह संतान पाने के लिए सदैव प्रभु से प्रार्थना करते थे|