HomePosts Tagged "बीमारीयों के लक्षण व उपचार" (Page 9)

कीड़े-मकोड़े के काटने पर दंशित स्थान को छूना अथवा नाखून आदि से खुजलाना नहीं चाहिए| इससे विषक्रमण बढ़ जाने की संभावना होती है| इसका उपचार यथाशीघ्र करने का प्रयास करना चाहिए|

प्राय: दांत निकलते समय बहुत से बच्चों को तकलीफ उठानी पड़ती है| इस दौरान उन्हें कई व्याधियां घेर लेती हैं| यदि शुरुआती दौर में ध्यान दिया जाए तो बच्चे इन पीड़ाओं से बच सकते हैं|

बच्चों के मुंह के छाले प्राय: पेट की खराबी से होते हैं| अत: उनकी पाचन क्रिया पर विशेष ध्यान देना चाहिए| बच्चे को अधिक गरम, तीखे तथा मिर्च-मसालेदार पदार्थों का सेवन न करने दें| उन्हें कब्ज एवं अपच से बचाना चाहिए| साथ ही उनकी सफाई एवं स्वच्छता पर भी निगाह रखनी चाहिए|

कभी-कभी बैठे-बैठे या काम करते हुए शरीर का कोई अंग या त्वचा सुन्न हो जाती है| कुछ लोग देर तक एक ही मुद्रा में बैठकर काम करते या पढ़ते-लिखते रहते हैं| इस कारण रक्तवाहिनीयों तथा मांसपेशियों में शिथिलता आ जाने से शरीर सुन्न हो जाता है|

मोतियाबिन्द होने पर आंखों की पुतली पर सफेदी आ जाती है और रोगी की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है| वह किसी चीज को स्पष्ट नहीं देख सकता| आंखों के आगे धब्बे और काले बिन्दु-से दिखाई पड़ने लगते हैं| जैसे-जैसे रोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे रोगी ठीक से देखने में असमर्थ हो जाता है|

सन्निपात ज्वर को वात-पित्त-कफ ज्वर भी कहते हैं| यह मानव शरीर में इन्हीं तत्वों की अधिकता के कारण उत्पन्न होता है| इसमें ज्वर इतना तेज होता है कि रोगी का होशो-हवास उड़ जाता है| वह मूर्च्छावस्था में बड़बड़ाने लगता है| इस बुखार की अवधि 3 दिन से 21 दिन मानी गई है|

बच्चे के जन्म के समय असावधानी बरतने तथा संक्रमण के कारण उनकी नाभि पाक जाती है| ऐसी स्थिति में बच्चा बार-बार रोता रहता है|

दाद छूत का रोग है| यह रोगी व्यक्ति के कपड़ों तथा वस्तुओं को छूने मात्र से ही हो जाता है| यह शुरू में धीरे-धीरे लेकिन कुछ दिनों बाद बड़ी तेजी से फैलता है|

किन्हीं कारणवश जब आंखों में कोई पदार्थ पड़ जाता है तो वे लाल हो जाती है| ऐसे में महसूस होता है, मानो आंख जल रही हो| आंखें लाल हो जाने पर गरम पदार्थों एवं मिर्च-मसालों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए|

लकवा एक गम्भीर रोग है| इसमें शरीर का एक अंग मारा जाता है| रोगी का अंग विशेष निष्क्रिय हो जाने के कारण वह असहाय-सा हो जाता है| उसे काम करने या चलने-फिरने के लिए दूसरे के सहारे की जरूरत होती है|