अध्याय 47
1 [वै]
ततस तीर्थवरं रामॊ ययौ बदर पाचनम
तपस्विसिद्धचरितं यत्र कन्या धृतव्रता
एक बार की घटना है| फ्रांस में पहले राजतंत्र शासन था| एक समय वहाँ पर हेनरी चतुर्थ का शासन था| एक बार वह अपने राज्य के अधिकारियों के साथ किसी कार्यक्रम में जा रहे थे| रास्ते में एक भिक्षुक खड़ा था|
‘Sanjaya said, ‘Having listened to Uluka’s words, Yudhishthira, the sonof Kunti, moved his army headed by Dhrishtadyumna and others.
“Bhima said, That car which formerly bore Brahma and Isana and Indra andVaruna (to battle), mounting upon that car, have two Krishnas gone. Theycan have no fear of danger, Taking, however, thy command on MY head, lo,I am going. Do not grieve. Meeting with those tigers among men, I shallsend thee intelligence.’
Bhima said, ‘O king, unsubstantial as thou art like froth, unstable likea fruit (falling when ripe), dependent on time, and mortal, havingentered into an agreement in respect of time, which is infinite andimmeasurable, quick like a shaft or flowing like a stream, and carryingeverything before it like death itself, how canst regard it as availableby thee?
अगस्त्य मुनि ने कहना जारी रखा, “पिता की आज्ञा पाकर कैकसी विश्रवा के पास गई। उस समय भयंकर आँधी चल रही थी। आकाश में मेघ गरज रहे थे। कैकसी का अभिप्राय जानकर विश्रवा ने कहा कि भद्रे! तुम इस कुबेला में आई हो।
केरोसीन कच्चे पेट्रोलियम का वह अंश है जो 175-275 सें. ताप पर आसुत होता है। इसका भौतिक और रासायनिक गुण उपस्थित हाइड्रोकार्बनों के अनुपात, संघटन और क्वथनांक पर निर्भर करता है। कच्चे केरोसीन में सौरभिक हाइड्रोकार्बन (40 प्रतिशत तक) आक्सिजन, गंधक और नाइट्रोजन के कुछ यौगिक रहते हैं।
संसार का शायद ही कोई ऐसा प्राणी रहा हो जिसने कभी चाय न पी हो| यानी चाय का स्वाद न चखा हो| अमीर-गरीब, मालिक-मजदूर सभी चाय का प्रयोग करते हैं| चाय ज्यों ही गले से उतर कर हृदय के साथ संपर्क स्थापित करती है, उसी क्षण शरीर में स्फूर्ति का संचार हो उठता है, तथा स्नायु में एक प्रकार की चेतना-शक्ति व्याप्त हो जाती है| चाय के साथ, रासायनिक विश्लेषण का वर्णन निम्न है –