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बराक ओबामा को एक नए सर्वेक्षण में अमेरिकी इतिहास का 12वां सबसे अच्छा राष्ट्रपति चुना गया है। ओबामा अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति रहे हैं। इस सर्वेक्षण में अब्राहम लिंकन को पहले, जार्ज वार्शिगटन को दूसरे तथा फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट को तीसरे स्थान पर रखा गया है। इस सर्वेक्षण में विभिन्न मुद्दों के आधार पर सबसे अच्छे राष्ट्रपतियों की सूची बनाई गई। इन मुद्दांे में नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता, नैतिक प्राधिकार, अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते और सबके लिए समान न्याय सुनिश्चित करने की कोशिश शामिल है। ओबामा ने खासकर सबसे अधिक समान न्याय की कोशिश वाले पैमाने पर उच्च अंक हासिल किए। हमें उम्मीद है कि अमेरिका के महान राष्ट्रपतियों की समान न्याय सुनिश्चित करने की कोशिशों को वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगे बढ़ायेंगे। विश्व के शक्तिशाली देश अमेरिका के नये राष्ट्रपति के रूप में दुनिया की एक न्यायपूर्ण तथा लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था बनाने में योगदान करेंगे।

1. एक बार एक व्यक्ति ने परमात्मा से प्रार्थना की- ‘परमात्मा! कृपया मुझसे वार्तालाप कीजिए।’ प्रार्थना करते समय पेड़ पर एक चिड़िया चहचहाने और गाने लगी, पर व्यक्ति ने उसे नहीं सुना। वह प्रार्थना करता रहा- ‘प्रभु! कृपया मुझसे वार्तालाप कीजिए।’ सहसा, बादल गरज उठे और आसमान में बिजली कौंध उठी, पर व्यक्ति ने उसे भी नजरअंदाज कर दिया। उस रात व्यक्ति फिर से प्रार्थना करने बैठ गया। वह कहने लगा- ‘प्रभु! कृपया मुझे अपने दर्शन दीजिए।’ आसमान में एक सितारा तेजी से चमकने लगा। तब भी व्यक्ति ने उसे नहीं देखा। व्यक्ति व्याकुल हो उठा और चिल्लाने लगा-‘प्रभु ! मुझे चमत्कार दिखाइए।’ उस रात उसके पड़ोसी के घर एक बालक का जन्म हुआ और उसने अपने जीवन की पहली चीख-पुकार की, पर व्यक्ति ने उस पर भी ध्यान नहीं दिया। अगले दिन व्यक्ति बाहर गया। चलते-चलते वह मूक रूप से प्रार्थना करने लगा- ‘प्रभु! मुझे स्पर्श कीजिए और मुझे यह बताइए कि आप मेरे संग हैं।’ सहसा एक तितली आदमी की बांह पर आ बैठी, पर व्यक्ति ने उसे हटा दिया। 

पाकिस्तान में सिंध प्रांत की मशहूर दरगाह लाल शाहबाज कलंदर को आत्मघाती हमले से दहल गई। हमले में 100 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। आतंकवाद का संरक्षण देने वाला पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित है। वहीं प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सूफी अल्पसंख्यक समुदाय पर हुए इस हमले की निंदा की है। पाकिस्तानी अखबार द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार लाल शाहबाज कलंदर जैसी सूफी दरगाह पर हमले से सब सकते में हैं। पवित्र दरगाह उस वक्त निशाना बनी, जब वहाँ भारी तादाद में बच्चे और औरतें भी मौजूद थे। यानी मकसद साफ था कि ज्यादा से ज्यादा जानें जाएं। वैसा ही हुआ भी। आतंकी हमलों की कड़ी में इस ताजा घटना ने कई सवाल उठाए हैं। सबसे बड़ा सवाल पाकिस्तानी खुफिया तंत्र की विफलता का है, जिसे इतनी बड़ी दरगाह के टारगेट होने की भनक तक नहीं हुई। घटना के बाद आतंकवादियों पर हुई ताबड़तोड़ कार्यवाही भी सवालों के घेरे में है कि आखिर जिन्हें निशाना बनाया गया, वे यदि निशाने पर थे, तो पहले ही कार्यवाही क्यों न हुई? जरूरत बहुत गहराई तक पड़ताल की है। 

