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माहिष्मती के राजा कार्तवीर्य के सौ पुत्र थे| उनमें शूर, शूरसेन, कृष्ण, धृष्ण और जयध्वज नाम के पाँच पुत्र महारथी और मनस्वी थे| इनमें प्रथम चार रूद्र के भक्त एवं पाँचवाँ जयध्वज नारायण का भक्त था|

उन दिनों शिवाजी मुगल सेना से बचने के लिए वेश बदलकर रहते थे। इसी क्रम में एक दिन शिवाजी एक दरिद्र ब्राrाण के घर रुके। ब्राrाण का नाम विनायक देव था। वह अपनी मां के साथ रहता था। विनायक भिक्षावृत्ति कर अपना जीवन-यापन करता था। अति निर्धनता के बावजूद उसने शिवाजी का यथाशक्ति सत्कार किया।