अध्याय 153
1 [स]
संप्रेक्ष्य समरे भीमं रक्षसा गरस्तम अन्तिकात
वासुदेवॊ ऽबरवीद वाक्यं घटॊत्कचम इदं तदा
1 [स]
संप्रेक्ष्य समरे भीमं रक्षसा गरस्तम अन्तिकात
वासुदेवॊ ऽबरवीद वाक्यं घटॊत्कचम इदं तदा
“Sanjaya said, ‘After the fall of the mighty bowman Drona on that day, OBharata, and after the purpose had been baffled of that mightycar-warriors, viz., the son of Drona, and after the vasty army,
फेफड़े में प्रदाह होने की हालत को न्यूमोनिया का नाम दिया गया है| यह एक गंभीर ज्वर है| इसमें यथाशीघ्र डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी रहता है| यदि ऐसा नहीं किया जाता तो मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है|
एक बार देवताओं द्वारा संपूर्ण दैत्यकुल का संहार हो जाने पर दैत्य माता दिति को अपार कष्ट हुआ| तब वह पृथ्वी-लोक में स्यमन्तपंचक क्षेत्र में आकर सरस्वती नदी के तट पर अपने पति महर्षि कश्यप की आराधना करते हुए भीषण तप में निरत हो गई|
1 [ल]
इह मर्त्यास तपस तप्त्वा सवर्गं गच्छन्ति भारत
मर्तुकामा नरा राजन्न इहायान्ति सहस्रशः
1 [य]
पितामह महाप्राज्ञ कुरूणां कीर्तिवर्धन
परश्नं कं चित परवक्ष्यामि तन मे वयाख्यातुम अर्हसि
एक दिन एक शिष्य भगवान बुद्ध के पास गया| प्रणाम-निवेदन करके बोला – “भंते, मैं देश में घूमना चाहता हूं| आपके आशीर्वाद का अभिलाषी हूं|”
Vaisampayana said, “Hearing the words of the Island-born Rishi and seeingDhananjaya angry, Yudhishthira, the son of Kunti, saluted Vyasa and madethe following answer.
कनकवर्णमहातेजं रत्नमालाविभूषितम् ।
प्रातः काले रवि दर्शनं सर्व पाप विमोचनम् ।।