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रामदास और मोतीराम दोनों बहुत अच्छे मित्र थे| एक बार मोतीराम को किसी काम से दूसरे शहर में जाना पड़ा| काम अधिक समय तक चलने वाला था, अत; वह सपरिवार गया और जाते समय अपने मकान की चाबी तथा कीमती समान अपने मित्र रामदास को सौंप दिया|

अमरूद हमारे देश का एक प्रमुख फल है| इसके अंदर सौकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे बीज होते हैं| अमरूद मीठा और स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। सर्दियों में अमरूद खाने के फायदे ही फायदे हैं। दंत रोगों के लिए अमरूद रामबाण साबित होता है। अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों के कीड़ा और दांतों से सम्बंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। इसके अलावा भी ये कई औषधीय गुणो के लिए जाना जाता है।

किसी वृक्ष पर एक कौए और बटेर का बसेरा था| एक बार पक्षियों को जानकारी मिली कि उनके राजा गरुड़ सागर किनारे आने वाले है| सभी पक्षी एकत्रित होकर उनके दर्शनार्थ सागर किनारे की ओर चल पड़े| कौआ और बटेर भी गए|

जब कंसने देवकी-वसुदेवके छ: पुत्रोंको मार डाला, तब देवकीके गर्भमें भगवान् बलराम पधारे| योगमायाने उन्हें आकर्षित करके नन्दबाबाके यहाँ निवास कर रही श्रीरोहिणीजीके गर्भमें पहुँचा दिया| इसीलिये उनका एक नाम संकर्षण पड़ा| बलवानोंमें श्रेष्ठ होनेके कारण उन्हें बलभद्र भी कहा जाता है|