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हमारे पास इतनी बड़ी चीजें हैं कि उसका रूपये से कोई संबंध नहीं है!

हमारे पास इतनी बड़ी चीजें हैं कि उसका रूपये से कोई संबंध नहीं है!

हमारे पास इतनी कीमती चीजें हैं जिसके बारे में हमको ज्ञान नहीं है। हमारे पास क्या चीजें हैं – हमारे पास हमारा शरीर, हमारा चिन्तन, हमारा वक्त, हमारा श्रम, हमारा पसीना, हमारा आत्मविश्वास, हमारा स्वास्थ्य, हमारा साहस, हमारा ज्ञान-विज्ञान, हमारा हृदय, हमारा मस्तिष्क, हमारा अनुभव, हमारी भावनाएं-संवेदनाएं। हमारे पास ये इतनी बड़ी चीजें हैं कि उसका रूपये से कोई संबंध नहीं है। रूपया तो इसके सामने धूल के बराबर है, मिट्टी के बराबर है। रूपया किसी काम का नहीं है इसके आगे। हमारे पास ये अनमोल चीजें हैं इसे किसी महान उद्देश्य के लिए झोक दें। इस सृष्टि के पीछे छिपी भावना प्रत्येक जीव के कल्याण की है। इस ब्रह्माण्ड में पृथ्वी सहित सभी ग्रह-तारें, सूर्य-चन्द्रमा का आपस में आदान-प्रदान के सहारे ही अस्तित्व बना हुआ है। ब्रह्माण्ड की अब तक की खोज में मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है। मनुष्य के पास इन अनमोल चीजें के बलबुते अर्जित की गयी विभिन्न क्षेत्रों की कुछ ऐतहासिक उपलब्धियों के बारे में आइये जाने। 

‘खुश रहना ही जीवन का मूल-मंत्र है। जब तक आत्म संतुष्टि नहीं होगी, तब तक सब कुछ गलत और विपरीत लगेगा। अच्छे कर्म से खुशी मिलेगी और खुशी से आनंद आएगा। इसी आनंद से संतुष्टि मिलेगी।’ यह विचार कोयंबटूर से आए ईशा फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रवर्तक आध्यात्मिक सद्गुरू जी वासुदेव ने कहा है। वही इस्काॅन के संस्थापक श्री भक्ति वेदांत स्वामी महाराजजी बताते हंै कि जब मनुष्य जन्म लेता है तो बड़ा होते-होते उस पर पांच प्रकार के ऋण आ जाते हैं। उनमें से एक ऋण राजा का होता है। आज के जमाने से राज्य का स्वरूप बदल गया है और अब राजा नहीं होता, उसकी जगह हमारी ही चुनी हुई सरकार ने ले ली है, इसलिए राजा का यह ऋण हम सरकार को ही टैक्स देकर चुकाते हैं। इसके बदले में सरकार हमें विभिन्न प्रकार के साधन मुहैया करवाती है ताकि हम अपना जीवन सुचारू रूप से चला सकें। हमें इन साधनों का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए। ईमानदारी से नौकरी या व्यवसाय करना ही अपनी आत्मा का विकास का सबसे सरल तथा एकमात्र उपाय है। ऐसे कई महापुरूषों के उदाहरण हमारे सामने हैं जिन्होंने लोक कल्याण की भावना से अपनी नौकरी या व्यवसाय द्वारा अपनी आत्मा का विकास करके युगों-युगों तक अमर हो गये।

भारतीय मैनेजमेंट शिक्षा प्रणाली अब हुनर एवं कुशलता आधारित शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रही है, क्योंकि तेजी से बदलते इस आधुनिक युग में काॅरपोरेट्स को भी ऐसे ही कुशाग्र  बुद्धि वाले हुनरमंद उम्मीदवारों की आवश्यकता है। आपने हाॅलिवुड की मूवी आयरनमैन तो देखी होगी जिसमें जारविस नाम का सुपर कंप्यूटर एक इशारे पर हीरो की हर बात समझ कर उसे पूरा कर देता है। इससे प्रेरणा लेकर फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने भी अपने घर के लिए जारविस को डिजाइन कर लिया है। जकरबर्ग ने यह सिस्टम अपने बिजी शेडयूल से समय निकालकर खुद डिजाइन किया है। वह जारविस को इतना स्मार्ट बनाना चाहते हंै कि वह उनके लिए खाना भी बना सकें। इतना ही नहीं जकरबर्ग इस साॅफ्टवेयर को दुनियाभर के लोगों के लिए मुफ््त में उपलब्ध कराने के बारे में भी सोच रहे हैं।

लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे कहते हैं, ‘आप दूसरों पर विश्वास कर सकते हैं, यह जानने का एक ही तरीका है कि उन पर विश्वास करें। स्टीव जाॅब्स ने कहा है, ‘काम जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा है। संतुष्ट होने का एक ही तरीका है कि वह करें, जिसे अच्छा मानते हैं। अच्छा तभी होगा कि जो कर रहे हैं, उससे प्यार करें। अगर अभी अपनी पसंद का काम नहीं मिला है तो उसे ढूंढ़ते रहें, समझौता न करें।’ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाॅब डिलन कहते हैं, ‘पैसा क्या है? वही सफल है, जो सुबह उठता है और रात को बिस्तर पर जाता है और इस बीच वही करता है, जो करना चाहता है।’

एक संकलन के अनुसार एक बार इंग्लैंड की राॅयल अकादमी के हाॅल को उत्कृष्ट चित्रों से सजाने की योजना बनाई गई। इसके लिए देश-विदेश के बेहतरीन चित्रकारों से श्रेष्ठतम चित्र भेजने को कहा गया। कुछ ही दिनों में राॅयल अकादमी के पास चित्रों का ढेर लग गया। अकादमी की विशेषज्ञ समिति संुदर चित्रों को चुनने लगी। चुनने के बाद उन्हें हाॅल में सजाया गया तो सारा हाॅल चित्रों से भर गया। लेकिन अभी भी चुने गए चित्रों में से एक चित्र बच गया। वह चित्र बेहद खूबसूरत था और उसे एक युवा चित्रकार ने बनाया था। यह देखकर समिति के एक सदस्य ने कहा, चित्र तो वाकई बहुत सुन्दर है, मगर दुःख है कि हाल पूरा भर गया है और अब इसे कहीं भी नहीं लगाया जा सकता। इसलिए इसे ससम्मान चित्रकार के पास वापस भेज दिया जाना चाहिए। यह सुनकर सारी विशेषज्ञ समिति ने सहमति में सिर हिलाया।

इंग्लैण्ड के सुप्रसिद्ध चित्रकार टर्नर भी उस विशेषज्ञ समिति के सदस्य थे। उन्होंने कहा, इतने खूबसूरत चित्र को वापस भेजना उचित नहीं है। इस पर दूसरा सदस्य बोला, किन्तु अब इसे लगाने के लिए कहीं कोई भी स्थान नहीं बचा है। टर्नर बोले, अभी भी एक स्थान ऐसा बचा हुआ है जहां पर यह चित्र लगाया जा सकता है। टर्नर उठे और उन्होंने अपना चित्र उतार कर उसकी जगह उस युवा चित्रकार का चित्र लगा दिया। टर्नर बोले, युवा चित्रकार को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, क्योंकि इससे दुनिया को एक महान कलाकार मिलने की राह खुलती है। युवा चित्रकार को जब इस बात का पता चला तो वह महान चित्रकार टर्नर के प्रति हृदय से नतमस्तक हो गया।

अपने मस्तिष्क की कीमत समझने वाले प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री स्टीफन हाॅकिन्स ने कहा कि हमारी धरती के लिए यह बहुत खतरनाक समय है। हमारे पास धरती को नष्ट करने की तकनीक तो मौजूद है, पर हम वह नहीं तलाश पाए, जो इसे बचा सके। संभव है, कुछ सौ वर्षों में हम नक्षत्रों के आसपास भी अपनी काॅलोनी बना और बसा ले जाएं, मगर फिलहाल हमारे पास एक ग्रह पृथ्वी है और सबसे बड़ी जरूरत इसे बचाने के लिए मिलकर काम करने की है। ऐसा करने के लिए हमें तमाम देशों के अंदर और बाहर की सभी बाधाएं तोड़नी पड़ेगी। ऐसे समय में, जब सिर्फ नौकरी ही नहीं, उद्योगों की संभावनाएं भी क्षीण हो रही हों, हमारी जिम्मेदारी है कि लोगों एक नए विश्व के लिए तैयार करें। लेकिन जरूरी होगा कि विश्व के सभी विद्वान अतीत से सबक लें। हम मानवता के विकास के सबसे बुरे दौर में है। हर हाथ में फोन तो है, भले पानी न हो। इसी चमक को देख हमारे ग्रामीण गरीब बड़ी-बड़ी उम्मीदें लेकर झुंड के झुंड शहरों और कस्बों की ओर पलायन कर रहे हैं और हर दिन एक नए मायाजाल में उलझते चले जा रहे हैं। महान वैज्ञानिक के भविष्य के गर्भ में झांककर निकाले गये इन संकेतों को गम्भीरता से लेना चाहिए। हमें जागरूक होकर मानव जाति के सुरक्षित भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए।

