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इस ज्वर को फ्लू भी कहा जाता है| यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है| इससे रोगी को काफी कष्ट होता है| यह रोग तीसरे, चौथे या सातवें दिन उतर जाता है|

एक राजा था, उसका नाम था श्रेणिक| उसकी चेतना नाम की एक रानी थी, एक बार वे दोनों भगवान महावीर के दर्शन करके लौट रहे थे तो रानी ने देखा, भंयकर शीत में एक मुनि तप में लीन हैं| उनकी कठोर साधना के लिए उसने मन-ही-मन उन्हें बारम्बार प्रणाम किया|