Homeतिलिस्मी कहानियाँ45 – जादुई चमगादड़ | Jadui Chamgadad | EP45 | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

45 – जादुई चमगादड़ | Jadui Chamgadad | EP45 | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

तो पिछले एपिसोड मे आप ने देखा था कि गांव वासियों पर मादा चमगादड़ की सेना ने हमला कर दिया था जिस के कारण गांव में अफरा-तफरी मच गई थी। लेकिन वहीं जब चमगादड सेना की दुश्मन चील सेना वहां पर पहुंच जाती हैं तो चमगादड़ सेना डर जाती है. और तभी करण उन की सहायता करता है. तब चमगादड़ की रानी को पता चलता है कि करण एक अच्छा बालक है।

सुनहरी चिड़िया- “रानी जी आखिर, आप ने गांव वासियों पर हमला क्यों किया था?”

रानी चमगादड़- “असल में, आप ने कालानगरी के चमगादड़ राजा का वध किया था..वो मेरे ही भाई थे…

रानी की बहन पाला- “बस इसी का बदला लेने के लिए हम यहां आए थे.. परंतु आप लोगों की अच्छाई देख कर हमारी बुराई भी आप के सामने हार गई!”

करमजीत- “परंतु महारानी आप को समझना चाहिए था कि उन्होंने बाकी लोगों के साथ गलत किया था.. इतना ही नहीं बल्कि हमारे साथ भी बहुत गलत किया था!”

वधिराज- “इसीलिए हम ने उन के साथ ऐसा किया.. अन्यथा हमारी कोई भी ऐसी मंशा नहीं थी!”

रानी चमगादड़ की छोटी बहन (पाला)- “हां तुम बिल्कुल सही कह रहे हो, हमें हमारी गलती का आभास हो गया है , कृपया हमें क्षमा कर दें!”

और रानी चमगादड़ की सारी सेना सभी गांव के लोगों और करण से माफी मांगती है।
और तभी गुस्साए गांव वाले मना करते हैं कि वो उन्हें माफ नही कर सकते।

गांव वासी 1- “नही नही, ये माफी के लायक नहीं है!”

गांव वासी 2- “करण इन्हें सबक सिखाओ, ये यूं ही यहां से नही जा सकते! इन्होंने बहुत गलत किया है”

चमगादड़ रानी (दुखी हो कर)- “ऐसा मत कहो!”

गांव के कुछ बच्चे- “नही !! नही! इन्हें छोड़ दो!”

तो करण और गांव के सभी बच्चे गांव-वासियों को समझाने का प्रयास करते हैं।

कर्मजीत- “देखो गांव वालों मुझे पता है कि इन्होंने हमारे साथ बहुत गलत किया है.. परंतु इस बात को भी समझने का प्रयास करो कि हमारी अच्छाई जान लेने के बाद इन्होंने गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया,

बुलबुल- “और फिर गलती तो सभी से होती है.. और इन्हें अब अपनी गलती का पछतावा हो चुका है!”

लव- “हां, आप समझो इन्हे भी!”

करण- “मेरा भी यही मानना है!”

और इस तरह बहुत समझाने के बाद गांव वाले आखिरकार मान जाते हैं।
और चमगादड़ सेना बहुत खुश हो जाती है।

चमगादड़ रानी (करण से)- “करण आप ने हमारी बहुत सहायता करी है..हम चाहते हैं कि आप हमें भी थोड़ी सी खातिरदारी का मौका दें,

बुलबुल- “लेकिन वो कैसे हो सकता हैं!”

चमगादड़ रानी- “आप हमारे साथ हमारे राज्य में चलिए, !”

करण- “नही नही!!”

चमगादड़ रानी- “चिंता मत करिए ,ज्यादा दूर नहीं है, आप को जब भी वापिस आना हो तब ही आप वापस आ जाइएगा..!”

चमगादड़ रानी की बहन पाला,”हाँ बालक करन, कृपया मान जाइए!”

और उन के बहुत कहने पर करण और उस के साथी जाने के लिए मान जाते हैं।

चिड़िया- “करन कोई बात नहीं, कोई इतने प्यार से आप को आमंत्रण दे रहा है तो जाना ही चाहिए!”

करन- “कुश और लव, जब तक हम लोग नहीं आ जाते! तुम दोनों यहां पर रुक कर गांव वालों की देख रेख करना,

लव- “अच्छा, हमें नही ले कर जाओगे??!!”

बुलबुल- “हा हा हा, नही! तुम यहीं रहना!”

सरदार तजिंदर- “और साढ़े बारे की विचार है जी!”

करमजीत- “आप तो चलिएगा साथ!”

सुनीता कौर- “वाह जी, मजा आ जाना, कद्दू काट के!!”

कुश- “ठीक है करन, आप सब जाओ! हम यहीं हैं, जल्दी आ जाना”

उस के बाद बाकी मित्र, सरदार, सरदारनी, चमगादड़ रानी के साथ वहां से उन के राज्य में चले जाते हैं

उन के राज्य में पहुंचते ही उन सभी का बहुत ही आदर सम्मान किया जाता है और प्यार से स्वागत किया जाता है।

चमगादड़ रानी की मां- “आओ बच्चों, आप का स्वागत है!”

