Home2011August (Page 41)

एक दिन गुरुनानक घूमते हुए उज्जयिनी पहुंचे| उनका नाम सुनकर एक सेठ उनके पास आया| उसके गले में रुद्राक्ष की माला पड़ी थी और माथे पर तिलक लगा था| वह गुरुनानक के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट भोजन का थाल लाया था| गुरुनानक ने थाल की ओर देखा और खाना खाने से इंकार कर दिया|

“Yudhishthira said, ‘In consequence of the fall Abhimanyu of tenderyears, of the sons of Draupadi, of Dhrishtadyumna, of Virata, of kingDrupada, of Vasusena conversant with every duty, of the royalDhrishtaketu, and of diverse other kings hailing from diverse regions, inbattle, grief does not forsake my wretched self that am a slayer ofkinsmen.