असंभव के विरूद्ध चलने का नियम यह नहीं कि हम यह ठान लें कि एकाएक हम कोई बड़ा काम गुजरेंगे। आॅस्ट्रेलिया के निक वुजिसिक जन्म से ही उनके दोनों हाथ और पैर नहीं हैं। पैर की जगह निकली कुछ उगंलियों की मदद से उन्होंने लिखना सीखा। अकाउंटिंग व फाइनेंस में डिग्री ली और फिर एक कंपनी खोली- एटिट्यूड इज एटिट्यूड। आज वह एक सफल प्रेरक वक्ता है। वे तैराकी करते हैं, फुटबाल भी खेलते हैं। अगर हम किसी असंभव लक्ष्य पर जी-जान से जुटते हैं, तो उसे खोकर भी हम बहुत कुछ जीवन में सीखते हैं। मानव योनि में जन्म लेना ही जीवन का सबसे बड़ा प्रेम, आनंद तथा खुशी है। साथ ही इस मानव शरीर में इस क्षण सांस का चलना सबसे बड़ा आश्चर्य है। किसी समस्या का कारण हमारे अंदर ही होता है तथा उसका समाधान का कारण भी हमारे अंदर ही है। आवश्यकता केवल अपने अंदर की शक्ति को पहचाने की है। जीवन में आने वाली बाधायें सबसे बड़ी शिक्षक हैं। 

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल भर पहले जब पश्चिम एशिया का दौरा किया था। जिनपिंग ने अपनी इस यात्रा के पड़ावों में रियाद और तेहरान के अलावा काहिरा में अरब लीग की बैठक मंे भी वह शामिल हुए थे। चीन अभी तक अपने व्यापारिक हितों के जरिये ही अपनी विदेश नीति को शक्ल देता रहा है। अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक अखाड़े में उतरने के पीछे दरअसल उसकी आर्थिक मजबूरियां हैं। दलील यह दी गई कि चीन पश्चिम एशिया के तेल व गैस पर बड़े पैमाने पर निर्भर है और इनकी अबाध आपूर्ति के लिए इस क्षेत्र की स्थिरता जरूरी है। यह स्थिरता अब तक अमेरिका की निगरानी की वजह से कायम रही है, और अब चूंकि अमेरिका वहां ग्लोबल पुलिस वाले की भूमिका निभाने को इच्छुक नहीं है, तो चीन को शायद यह लगता है कि उसे अपने आर्थिक हितों के लिए अपनी राजनीतिक उदासीनता छोड़नी ही पड़ेगी। चीन ने कहा कि वह वैश्वीकरण के लक्ष्यों की रक्षा करेगा। वहीं अमेरिका के नये राष्ट्रपति ने साफ कर दिया कि उनका एजेण्डा वैश्वीकरण विरोधी और अमेरिका फस्र्ट का है। चीन ने अब तक किसी जटिल अंतर्राष्ट्रीय मसले को सुलझाने की इच्छा या क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है।

(1) जीवन के प्रत्येक पल को पूरे उत्साह के साथ जीना चाहिए:

लोक कल्याण की भावना से ओतप्रोत होकर सफल जीवन जीने के लिए प्रत्येक मनुष्य को ईश्वरीय ज्ञान रूपी शक्ति का प्रत्येक पल भरपूर सदुपयोग करना चाहिए। हम जैसा सोचते हैं हम अपने जीवन को वैसा ही बना भी लेते हैं। हमारा अवचेतन मन हमारी सोच या विचार को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वास्तव में हमारा उत्साह हमारी सबसे बड़ी शक्ति है तथा निराशा सबसे बड़ी कमजोरी है। इसलिए हमें जीवन के प्रत्येक पल को पूरे उत्साह के साथ जीना चाहिए। मनुष्य जीवन के महत्व के बारे में किसी ने सही ही कहा है कि – प्रभु कार्य करके पा लो प्रभु का प्यार कहीं लुट न जायें यह खजाना। कल किसने देखा है प्रभु कार्य इसी क्षण आज कर लो। प्रभु कार्य रस जीवन में भर लो। देखो प्रभु कार्य करने यह मौका नहीं आयेगा दुबारा। कहीं समय का पक्षी चुग न जाये दाना। कहीं लुट न जायें सांसों का खजाना। गुजरा हुआ समय फिर वापिस नहीं आता है। समय की गति को कोई रोक नहीं पायेगा। समय के साथ ही नहीं चलना वरन् समय को आगे बढ़कर बढ़ाना है।

हमें अपनी आत्मा का दीया जलाना है!

