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भाई भगतु गुरु घर का सेवक था| जब गुरु हरि राय जी गुरु गद्दी पर बैठे तो कुछ समय बाद भगतु जी ने प्रार्थना की कि महाराज! सेवा के बिना मनुष्य की आयु बेकार है इसलिए मुझे कोई सेवा दो| गुरु जी हँस कर कहने लगे कि अब आप बहुत वृद्ध हो गए हो| अपने मनोरंजन के लिए कोई चरखा लाओ|