Home2011August (Page 13)

कुछ वर्ष बीतने के बाद हस्तिनापुर में कृष्ण और बलराम की मृत्यु का समाचार पहुँचा| यह सुनकर पांडव बहुत दुखी हुए| क्रमशः राज्य और संसार से उनका मोह कम होता जा रहा था| अंततः पांडवों ने निश्चय किया कि वे राजपाट त्यागकर तीर्थयात्रा पर जायेंगें और फिर वहां से हिमालय की गोद में|

अंगुलिमाल नाम का एक बहुत बड़ा डाकू था| वह लोगों को मारकर उनकी उंगलियां काट लेता था और उनकी माला बनाकर पहनता था| इसी कारण उसका यह नाम पड़ा था| मुसाफिरों को लूट लेना उनकी जान ले लेना, उसके बाएं हाथ का खेल था| लोग उससे बहुत डरते थे| उसका नाम सुनते ही उनके प्राण सूख जाते थे|

मोतीराम महाजन अव्वल नंबर का कंजूस था| एक दिन शाम को जब वह घर लौट रहा था तो रास्तेभर यही सोचता रहा कि उसकी पत्नी और बच्चे बहुत खर्च करते है| यदि वह अधिक समय घर से बाहर रहेगा तो वो लोग उसको कंगला बनाकर ही छोडेंगे| श्रीमती जी दिन भर खरीददारी करती रहती है और बच्चे भी दिनभर कुछ-न-कुछ खाते-पीते रहते है| यह स्थिति तो तब है जब कड़ी निगरानी रखी जाती है|