अपने मस्तिष्क की कीमत समझने वाले इसरो के महान भारतीय वैज्ञानिकों ने नवीनतम रिमोट संेसिग सैटलाइट रिसोर्ससैट-2ए को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी36 की मदद से लाॅन्च किया गया था। यह रिसोर्ससैट-1 और 2 की कड़ी की उपग्रह है। कुल 12.35 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारत की वन संपदा और जल संसाधनों के बारे में जानकारी देगा। इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि देश के किन इलाकों में कौन से मिनरल है। प्रकृति में इंसान की आवश्यकता के लिए भरपूर तत्व हैं। कुदरत की इस देन पर पृथ्वी में पलने वाले प्रत्येक जीव का अधिकार है। मानव जाति की अपना हक जताने की प्रवृत्ति पर रोक लगना चाहिए। अति भौतिकता की प्रवृत्ति शक्तिशाली देशों के बीच बाजारवाद की होड़ शुरू कर देती है। यह वसुधा एक कुटम्ब के समान है उसे बड़ा बाजार नहीं समझने में मनुष्यता का भाव निहित है।

जीवन में भावनाएं-संवदेनाओं का महत्व समझने वाले विख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान का कहना है कि अपने दोनों बेटों अमान और अयान को यह कहने की जरूरत नहीं पड़ती है कि रियाज करो। किसी भी कार्यक्रम से पहले वे अपने-अपने कमरे में सरोद लेकर खुद ही रियाज करते दिखाई देते हैं। उन्हें भी यह अच्छी तरह से समझ आता है कि कलाकार बड़े जतन से बनते हैं। किसी भी क्षेत्र मंे अपने हुनर को निखारने के लिए पूरा ध्यान देना पड़ता है। अभ्यास के द्वारा बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती। उस्ताद अमजद अली खान तथा उनके दोनों बेटों ने भारत का गौरव सारे विश्व में बढ़ाया है। खान परिवार के अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन देने के जज्बे को लाखों सलाम।

लोगों के जीवन का महत्व समझने वाले कैलिफोर्निया के महान वैज्ञानिकों को हाल में हुई जेनेटिक्स की एक रिसर्च से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को पीछे लौटाने में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इक्कीसवी सदी को जीवविज्ञान की सदी काफी पहले घोषित किया जा चुका है, लेकिन आम दायरे की मेडिकल साइंस में अभी तक इसकी कोई धमक नहीं सुनाई पड़ी है। जेनेटिक्स का इस्तेमाल अब कुछेक असाध्य मामलों में ट्रांसप्लांटेशन के लिए मानव अंगों के निर्माण में किया जाने लगा है। रीढ़ की चोट से पूरी तरह अपंग हो चुके लोगों को इस प्रक्रिया में एक हद तक स्वस्थ किया जा सका है। लेकिन इंसान की उम्र बढ़ाने या उसकी जिंदगी की क्वालिटी दुरूस्त करने में जेनेटिक्स को कुछ खास कामयाबी नहीं मिल सकी है। अलबत्ता कैलिफोर्निया में हाल में हुई एक रिसर्च से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया (एजिंग) को पीछे लौटाने में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।

