महान संत
महर्षि रमण को कौन नहीं जानता! वे बहुत महान संत थे| अपने पास कुछ भी नहीं रखते थे| उनके तन पर कोपीन को छोड़कर कोई अन्य कपड़ा नहीं रहता था|
महर्षि रमण को कौन नहीं जानता! वे बहुत महान संत थे| अपने पास कुछ भी नहीं रखते थे| उनके तन पर कोपीन को छोड़कर कोई अन्य कपड़ा नहीं रहता था|
प्राचीन काल से भारत में अनेक प्रकार के प्रभु भक्ति के साथ रहे हैं| उस पारब्रह्म शक्ति की आराधना करने वाले कोई न कोई साधन अख्तयार कर लेते थे जैसा कि उसका ‘गुरु’ शिक्षा देने वाला परमात्मा एवं सत्य मार्ग का उपदेश करता था भाव-प्रभु का यश गान करता था|
1 बृहदश्व उवाच
अथ तां वयुषितॊ रात्रिं नलॊ राजा सवलंकृतः
वैदर्भ्या सहितः काल्यं ददर्श वसुधाधिपम
“Bhishma said, ‘One should always offer the most reverent worship untothe Brahmanas. They have Soma for their king, and they it is who conferhappiness and misery upon others.
1 [स]
ततस तमिन दविजश्रेष्ठ समुदीर्णे तथाविधे
गरुत्मान पक्षिराट तूर्णं संप्राप्तॊ विबुधान परति
“Bhishma said, ‘Hearing those piteous lamentations of the pigeon on thetree, the she-pigeon seized by the fowler began to say to herself asfollows.’
एक चोर अक्सर एक साधु के पास आता और उससे ईश्वर से साक्षात्कार का उपाय पूछा करता था। लेकिन साधु टाल देता था। वह बार-बार यही कहता कि वह इसके बारे में फिर कभी बताएगा। लेकिन चोर पर इसका असर नहीं पड़ता था। वह रोज पहुंच जाता। एक दिन चोर का आग्रह बहुत बढ़ गया। वह जमकर बैठ गया। उसने कहा कि वह बगैर उपाय जाने वहां से जाएगा ही नहीं। साधु ने चोर को दूसरे दिन सुबह आने को कहा। चोर ठीक समय पर आ गया।
“Sanjaya said.. ‘Hearing of the slaughter of his sire by Dhrishtadyumna,of sinful deeds, Drona’s son was filled with grief and rage, O bull amongmen.