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राजा हरिश्चन्द्र के कोई संतान न थी| उन्होंने पर्वत और नारद- इन दो ऋषियों से इसका उपाय पूछा| देवर्षि नारद ने उन्हें वरुणदेव की आराधना करने की सलाह दी| राजा ने वरुण की आराधना की और पुत्र-प्राप्ति कर उससे उनके यजन की भी प्रतिज्ञा की| इससे उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ और उसका नाम रोहित रखा|