अध्याय 185
1 [वै]
ततः स पाण्डवॊ भूयॊ मार्कण्डेयम उवाच ह
कथयस्वेह चरितं मनॊर वैवस्वतस्य मे
पूर्व काल में हर्षपुर नाम का एक विशाल नगर था| इस समृद्ध नगर का स्वामी राजा हर्षदत्त था, जिसके सुप्रबंध के कारण नगर की प्रजा बड़े सुख से रहती थी|
एक समय एक हाथी ने एक आदमी का पीछा करना आरम्भ कर दिया| परेशान आदमी भागा, मगर हाथी निकट आता जा रहा था| आदमी ने एक सूखे कुएँ को देखा| उसमें छलाँग लगा दी| तभी नीचे घुमते हुए सर्पों पर दृष्टि गयी| पीपल की एक मोटी डाली निकट थी| आदमी ने उसे पकड़ लिया|
1 And Jehovah spake unto Moses, after the death of the two sons of Aaron, when they drew near before Jehovah, and died;
“Vyasa said, ‘There is a wonderful tree, called Desire, in the heart of aman. It is born of the seed called Error. Wrath and pride constitute itslarge trunk.
1 [दुर]
यद आह विरुदः कृष्णे सर्वं तत सत्यम उच्यते
अनुरक्तॊ हय असंहार्यः पार्थान परति जनार्दनः
1 [भस]
जामदग्न्येन रामेण पितुर वधम अमृष्यता
करुद्धेन च महाभागे हैहयाधिपतिर हतः
शतानि दश बाहूनां निकृत्तान्य अर्जुनस्य वै
Dhritarashtra said, “How did those bulls among men, viz., that greatbowman Drona, and Dhananjaya the son of Pandu, encounter each other inbattle?