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1 [ष] तस्मात ते ऽहं परवक्ष्यामि धर्मम आवृत्तचेतसे
शरीमान महाबलस तुष्टॊ यस तवं धर्मम अवेक्षसे
पुरस्ताद दारुणॊ भूत्वा सुचित्रतरम एव तत

एक भिखारी भीख मांगने निकला। उसका सोचना था कि जो कुछ भी मिल जाए, उस पर अधिकार कर लेना चाहिए। एक दिन वह राजपथ पर बढ़ा जा रहा था। एक घर से उसे कुछ अनाज मिला। वह आगे बढ़ा और मुख्य मार्ग पर आ गया। अचानक उसने देखा कि नगर का राजा रथ पर सवार होकर उस ओर आ रहा है। वह सवारी देखने के लिए खड़ा हो गया, लेकिन यह क्या? राजा की सवारी उसके पास आकर रुक गई।