सद्गुणी शिष्य
प्रयाग में एक ऋषि का आश्रम था| उनके एक अतिसुन्दर कन्या थी| कन्या को विवाह योग्य जानकर उन्होंने अपने ही शिष्यों में से सद्गुणी शिष्य के साथ उसका विवाह करने का निर्णय किया|
प्रयाग में एक ऋषि का आश्रम था| उनके एक अतिसुन्दर कन्या थी| कन्या को विवाह योग्य जानकर उन्होंने अपने ही शिष्यों में से सद्गुणी शिष्य के साथ उसका विवाह करने का निर्णय किया|
“Arjuna said, ‘Of those worshippers who, constantly devoted, adore thee,and those who (meditate) on thee as the Immutable and Unmanifest, who arebest acquainted with devotion.’
स्त्रियों के मिजाजों की भांति मूली के भी अपने स्वाद भरे मिजाज हैं| बहुत-सी मूली मीठी होती है, बहुत-सी फीकी और बहुत-सी तेज चिरमिरी, मानों दांतों तले तेज मिर्च आ गई हो| इसकी तासीर ठंडी होती है| फिर भी पेट के लिए यह बहुत लाभदायक है| इसके सेवन से भोजन में रुचि बढ़ती है| पेट में गैस (वायु) को तो यह दूर करती ही है, अग्निमांद्य तथा कब्ज को दूर करने में भी समक्ष है|
Vaisampayana said, “And when the king of the celestials presented himselfin the guise of a Brahmana, beholding him, Kama said, ‘Welcome!’
एक व्यापारी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। वह स्वयं घोड़े पर चढ़ता और गधे पर बोझ लादकर गांव-गांव माल बेचता था। घोड़ा चूंकि उसने ऊंचे दाम देकर खरीदा था, इसलिए उस पर वह बोझ नहीं लादता था और उसका अधिक ख्याल रखता था। एक दिन व्यापारी घोड़े पर चढ़कर और गधे पर बोझ लादकर किसी गांव की ओर जा रहा था।
Vaisampayana said,–“As soon as Vidura endued with great foresight cameunto him king Dhritarashtra, the son of Amvika, timidly asked hisbrother,–‘How doth Yudhishthira, the son of Dharma, proceed along?
मेरे बाबाजी बनालीजिये अपना मेरे बाबाजी बना लीजिये अपना
बना लीजिये अपना बना लीजिये अपना
“Sanjaya said, ‘While Nakula was employed in destroying and routing theKaurava divisions in battle with great force, Vikartana’s son Karna,filled with rage, checked him, O king.