फिर चमगादड़ रानी सारी बातें अपनी मां को बताती है जिस के बाद उस की मां बच्चों से शुक्रिया अदा करती है।

सब लोग बैठते हैं और कुछ बातचीत करते हैं कुछ घंटे बाद शाम हो जाती है और भोजन का समय हो जाता है!

एक नौकरानी- “भोजन तैयार है महारानी!”

रानी- “ठीक है , हम अभी आते हैं ,चलो साथियों!”

और सभी लोग रानी के साथ भोजन कक्ष में चले जाते हैं।

सरदार- “वाह जी, खुशबू तो बड़ी चंगी आ रही है,जल्दी खा लो जी, शेर से पंगा और तजिंदर से दंगा महंगा पड़ता है!”

रानी- “दंगा???.. हम कोई दंगा नहीं कर रहे!”

बुलबुल- “नहीं रानी साहिबा ,वो ऐसे ही बोलते हैं ये तो उन का अंदाज है!”

रानी- “अच्छा, अच्छा!”

सुनीता- “हाँ जी, कद्दू काट के!”

रानी- “हा हा हा हा आप सभी काफ़ी मजाक करते हो!”

इस के बाद सभी लोग भोजन करते हैं और तभी सभी की नजर कमरे में रखे हुए एक पारदर्शी ताबूत में जाती है जिस के अंदर एक मादा चमगादड़ की मूर्ति थी…

बुलबुल- “ये कौन है रानी साहिबा!”

रानी चमगादड़- “ये मेरी बहन आमला की मूर्ति है!”

तो भोजन खत्म होने के बाद अचानक ताबूत में रखी हुई वह मूर्ति जिन्दा हो जाती है।

और वह जिंदा होने के बाद ताबूत से निकल कर चमगादड़ रानी के बगल में बैठ जाती है।

यह देख कर सब लोग चौंक जाते हैं।

मूर्ति वाली स्त्री (आमला)- “मुझे भूख लगी है बहुत भूख लगी है!”

और तभी अचानक से वहां पर मेज में एक कटोरा प्रदर्शित हो जाता है और इस कटोरे में ढेर सारे सोने और चांदी के सिक्के होते हैं।

जिसे देख कर वो रोने लगती है।

सुनहरी चिड़िया- “यह सब क्या है महारानी?”

रानी (रोते हुए)- “राजकुमारी ये मेरी बड़ी बहन है आमला,इन्हे श्राप मिला है कि यह कभी भी हमारी तरह साधारण भोजन नहीं कर सकती हैं..और 45 दिन बाद ऐसे ही इस की मृत्यु भी हो जाएगी!”

चिड़िया- “लेकिन ऐसा क्यों हुआ?”

आमला- “क्योंकि मैंने अपने पति को धोखा दिया था और उन का सारा राज्य हड़प लिया था, परंतु बाद में मुझे इस बात का बहुत पछतावा हुआ.. मरते वक्त उन्होंने मुझे श्राप दिया था जिस के कारण ही मेरा ये हाल हुआ है..

रानी चमगादड़- “पश्चाताप करने के लिए इन्होंने उस राज्य को भी छोड़ दिया था परंतु तब भी कुछ नहीं हुआ!”

बुल्बुल- “आप खा कर तो देखिए दूसरा भोजन!”

रानी- “नही और यदि हम ने इन को भोजन कराने का प्रयास किया तो कुछ भी भयानक हो सकता,क्युकी एक व्यक्ति है जो इस श्राप की रक्षा करता है,

आमला- “हम उसे देख नहीं सकते परंतु यदि भोजन कराने का प्रयास किया गया तो वह यहां प्रकट हो जाएगा!”

वधिराज- “यह तो बहुत ही दुखद बात है, परंतु आप चिंता ना करें..

रानी- “क्या आप हमारी सहायता कर सकते हैं?”

करन- “हाँ क्यों नहीं! पर इस समस्या का क्या हल है, ये तो सोचना पड़ेगा”

वधिराज- “हमें थोड़ा वक्त चाहिए, इस के लिए!”

पाला- “ठीक है, कोई बात नही!”

टॉबी- “रानी साहिबा और चिंता मत करिए मेरे मित्र बहुत ही शक्तिशाली और बुद्धिमान है। देखना वह आप की इन परेशानियों का हल तुरंत ही कर देंगे!”

शुगर- “हाँ रानी साहिबा!”

चमगादड़ रानी- “ठीक है, तो मैं कल आप से इस बारे में बात करूँगी, अभी कुछ समय मैं आमला के साथ बिताउंगी

बुलबुल- “ठीक है रानी जी!”

पाला- “अच्छा करन, अब आप लोग दूसरे कक्ष में जा कर आराम कर लो!”

चिड़िया- “ठीक है,राजकुमारी पाला,अब आप सब भी विश्राम करिए!”

