Chapter 37
“Sanjaya said, ‘Beholding the mighty Karna take up his station fromdesire of battle, the Kauravas, filled with delight, uttered loud shoutsfrom every side.
“Sanjaya said, ‘Beholding the mighty Karna take up his station fromdesire of battle, the Kauravas, filled with delight, uttered loud shoutsfrom every side.
1 [य]
किमर्थं सहसा विन्ध्यः परवृद्धः करॊधमूर्छितः
एतद इच्छाम्य अहं शरॊतुं विस्तरेण महामुने
1 [भीस्म]
हन्त वक्ष्यामि ते पार्थ धयानयॊगं चतुर्विधम
यं जञात्वा शाश्वतीं सिद्धिं गच्छन्ति परमर्षयः
मुस्लिम संतों में एक बहुत बड़ी संत हुई हैं राबिया| उनमें ईश्वर-भक्ति कूट-कूटकर भरी थी, वे हर घड़ी प्रभु के चरणों में लौ लगाए रहती थीं| सबको उसी का बंदा मानकर उन्हें प्यार करती थीं और जी-जान से उनकी सेवा करती थीं|
“Yudhishthira said, ‘If, O prince, Brahmanahood be so difficult ofattainment by the three classes (Kshatriyas, Vaisyas and Sudras), howthen did the high souled Viswamitra, O king, though a Kshatriya (bybirth), attain to the status of a Brahmana?
“Yudhishthira said, ‘Tell me, O grandsire, whence and how happiness andmisery come to those that are rich, as also those that are poor, but wholive in the observance of different practices and rites.'[521]
बहुत समय पहले बंगाल में महाराज कृष्णचन्द्र का राज्य था| उनके दरबार में बहुत सारे विदूषक थे| सबसे ज्यादा लोकप्रिय था-गोपाल| गोपाल नाई था लेकिन सब लोग उसे गोपाल भांड कहकर बुलाते थे|