अध्याय 7
1 [व]
गते दवारवतीं कृष्णे बलदेवे च माधवे
सह वृष्ण्यन्धकैः सर्वैर भॊजैश च शतशस तथा
बहुत पुरानी बात है…पाटलीनगर में एक युवक काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था| संयोगवश राज्य का कोषाध्यक्ष भी अपने एक मित्र के साथ उधर से गुज़र रहा था|
Vaisampayana continued,–“Then agreeable to the words of the Yaksha thePandavas rose up; and in a moment their hunger and thirst left them.
काशी में एक कर्मकांडी पंडित का आश्रम था, जिसके सामने एक जूते गांठने वाला बैठता था। वह जूतों की मरम्मत करते समय कोई न कोई भजन जरूर गाता था। लेकिन पंडित जी का ध्यान कभी उसके भजन की तरफ नहीं गया था। एक बार पंडित जी बीमार पड़ गए और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया।
Vaisampayana said,–‘The royal messenger, agreeably to the commands ofthe intelligent king Dhritarashtra, coming upon Yudhishthira, the son of Pritha who had by that time gone a great way, addressed the monarch and said,–‘Even these are the words of thy father-like uncle, O Bharata,spoken unto thee, ‘The assembly is ready.
महुमेह को सामान्य भाषा में पेशाब में शक्कर (शुगर) आना भी कहते हैं| आजकल अधिकांश लोगों को मधुमेह की शिकायत हो सकती है| इससे रोगी का शरीर कांतिहीन हो जाता है| मधुमेह एक असाध्य रोग है| इसका इलाज करने से पहले रोगी को अपना पेट साफ कर लेना चाहिए|
दु:ख को बोझ समझने वाले कौन तुझे समझाए
साँई तेरी ख़ातिर ख़ुद पर कितना बोझ उठाए कितना बोझ उठाए
“Sanjaya said, ‘King Duryodhana, O monarch, himself fearlessly receivedYudhishthira, as the latter was engaged in shooting large numbers ofshafts.