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इसकी प्रकृति गर्म है तथा इसका स्वाद कुछ चरपरा होता है| यह सर्दी व कफ को नष्ट करता है| खांसी आदि श्वास रोग में भी लाभकारी है| इससे पाचन-क्रिया में सुधार पैदा होता है तथा वायु से उत्पन्न पीड़ा भी नष्ट हो जाती है| इसका सेवन शरीर के अनेक रोगों में लाभकारी है|

नीम खाने में कड़वी लगती है, लेकिन उसके गुण मीठे होते हैं| नीम में अमृत तत्त्व मौजूद हैं| यह कमजोर व्यक्ति को भी उठाकर बैठा देता है| निम्ब का अर्थ ही है – नीरोग करने वाला|

प्याज का सेवन अधिकतर लोग इसलिये नहीं करते क्योंकि इसमें बहुत तीव्र गंध आती है, विशेषकर कच्ची प्याज में| इसकी प्रकृति ठंडी होती है तथा यह गर्मी को शांत करती है| इसके सेवन से पाचन-क्रिया प्रदीप्त होती है| यह अत्यंत धातुवर्धक तथा बलवर्धक है| इसका सेवन यदि थोड़ी मात्रा में किया जाए, तो छाती में जमे हुए कफ को यह निकाल बाहर करती है तथा मूत्र साफ लाने में भी सहायक है| लू से बचाव करने में भी यह अद्वितीय है|

यह मुख्यत: मसालों में प्रयुक्त होती है| अत्यंत गर्म है तथा वायु और कफ को नष्ट करके उनसे उत्पन्न होने वाले अनेक रोगों में भी उपयोगी है| यह मुंह व गले को भी शुद्ध कर देती है| इससे मूत्राशय का शोधन भी हो जाता है|

नीबू छोटा और बड़ा दो प्रकार का होता है| इसका स्वाद खट्टा होता है| लेकिन इसमें इतने अधिक औषधीय गुण हैं कि लोग सभी ऋतुओं में इसका प्रयोग करते हैं| यह प्यास तथा गरमी को शान्त करता है|

कृशांगता, रक्ताल्पता, यकृत मस्तिष्क, हृदय एवं फेफड़ों की शक्तिहीनता तथा वात संस्थान तथा पित्त सम्बन्धी समस्त व्याधियों में पेठा का उपयोग हितकर है| पेठा रक्तचाप और गर्मी से भी बचाता है|

शुद्ध देशी घी जैसी वस्तु इस संसार में दूसरी कोई नहीं है| यह स्मरण-शक्ति को तीव्र बनाता है| इससे मेधा प्रखर व बुद्धि प्रबल बनती है| चिन-यौवन का अनुदान मिलता है| अणु-अणु में सौंदर्य स्फूर्त रहता है| शुद्ध घी अमृत के समान है| यह बात, कफ एवं पित्त को विदा करता है, थकान को दूर करता है| हृदय को अत्यंत हितकर है| चित्त को प्रसन्न करता है| किन्तु रक्तचाप, श्वास एवं खांसी में घी हानि करता है| तथा ज्वर रोगी को कभी भूलकर भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए|

यह वायु को बढ़ाने के कारण शरीर में रूक्षता पैदा करती हैं, पचने में हल्की होती है| इसके सेवन से मल बंधकर आता है, तथा पित्त-दोषों में भी लाभकारी है| रक्त-विकार में भी उपयोगी है|

जौ पृथ्वी पर सबसे प्राचीन काल से कृषि किये जाने वाले अनाजों में से एक है। जौ में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, अमीनो एसिड, डायट्री फाइबर्स और कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जौ घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का स्रोत होता है। इस गुण के कारण आपको देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। आज हम आपको इसके औषधीय प्रयोग बता रहे हैं।

यह सब तेलों में सबसे अधिक उपयोगी है| कब्ज को दूर करने में इसका प्रयोग किया जाता है| वायु, जोड़ों का दर्द, हृदय रोग, आमाशय के विकार, सूजन तथा रक्त विकार में भी यह प्रयुक्त होता है| यह केस्टरऑयल के नाम से भी जाना जाता है|