HomePosts Tagged "एकादशी माहात्म्य" (Page 4)

द्वादशी के दिन ब्राह्मण को पहले भोजन कराना चाहिये| यदि ऐसा करने में असमर्थ हों, तो ब्राह्मण भोजन के निमित कच्चा सामान (सीधा) मन्दिर में या सुपात्र ब्राह्मण को थाली सजाकर देना चाहिए| हरिवासर में भी पारण करना निषेध है|

एकादशी को प्रातःकाल पवित्रता के लिये स्नान करें| फिर संकल्प विधि के अनुसार कार्य करें| दोपहर को संकल्पानुसार स्नान करने से पहले बदन पर मिट्टी का लेप करें और मन्त्र का यह भावार्थ पढ़ें –

भगवान् विष्णु की कृपा और पुण्य संचय करने के लिये ही व्रती एकादशी का व्रत करते हैं| व्रत और उपवास में अन्तर होता है| किसी भी व्रत में प्रचलित परम्परा के अनुसार सागार-फलाहार आदि लिये जा सकते हैं, परन्तु उपवास अधिकतर निराहार किया जाता है|

श्री सूतजी बोले-हे ऋषि-मुनियो! द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्री कृष्ण से कहा-हे सर्वेश्वर| एकादशी के व्रत की विधि, माहात्म्य एवं उनसे प्राप्त होने वाले पुण्यलाभ, मनवांछित फल आदि के बारे में सविस्तार बताने की कृपा करें|

प्राचीन काल में नैमिषारण्य उपवन में महर्षि श्री शौनक तथा अन्य ऋषियों ने भी सूतजी से आग्रह किया कि वे के सभी एकादशियों की उत्पत्ति और माहात्म्य सविस्तार बताने की कृपा करें|