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एक कौआ बहुत प्यासा था| वह पानी की खोज में इधर उधर उड़ने लगा| प्यास के मारे वह दूर तक उड़न भरने में असमर्थ था| वह एक बगीचे में गया| उसे कहीं भी पानी के दर्शन नहीं हुए| तभी उसने दूर एक घड़ा देखा|

सिखों के छठे गुरु हरगोविंद जी भी इसी दिन कारावास से मुक्त हुए थे। आप पाँचवें गुरु श्री गुरु अर्जुनदेव जी के इकलौते पुत्र थे। सिखों पर मुगलराज्य के कोप की दिनोंदिन वृद्धि होती जाती थी।

किसी घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था| वह रोज शिकार पर निकालता और एक नहीं, दो नहीं, कई-कई जानवरों को काम तमाम कर देता| जंगल के जानवर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि जंगल में कोई भी जानवर नहीं  बचेगा|