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पक्षी और जानवर भिन्न जाति और स्वभाव के प्राणी हैं| कुछ पक्षी कुछ जानवरों को खा जाते हैं और कुछ जानवर पक्षियों का भक्षण करते है| यह भी आश्चर्य ही है कि अधिकांश एक-सा भोजन करते हैं| इसलिए कुछ मित्र हैं और कुछ शत्रु| उनमें लड़ाई चलती रहती है, किन्तु एक बार उनमें युद्ध छिड़ गया| पक्षियों में सर्वाधिक नुकसान बत्तखों का हुआ और जानवरों में सबसे अधिक हानि खरहे और चूहों को हुई|

नुस्खा – भुना हुआ सफेद जीरा 100 ग्राम, सोंठ पिसी हुई 50 ग्राम, सेंधा नमक 150 ग्राम, काला नमक 50 ग्राम, कालीमिर्च 50 ग्राम, नीबू का सत 50 ग्राम और पीपरमेंट 2 ग्राम – सभी चीजों को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें| फिर इसे शीशी में भरकर रख लें|

पुलत्स्य ऋषि के उत्कृष्ट कुल में जन्म लेने के बावजूद रावण का पराभव और अधोगति के अनेक कारणों में मुख्य रूप से दैविक एवं मायिक कारणों का उल्लेख किया जाता है। दैविक एवं प्रारब्ध से संबंधित कारणों में उन शापों की चर्चा की जाती है जिनकी वजह से उन्हें राक्षस योनि में पैदा होना पड़ा। मायिक स्तर पर शक्तियों के दुरुपयोग ने उनके तपस्या से अर्जित ज्ञान को नष्ट कर दिया था।