तो करण और बाकी लोग दूसरे कक्ष में चले जाते हैं और उस समस्या का समाधान सोचने लगते हैं।

राजकुमारी चिड़िया काफी परेशान थी और बहुत सोचने के बाद अपनी आंखों को बंद कर के उस व्यक्ति के बारे में जानने का प्रयास करती हैं जो कि उन के श्राप की रक्षा करता है तभी सुनहरी चिड़िया को अपने जैसी एक चिड़िया और कुछ पक्षियों की झलकियां दिखाई देती है।

बुलबुल- “कुछ पता चला क्या राजकुमारी जी?”

चिड़िया- “हां एक महत्वपूर्ण बात पता चली है!”

कर्मजीत- “कौन सी बात राजकुमारी जी?”

चिड़िया- “उस व्यक्ति को चिड़िया बहुत पसंद है, मैं देख पा रही हूं कि शायद उस के पास पहले कोई चिड़िया थी, जिस से वह बहुत प्रेम करता था, परंतु किसी कारणवश उस की मृत्यु हो गई हो गयी!”

करन- “अच्छा, इस का मतलब यह है कि हम इस बात का फायदा उठा सकते हैं!”

चिड़िया- “हाँ, क्योंकि मुझे दिख रहा है कि उस की एक चिड़िया बिल्कुल मेरी तरह ही दिखती थी,!”

वधिराज- “तो इस का तात्पर्य है कि कार्य थोड़ा आसान हो सकता है!”

चिड़िया- “हाँ शायद!”

चिड़िया और करण सारी योजना बना लेते है और अगले दिन चमगादड़ रानी को सब बता दिया जाता है।

पाला- “हां बहुत अच्छी योजना है!”

करन- “ठीक है, तो साथियों, आज शाम को आप सब तैयार रहना!”

तो शाम को भोजन तैयार हो जाता है। थोड़ी देर बाद सभी लोग अपना भोजन कर लेते हैं और पहले की तरह ही आमला उस पारदर्शी ताबूत से बाहर निकल आती है और भोजन का इंतजार करने लगती है।

और फिर से वही भोजन प्रकट होता है , जिसे देख कर वह बहुत रोने लगती है।

तभी करन भोजन की थाली वहां पर ले कर आता है और आमला को एक कौर खिलाने ही वाला होता है कि एक जादुई व्यक्ति वहां पर प्रकट हो जाता है।

व्यक्ति (गुस्से से)- “क्या तुम मूर्खों को नहीं पता है कि इन्हें श्राप मिला है?”

वधिराज- “इन्हे माफ कर दो, उन्होंने बहुत कुछ खोया है, इन पर दया करो…

तजिन्दर- “शेर से पंगा और तजिन्द्र से गंगा महंगा पड़ सकता है!”

सुनीता- “हां, कद्दू काट के, भगा देंगे आप को

तभी सुनहरी चिड़िया उस आदमी के सामने आ जाती है, इसे देख कर वह व्यक्ति स्तब्ध रह जाता है क्योंकि उस के पास बिल्कुल ऐसी ही एक चिड़िया थी , जिस से उस का बहुत ही लगाव था….।

लेकिन वह जानता था कि ये उस की चिड़िया नही है

आदमी- “मेरे सामने से हट जाओ, मुझे मेरा कार्य करने दो!”

चिड़िया- “देखो, उन्हें जाने दो, उन की सजा के लिए उन्हें बहुत सारा दंड मिल चुका है, इस के अलावा यदि तुम चाहते हो कि उन्हें दंड मिले तो कृपया उन्हें ऐसा दंड दो.. जिस में वह कम से कम भोजन तो कर सकें,

बुलबुल- “इनका भूखा रख कर उन की जान लेने का हक तुम्हें नहीं है!”

आदमी- “परंतु मुझे खास इस कार्य के लिए रखा गया है और मैं अपने मालिक के साथ धोखा नहीं कर सकता!”

चिडिया- “माना कि वो तुम्हारे मालिक है, परंतु शक्ति तो तुम्हारी है ना, तुम ही सोचो भला यह कैसा न्याय है?…उन का ये श्राप वापस लेलो,!”

और ऐसे ही राजकुमारी चिड़िया उसे न्याय का पाठ पढ़ाने लगती है।

और इसी बीच करण आमला को भोजन का एक कोर खिला देता है।

व्यक्ति (चिल्ला कर)- “अरे,!!!ये क्या किया???”

चिड़िया- “हाँ, अब इन का श्राप टूट चुका है, है ना???”

व्यक्ति- “हाँ,मै तुम्हारी बात से सहमत हुआ प्यारी चिड़िया, इन का ये श्राप टूट गया है,!”

आमला खुशी से अपनी बहन को गले से लगा लेती है…वहीं सभी बहुत खुश हो जाते हैं।

चमगादड़ रानी का यह किस्सा यहीं खत्म होता है , लेकिन अभी करण की मुसीबतें खत्म नहीं हुई थी।

देखिए क्या होता है अगले एपिसोड में

FOLLOW US ON:
44 - जादुई
46 - जादुई