चिरौंजी के 3 स्वास्थ्य लाभ – 3 Health Benefits of Chironji
यह मधुर, स्निग्ध, शीतल, शुक्रजनक एवं वीर्यवर्धक है| रक्त-पित्त एवं पित्त-विकार में अत्यंत लाभकारी है| यह हृदय को बल प्रदान करती है| सूखे मेवों में इसका स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण है|
यह मधुर, स्निग्ध, शीतल, शुक्रजनक एवं वीर्यवर्धक है| रक्त-पित्त एवं पित्त-विकार में अत्यंत लाभकारी है| यह हृदय को बल प्रदान करती है| सूखे मेवों में इसका स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण है|
द्रोण की मृत्यु के बाद कर्ण को कौरव सेना के संचालन का भार सौंपा गया| दुर्योधन, द्रोण की मृत्यु से चिंतित था| अश्वत्थामा क्रोधित होकर युद्ध कर रहा था और हवा में अग्नि बाण चला रहा था|
“Sanjaya said, ‘Wheeling round, like the planet Mercury in the curvatureof its orbit, Jishnu (Arjuna) once more slew large number of thesamsaptakas.
1 [युधिस्थिर]
ईहमानः समारम्भान यदि नासादयेद धनम
धनतृष्णाभिभूतश च किं कुर्वन सुखम आप्नुयात
किसी नगर में एक दुकानदार था| उसकी कपड़े की दुकान थी| वह बड़ा ही ईमानदार था और अपने ग्राहकों के साथ उसका व्यवहार बड़ा अच्छा रहता था| इसलिए उसकी दुकान खूब चलती थी|
Vaisampayana said, “After the conclusion of Arjuna’s speech, Bhimasena ofgreat wrath and energy, mustering all his patience, said these words untohis eldest brother, ‘Thou art, O monarch, conversant with all duties.
प्राचीन काल में चायमान अभ्यवर्ती और संजय के पुत्र प्रस्तोक नाम के दो परम प्रतापी, अत्यंत धर्मात्मा एवं परम उदार प्रजापालक राजा हुए है| दोनों के राज्य अत्यंत निकट एक-दूसरे से सटकर थे| दोनों की सीमाएँ एक-दूसरे से मिलती थी| दोनों के राज्यों में सदैव यज्ञ-होम, जप-तप, दान-दक्षिणा रुप धर्मानुष्ठान चलते रहते|