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बेर एक ऐसा फलदार पेड़़ है जो कि एक बार पूरक सिंचाई से स्थापित होने के पश्चात वर्षा के पानी पर निर्भर रहकर भी फलोत्पादन कर सकता है। बेर में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है लेकिन ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व, विटामिन और लवण पाए जाते हैं. इन पोषक तत्वों के साथ ही ये एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भी भरपूर होता है

इसकी प्रकृति शीतल है| हरी पत्तियों को शाक होने के कारण यह पाचकाग्नि को सक्रिय करने एवं रुचि पैदा करने के लिए उपयोग में लाया जाता है| यह बलवर्धक है, किन्तु पचता देर से है| तिल्ली का विकार दूर करने में यह अद्वितीय है|

यह देर से पचता है, किन्तु फिर भी पेट के विकारों में अत्यन्त लाभदायक है| इसमें लौह तत्व अधिक होते हैं, अत: नये रक्त की रचना भी इससे सहज ही हो जाती है| यह दुर्बल शरीर वालों को शक्ति प्रदान करता है| इसे शाक के रूप में ही अधिक प्रयोग जाता है|

बेल (बिल्व) का पेड़ बड़ा होता है| इसकी पत्तियां तीन दल की होती हैं| उनको बेलपत्र कहते हैं| शिवजी की मूर्ति पर बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं| श्रावण के महीने में शैव मतावलम्बी शिवजी की पूजा करते समय बेलपत्रों से ही उनका अभिषेक करते हैं| बेल का पका फल मीठा होता है|

धान के बीज को चावल कहते हैं। चावल बहुत फायदेमंद चीज है बशर्ते की आप उसे अगर खेतों से सीधे खरीद लें मतलब राईस मिल में जाने से पहले ही खरीद ले क्योंकि राईस मिल में चावल को पॉलिश करने के चक्कर में चावल के बहुत से गुणों का नाश हो जाता है !

टमाटर को जिस रूप में भी प्रयोग किया जाए, स्वादिष्ट ही लगता है| यह कच्चा रहने पर हरा और पका होने पर लाल सुर्ख हो जाता है| इसके उपयोग से पाचन-क्रिया प्रदीप्त हो जाती है| रक्त का निर्माण करने में तथा जिगर को मजबूत बनाने में यह हितकर है| शरीर के अनेक रोगों में इसका उपयोग किया जाता है|

सर्वप्रथम इसे मुख-शुद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है| यों सौंफ का उपयोग एक सुगन्धित, उत्तेजक और शांतिदायक पदार्थ के रूप में होता है| उदर की वायु दूर करने में यह रामबाण साबित होती है| यह आंतों में होने वाले मरोड़ों को शान्त करती है| बच्चों के उदरशूल को भी यह दूर करती है| इसके प्रयोग से मूत्र सहज और साफ आता है| अजीर्ण आदि से होने वाले दस्तों के लिए भी अति उत्तम औषधि है| सौंफ का काढ़ा बनाकर पीने से ज्वर की तेजी कम हो जाती है| यह शीतल और पाचक गुण प्रधान है| यह मेधा एवं स्मरण-शक्ति को तीव्र बनाती है| रक्तवाही संस्थानों को शुद्ध करती है| आमाशय की गर्मी दूर करती है|

संसार का प्रत्येक जीव-जंतु और पशु-पक्षी भूखा रह सकता है, पर प्यासा नहीं रह सकता| जल (पानी) के बिना जीवन नहीं है? प्यास केवल पानी से ही बुझ सकती है| पानी के अभाव में संसार की हजार नियामतें भी बेकार हैं| पानी केवल प्यास ही नहीं बुझाता, शरीर के अनेक रोगों को भी दूर करता है|

यह मस्तिष्क को ताजगी प्रदान करता है, रक्त बढ़ाता है, जोड़ों के दर्द को दूर करता है तथा स्त्रियों के स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाता है| चुकंदर बलगम निकालकर श्वांस-नली को साफ रखता है|

ग्वारपाठे का ‘गूदा’ दवा बनाने के काम आता है| यह सफेद होता है| इसके गूदे में सचमुच हजारों औषधीय गुण भरे हैं| यह कफ-पित्त विकार को दूर करता है| भोजन पचाकर भूख बढ़ाता है| इसका अर्क कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है| इसके औषधीय गुणों की जानकारी निम्नवत् है –