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सन्यासी के किसी राज्य में महिलारोप्य नाम का एक नगर था| उस नगर से थोड़ी दूर पर भगवान शंकर का एक मंदिर बना हुआ था| उस मठ में तामचूड़ का एक सन्यासी निवास करता था| नगर में भिक्षादन कर वह अपनी जीविका चलाया करता था| भोजन से बचे हुए अन्न को वह भिक्षापत्र में रखकर उस पात्र का खूटी पर लटका दिया करता था, इस प्रकार वह निश्चित होकर रात्री में सो जाया करता था प्रात:कल वह उस अन्न को उस मन्दिर में कार्यरत श्रमिको को दे दिया करता था|

“Vaisampayana said,–“While the illustrious Pandavas were seated in thatSabha along with the principal Gandharvas, there came, O Bharata, untothat assembly the celestial Rishi Narada, conversant with the Vedas and Upanishadas, worshipped by the celestials acquainted with histories and Puranas, well-versed in all that occurred in ancient kalpas (cycles), conversant with Nyaya (logic) and the truth of moral science, possessinga complete knowledge of the six Angas (viz., pronunciation, grammar,prosody, explanation of basic terms, description of religious rites, andastronomy).