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समुंद्र के किनारे एक टिटहरी दंपति रहता था| समय बीतने पर जब टिटहरी ने गर्भधारण किया तो उसने अपने पति से कहा, ‘स्वामी! आप तो जानते ही है कि यहाँ समय-समय पर ज्वार-भाटा आता रहता है| इससे मुझे अपने बच्चों के बह जाने की आशंका है| मेरा आपसे अनुरोध है कि आप किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर चलिए|’

हिम्मतनगर में धर्मबुद्धि और कुबुद्धि नामक दो निर्धन मित्र रहते थे| दोनों ने दूसरे देश में जाकर धन कमाने की योजना बनाई और अपने साथ काफ़ी सामान लेकर विभिन्न क्षेत्रों में खूब भ्रमण किया और साथ लाए सामान को मुंहमाँगे दामों पर बेचकर ढेर सारा धन कमा लिया| दोनों मित्र अर्जित धन के साथ प्रसन्न मन से घर की ओर लौटने लगे|

ख़रबूज़ा एक फल है। यह पकने पर हरे से पीले रंग के हो जाते है, हलांकि यह कई रंगों मे उपलब्ध है। मूल रूप से इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं। गर्मियों के मौसम में शरीर को ठंड़ा रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। हमारा शरीर ठंड़ा रहे इसलिए हम तरह-तरह के तरीकों को अपनाते हैं। खरबूजे की कई किस्में बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। 

एक दिन साँवले सलोने बालश्रीकृष्ण रत्नों से जड़ित पालने पर शयन कर रहे थे। उनके मुख पर लोगों के मन को मोहने वाली मंद हास्य की छटा स्पष्ट झलक रही थी। कुटिल दृष्टि न लग जाए इसलिए उनके ललाट पर काजल का चिह्न शोभायमान हो रहा था। कमल के सदृश उनके दोनों सुंदर नेत्रों में काजल विद्यमान था।

‘रांझा-रांझा’ करदी हुण मैं आपे रांझा होई| टेक|
सद्दो मैनूं धीरो रांझा हीर न आखो कोई|