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तकदीर के मारे बन्दों को शिरडी में बुलालो हे साँई
बड़ा जग की बलाएं घूर रहीं हमें उनसे बचालो हे साँई

बहुत समय पहले की बात है| किसी नगर में एक सेठ रहते थे| उनके पास अपार संपत्ति थी, लंबी-चौड़ी हवेली थी, नौकर-चाकरों की सेना थी, भरापूरा परिवार था| सब तरह के सुख थे, पर एक दुख था|