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ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतध्र्यान हुए, तो उनके धड से ऊपर का हिस्सा काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथमें, नाभि मदमदेश्वरमें और जटा कल्पेश्वरमें प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां शिवजी के भव्य मंदिर बने हुए हैं।

माता गायत्री शक्ति, ज्ञान, पवित्रता तथा सदाचार का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि गायत्री मां की आराधना करने से जीवन में सूख-समृद्धि, दया-भाव, आदर-भाव आदि की विभूति होती हैं। माता गायत्री की पूजा में निम्न आरती का भी विशेष प्रयोग किया जाता है।

किसी गांव में एक किसान रहता था| उसकी थोड़ी-सी खेती-बाड़ी थी| उससे उसे जो कुछ मिल जाता, उसी से वह अपनी छोटी-सी गृहस्थी की गुजर-बसर कर लेता था| कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता था|

मर्यादा पुरुषोतम श्री राम जी के नाम को ही मन्त्र मन गया है| राम से बड़ा, राम का नाम| राम नाम का जाप करने मात्र से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं|  श्री राम चन्द्र जी को स्मरण करने के लिए आरती का भी पाठ किया जाता है|

परवल या ‘पटोल’ एक प्रकार की सब्ज़ी है। इसकी लता जमीन पर पसरती है। इसके बीजो में पाए जाने वाले कुछ पोषक तत्व जो होते है वो कब्जनाशक होते है और टिंडे भारत में पंजाब, उत्तर प्रदेश ,राजस्थान एवं महाराष्ट्र में सब्जी के रूप में इसकी खेती की जाती है | आईये जानते हैं टिंडे और परवल के कुछ औषधीय गुणों के बारे में –