कछुआ गुरु
किसी नगर में गंगा के किनारे एक बूढ़ा आदमी रहता था| उसने अपनी छोटी-सी झोंपड़ी बना ली थी और एक कछुआ पाल रखा था| वह दोपहर को रोटी मांगने जाता तो कुछ चने भी ले आता और उन्हें भिगोकर कछुए को खिला देता|
किसी नगर में गंगा के किनारे एक बूढ़ा आदमी रहता था| उसने अपनी छोटी-सी झोंपड़ी बना ली थी और एक कछुआ पाल रखा था| वह दोपहर को रोटी मांगने जाता तो कुछ चने भी ले आता और उन्हें भिगोकर कछुए को खिला देता|
1 [लॊमष]
ततॊ जगाम कौरव्य सॊ ऽगस्त्यॊ भिक्षितुं वसु
शरुतर्वाणं महीपालं यं वेदाभ्यधिकं नृपैः
“The blessed Krishna said, ‘Bowing my head with great joy unto that massof energy and effulgence,
एक बार पंडित परमसुख को दानस्वरूप एक बछड़ा मिला| उसने बछड़े का नाम ‘नंदीश्वर’ रखा और प्यार से लालन-पोषण करके उसे तंदुरुस्त बैल बना दिया| बैल भी परमसुख का काफ़ी ख्याल रखता था क्योंकि उसने उसे पिता समान प्यार दिया था|
“Yudhishthira said, ‘I know what benevolence is, in consequence of myobservation of persons that are good.
“Sanjaya said, ‘O Kauravya, that which is heard about the islands in thenorth, I will recount to thee, O Great king. Listen to me now. (Thitherin the north) is the ocean whose waters are clarified butter.
“Vaisampayana said, ‘After the son of Radha had fled from the field,other warriors headed by Duryodhana, one after another, fell upon the sonof Pandu with their respective divisions.
सतपुड़ा के वन प्रांत में अनेक प्रकार के वृक्ष में दो वृक्ष सन्निकट थे। एक सरल-सीधा चंदन का वृक्ष था दूसरा टेढ़ा-मेढ़ा पलाश का वृक्ष था। पलाश पर फूल थे। उसकी शोभा से वन भी शोभित था। चंदन का स्वभाव अपनी आकृति के अनुसार सरल तथा पलाश का स्वभाव अपनी आकृति के अनुसार वक्र और कुटिल था, पर थे दोनों पड़ोसी व मित्र। यद्यपि दोनों भिन्न स्वभाव के थे। परंतु दोनों का जन्म एक ही स्थान पर साथ ही हुआ था। अत: दोनों सखा थे।