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केला बहुत पौष्टिक फल है, लेकिन इसे खाली पेट नहीं खाना चाहिए| क्योंकि यह मल को बांध देता है और कब्ज की शिकायत हो जाती है| इसलिए केला सदैव भोजन के बाद कम से कम तीन की संख्या में खाना चाहिए|

इसे घिया के नाम से भी जाना जाता है| यह लम्बी और गोलाकार भी होती है| इसका रंग हल्का हरा होता है| यह स्वाद में मीठी, हल्की और सुपाच्य होती है| यह सब्जी से लेकर मिष्ठान्न तक में प्रयुक्त होती है|

स्वास्थ्य के लिए इसे अमृत तुल्य माना गया है| जो लोग नियमित रूप से भोजनोपरान्त छाछ लेते हैं, वो कष्ट के चक्रव्यूह से सदैव मुक्त रहते हैं| आयुर्वेदिक चिकित्सा में कहा गया है कि भोजन के अन्त में छाछ, रात्रि के अन्त में जल और रात्रि के मध्य में दूध पीने वाला व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है| इसमें एक अलौकिक शक्ति विद्यमान है| कहा गया है कि धरती पर मनुष्य के लिए छाछ यानी मट्ठा एक अमृत समान है|

शुद्ध दूध / Milk पूरी तरह से कैल्शियम और महत्वपूर्ण मिनरल्स से भरा हुआ होता है। दूध हमारे आहार का अहम हिस्‍सा है। यह मानव का पहला आहार होता है। दूध में सारे पौष्टिक तत्व उपस्थित होते हैं जो एक स्वस्थ शरीर में होने चाहिए। अक्सर लोग दूध को लेकर भ्रमित रहते हैं कि दूध पीने से वो मोटे हो सकते हैं लेकिन यहां आपको बता दें कि दूध से मोटापा नहीं बढ़ता है बल्कि शरीर को शक्ति मिलती है।

बड़े अंगूर ही सूखकर मुनक्कों का रूप धारण कर लेते हैं| इसकी तासीर, तर व गर्म है| इसके प्रयोग से शारीरिक-क्षीणता दूर होती है, रक्त व शक्ति उत्पन्न होती है| फेफड़ों को बल मिलता है, दुर्बल रोगियों के लिए यह अमृत-तुल्य है| यह पाचन-शक्ति को बढ़ाने में अद्वितीय है| यौन-शक्ति को बढ़ाने में भी यह सहायक होते हैं| हृदय के लिए अत्यंत बलवर्धक हैं| नेत्रों की ज्योति भी इनसे बढ़ जाती है| अर्थात् इसके प्रयोग से रस, रक्त आदि धातुओं का संवर्धन होता है| निम्न उपचारों में इसका बहुत अधिक उपयोग है|

इसकी आम्ल प्रकृति है| आयुर्वेदिक औषधि के अनुपात में इमली को सर्वत: प्रथम वर्जित किया गया है| सामान्य स्थिति में यदि इसका प्रयोग कर लिया जाता है, तो यह अनेक उपद्रव उत्पन्न कर, व्यक्ति को प्राण-हरण की चरमसीमा तक पहुंचा देती है| यह अत्यंत खट्टी, भारी, गर्म, रुचिकारक, मलावरोधक, अग्निदीपक, वातनाशक, रक्तदूषक, कफ-वित्तकारक एवं आंत्र-संकोचक है| पकी हुई इमली मधुर, शीतल, दाह, व्रण, अर्श (बवासीर), लू, कृमि एवं अतिसार नाशक होती है| इसे निम्न रोगों में प्रयोग किया जाता है –

नमक मानवीय भोजन में पड़ने वाली एक अनिवार्य वस्तु है| एक चम्मच नमक में औसत व्यक्ति की एक दिन की समग्र शरीर की क्रियाओं को सुचारू रूप-से चलने के लिए सोडियम की मात्रा पर्याप्त होती है| नमक को रसायन की भाषा में सोडियम क्लोराइड भी कहा जाता है| नमक को समग्र रसों का राजा माना गया है|

जामुन कई प्रकार के होते हैं| लेकिन लोगों को फरैंदा और मीठा जामुन अधिक पसंद आता है| जंगली जामुन खट्टा और छोटा होता है| जामुन का फल भारी, कसैला, मलरोधक, बादी, रूखा तथा कफ-पित्त नाशक होता है|

परवल या ‘पटोल’ एक प्रकार की सब्ज़ी है। इसकी लता जमीन पर पसरती है। इसके बीजो में पाए जाने वाले कुछ पोषक तत्व जो होते है वो कब्जनाशक होते है और टिंडे भारत में पंजाब, उत्तर प्रदेश ,राजस्थान एवं महाराष्ट्र में सब्जी के रूप में इसकी खेती की जाती है | आईये जानते हैं टिंडे और परवल के कुछ औषधीय गुणों के बारे में – 

मंद, मधुर, मधुराम्ल, आम्ल, अत्याम्ल दही उष्णवीर्य, बलकारक, रुचिवर्धक, मलावरोधक है| यह पेट की जलन को दूर करता है| कफनाशक है, मूत्रल है, खांसी एवं विषम ज्वर में लाभकारी है| इसके साथ जीरा, सैंधा नमक एवं त्रिकुटे का चूर्ण मिलाकर खाने से अधिक उपयोगी होता है| इनका योग शरीर को दृढ बनाता है| अंगों में स्फूर्ति एवं कांति पैदा करता है|