एक कमरे में अंधेरा था। जब उसमें एक व्यक्ति गया तो उसे यह पता ही नहीं था कि उस कमरे मंे क्या-2 रखा है। उस कमरे में कही कुर्सी रखी है तो कहीं मेज रखी है। तो वह टक्टर खाता हुआ, धक्का खाता हुआ, टो-टोकर चलता रहता है। लेकिन जैसे ही किसी ने उस कमरे में लाइट की स्वीच आॅन की उस व्यक्ति को कमरे में रखी हुई सभी चीजें दिखाई देने लगती है। इस प्रकार बल्ब के रूप में भौतिक दीया जो जलता है उससे हम यह प्रेरणा लेते हैं कि हमारा जो आत्मा का दीया है वो जले ताकि हमें दिखाई दे कि दुनिया है क्या? इसके लिए परमपिता परमात्मा समय-समय पर अपने दिव्य शिक्षकों को इस पृथ्वी पर अपना दिव्य ज्ञान देने के लिए भेजते रहते हैं।

(1) धार्मिक है लेकिन नहीं है नैतिक बहुत बड़ा आश्चर्य है?

धर्म के नाम पर हम रोजाना जो भी घण्टों पूजा-पाठ करते है वे भगवान को याद करने के लिए कम भगवान को भुलाने के ज्यादा होते हैं। धर्म के नाम पर सारे विश्व में एक-दूसरे का खून बहाया जा रहा है। मानव इतिहास में विश्व में धर्म के नाम पर ही सबसे ज्यादा लड़ाइयाँ तथा युद्ध हुए हैं। रामायण में लिखा है परहित सरिस धर्म नही भाई, परपीड़ा नहीं अधमाई। अर्थात दूसरों का भला करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है तथा दूसरों का बुरा करने से बड़ा कोई अधर्म नहीं है। पवित्र ग्रन्थों में जो लिखा है उसकी गहराई में जाकर उसे जानना तथा उसके अनुसार अपना कार्य-व्यवसाय करना भगवान की पूजा है। हम प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा के अनुसार चलनेे की जरा भी कोशिश नहीं करते हैं बस भगवान की आरती उतारते हैं। एक गीत की प्रेरणादायी पंक्तियां हैं – धीरे-धीरे मोड़ तू इस मन को इस मन को। जप-तप, तीर्थ, गंगा स्नान सब होते बेकार जब तक मन में भरे रहते विकार। जीत लिया मन फिर ईश्वर नहीं दूर, जान-बुझ कर इंसा क्यों मजबूर। निरन्तर अभ्यास से कुछ भी नहीं है असम्भव।

1. प्रभु के इस विश्वस्त सेवक का नाम है- दुःख:-

प्रभु जब किसी को अपना मानते हैं, उसे गहराइयों से प्यार करते हैं तो उसे अपना सबसे भरोसेमंद सेवक प्रदान करते हैं और उसे कहते हैं कि तुम हमेशा मेरे प्रिय के साथ रहो, उसका दामन कभी न छोड़ो। कहीं ऐसा न हो कि हमारा प्रिय भक्त अकेला रहकर संसार की चमक-दमक से भ्रमित हो जाए, ओछे आकर्षण की भूलभुलैयों में भटक जाए अथवा फिर सुख-भोगों की कँटीली झाड़ियों में अटक जाए। प्रभु के इस विश्वस्त सेवक का नाम है- दुःख। सचमुच वह ईश्वर के भक्त के साथ छाया की तरह लगा रहता है।’’

शिक्षा के लिए समर्पित लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व हेड डाॅ. जगमोहन सिंह वर्मा (72) की देह अब मेडिकल स्टूडंेट्स के काम आएगी। प्रो. जगमोहन सिंह का निधन 30 जनवरी 2017 को सुबह हो गया। पत्नी श्रीमती कुसुम लता सिंह ने बताया कि डाॅ. जगमोहन सिंह ने 31 अगस्त 2016 को देहदान के लिए पंजीकरण कराया था। उनकी आखिरी इच्छा थी कि जो शरीर जिंदगी भर घर परिवार और बच्चों को शिक्षित करने के काम आया, वो प्राण त्यागने के बाद मेडिकल छात्रों के काम आ सके, ताकि वे कुछ नया सीख सकें। डाॅ. जगमोहन सिंह के इस मानवीय जज्बे को लाखों सलाम। हमारा विचार है कि जीते जी रक्त दान। मरणोपरान्त नेत्र दान तथा देह दान का हमारा संकल्प होना चाहिए। किसी के काम जो आये उसे इंसान कहते हैं, पराया दर्द अपनाये उसे इंसान कहते हैं।