अध्याय 193
1 [य]
किम उत्तरं तदा तौ सम चक्रतुस तेन भासिते
बराह्मणॊ वाथ वा राजा तन मे बरूहि पितामह
एक खरगोश बिल्व (बेल) वृक्ष के नीचे विश्राम की मुद्रा में अधलेटा सोच रहा था, ‘यदि धरती के टूटकर दो टुकड़े हो जाएँ तो क्या होगा?’
“Yudhishthira said, ‘Who are deserving of worship? Who are they unto whomone may bow? Who are they, O Bharata, unto whom thou wouldst bend thyhead?
दूब या दुर्वा एक घास है जो जमीन पर पसरती है। आयुर्वेद के अनुसार दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है। विभिन्न प्रकार के पित्त एवं कब्ज विकारों को दूर करने के लिए दूब का प्रयोग किया जाता है। इसके आध्यात्मिक महत्वानुसार प्रत्येक पूजा में दूब को अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाया जाता है
“Bhishma said, ‘Led into a spacious apartment, Gautama was introduced tothe king of the Rakshasas.
Dhritarashtra said,–“Beholding our ten and one Akshauhinis arrayed inorder of battle, how did Yudhishthira, the son of Pandu, make hiscounter-array with his forces smaller in number?
अत्रिवंश में उत्पन्न एक मुनि थे, जो संयमन नाम से विख्यात थे| उनकी वेदाभ्यास में बड़ी रूचि थी| वे प्रातः, मध्यान्ह तथा सांय-त्रिकाल स्नान-संध्या करते हुए तपस्या करते थे|
“Arjuna said, ‘The time, O Karna, hath now come for making good thyloquacious boast in the midst of the assembly, viz., that there is noneequal to thee in fight.