आखिरी दरवाजा
एक फकीर था| वह भीख मांगकर अपनी गुजर-बसर किया करता था| भीख मांगते-मांगते वह बूढ़ा हो गया| उसकी आंखों से कम दिखने लगा| एक दिन भीख मांगते हुए वह एक जगह पहुंचा और आवाज लगाई| किसी ने कहा – “आगे बढ़ो! यह ऐसे आदमी का घर नहीं है, जो तुम्हें कुछ दे सकें|”