हरिश्चंद्र काशी नगरी में
अयोध्या का परित्याग करने के बाद राजा हरिश्चंद्र विचार करने लगे कि कहां जाएं, क्योंकि सारा राज्य तो उन्होंने दान में दिया है| तभी उन्हें काशी नगरी का स्मरण हो आया| उन्होंने सोचा कि ‘काशी नगरी तो भगवान शंकर की राजधानी है|
अयोध्या का परित्याग करने के बाद राजा हरिश्चंद्र विचार करने लगे कि कहां जाएं, क्योंकि सारा राज्य तो उन्होंने दान में दिया है| तभी उन्हें काशी नगरी का स्मरण हो आया| उन्होंने सोचा कि ‘काशी नगरी तो भगवान शंकर की राजधानी है|
“Vaisampayana said, ‘Then Yuyudhana, the great hero of the Satwata race,came to Yudhishthira with a large army of foot, and horses and cars andelephants.
“Markandeya said, ‘The illustrious Dhundhu, O king, was the son of Madhuand Kaitabha, and possessed of great energy and prowess, he underwentascetic
एक बार दो राज्यों के बीच युद्ध की तैयारियां चल रही थीं। दोनों के शासक एक प्रसिद्ध संत के भक्त थे। वे अपनी-अपनी विजय का आशीर्वाद मांगने के लिए अलग-अलग समय पर उनके पास पहुंचे। पहले शासक को आशीर्वाद देते हुए संत बोले, ‘तुम्हारी विजय निश्चित है।’
1 [इन्द्र]
जानन यॊ गाम अपहरेद विक्रीयाद वार्थ कारणात
एतद विज्ञातुम इच्छामि का नु तस्य गतिर भवेत
1 [जनम]
एवं वने वर्तमाना नराग्र्याः; शीतॊष्णवातातप कर्शिताङ्गाः
सरस तद आसाद्य वनं च पुण्यं; ततः परं किम अकुर्वन्त पार्थाः
यह घटना मुगलकाल की है| अकबर ने एक बार अपने राजदरबार में सवाल किया कि इस दुनिया में भेड़-बकरियों, घोड़े-गधों के समूह तो दिखाई देते हैं, लेकिन कुत्तों का समूह नहीं दिखाई देता?