अध्याय 11
1 [ष]
ऋषयॊ ऽथाब्रुवन सर्वे देवाश च तरिदशेश्वराः
अयं वै नहुषः शरीमान देवराज्ये ऽभिषिच्यताम
ते गत्वाथाब्रुवन सर्वे राजा नॊ भव पार्थिव
1 [ष]
ऋषयॊ ऽथाब्रुवन सर्वे देवाश च तरिदशेश्वराः
अयं वै नहुषः शरीमान देवराज्ये ऽभिषिच्यताम
ते गत्वाथाब्रुवन सर्वे राजा नॊ भव पार्थिव
Janamejaya said, “Having felt great affliction on account of theabduction of their wife and having rescued Krishna thereafter, what didthe Pandavas next do?”
एक सेवक अपने स्वामी की हत्या करके दूसरे नगर में भाग गया। स्वयं को छिपाने के लिए उसने कई वेश बदले। अब तक वह भिखारी हो चुका था। इधर उसके स्वामी का पुत्र अब तक युवा हो चुका था। अपने पिता के हत्यारे से बदला लेने की उसकी भावना प्रबल हो उठी। वह हत्यारे को खोजने चल पड़ा।
Vaisampayana said,–‘Then when Draupadi was about to set out she wentunto the illustrious Pritha and solicited her leave. And she also askedleave of the other ladies of the household who had all been plunged intogrief. And saluting and embracing every one of them as each deserved, shedesired to go away.
तकदीर के मारे बन्दों को शिरडी में बुलालो हे साँई
बड़ा जग की बलाएं घूर रहीं हमें उनसे बचालो हे साँई
1 [धृ]
साङ्गा वेदा यथान्यायं येनाधीता महात्मना
यस्मिन साक्षाद धनुर्वेदॊ हरीनिषेधे परतिष्ठितः
“Sanjaya said, ‘Against Yuyutsu who was employed in routing the vast armyof thy son, Uluka proceeded with speed saying “Wait, Wait.”
1 [भरद्वाज]
एते ते धातवः पञ्च बरह्मा यान असृजत पुरा
आवृता यैर इमे लॊका महाभूताभिसंज्ञितैः