आत्मविश्वास से लबालब भरे स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने क्लब फुटबाॅल और इंटरनेशनल फुटबाॅल में 500 गोल का आंकड़ा पार कर लिया है। इस आंकड़े के साथ ही रोनाल्डो विशेष क्लब में जगह पाने में कामयाब हो गए हैं। चैंपियंस लीग में रियाल का मुकाबला स्वीडन की क्लब टीम माल्मो से था। क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने मुकाबले के पहले ही हाफ में गोल कर 500 गोल पूरे कर लिए। वहीं, दूसरे हाफ में भी गोल किया और अपने गोल की संख्या 501 पहंुचा दी। रोनाल्डो विश्व के एक अच्छे खिलाड़ी ही नहीं वरन् एक अच्छे इंसान भी हैं। स्पेनिश फुटबाॅल क्लब रियाल मैड्रिड के फाॅरवर्ड क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने अर्जेंटीना के सुपरस्टार खिलाड़ी लियोनेल मेसी को एक साल के बाद फिर पछाड़ दिया है। पुर्तगाल टीम के कप्तान ने चैथी बार वर्ष के सर्वश्रेष्ठ फुटबाॅलर का बैलन डि आॅर पुरस्कार अपने नाम कर लिया। छह साल के मुर्तजा अहमदी का अपने आदर्श लियोनेल मेसी से मिलने का सपना आखिर पूरा हो गया। रोनान्डो ने 2008, 2013 और 2014 में यह पुरस्कार जीता था। मेसी अपने कैरियर में पांच बार यह अवार्ड जीतने में सफल हुए हैं।

अपनी लोकसेवा की उच्च भावना से प्रेरित होकर अमेरिका में पहली बार भारतीय मूल की एक अमेरिकी महिला सवित्रा वैद्यनाथन को कैलिफाॅर्निया के कूपरटिनो शहर की नई मेयर निर्वाचित किया गया है। कूपरटिनो शहर ऐपल कंपनी के मुख्यालय की वजह से जाना जाता है। भारतीयों उदार स्वभाव उसे किसी देश की संस्कृति में घुल-मिलकर रहने के लिए प्रेरित करता है। हमारे जीन्स में वसुधा को कुटुम्ब मनाने का विचार समाया है। भारतीय मूल के लोगों की सारे विश्व में लोकप्रियता बढ़ रही है। भारत ही एक दिन विश्व में शान्ति तथा एकता स्थापित करेगा। बालिका विनफ्री बचपन से ही पढ़ने में अत्यंत तेज थी, लेकिन उसका जीवन दुख भरा था। उसके माता-पिता साथ नहीं रहते थे। विनफ्री अपनी मां के साथ रहती थी। मां के नौकर उसे बहुत परेशान करते थे। डर के कारण वह नौकरों के बारे में किसी को बता नहीं पाती थी। अपने हालात से तंग आकर एक दिन विनफ्री मां के घर से निकल कर पिता के पास आ गई। यहां विनफ्री को अनुकूल माहौल मिला और जैसे-जैसे बड़ी होती गई उसकी प्रतिभा भी निखरती गई। विनफ्री की वाक् प्रतिभा को देखकर सीबीएस टेलिविजन स्टेशन ने उन्हें शाम के समाचार पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। इस पद पर काम करने वाली वह नैशविले की पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला थीं। विनफ्री के जीवन में आगे ही आगे सदैव बढ़ने का कमाल का जज्बा है।

अमेरिका के टेक्सास की सिमोन बाइल्स को उसकी सौतेली नानी ने हालात से निपटने की हिम्मत दी। मां को नशे की लत थी। पापा भी घर छोड़कर चले गए। सिमोन ने बताया कि वह छह साल की उम्र में अपने माता-पिता तथा भाई-बहनों से अलग हो गई थी। नाना-नानी ने उसे गोद लेकर पाला-पोसा। सिमोन बताती है, नानी ने उसे जिमनास्ट बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उसे कभी हताश नहीं होने दिया। वह सिमोन की मां भी है और नानी भी। पिछले कुछ साल में सिमोन जिमनारस्टों की दुनिया में नई सनसनी बनकर उभरी हैं। नाटे कद वाली इस अश्वेत लड़की को देखकर दुनिया हैरान रह गई। यह गोल्डन गर्ल के नाम से जानी जाती है। सिमोन के साहसिक जज्बे को लाखों सलाम।

मानव जाति की उपरोक्त विभिन्न क्षेत्रों की ऐतिहासिक उपलब्धियों को पढ़कर यह विश्वास होता है कि मनुष्य यदि संकल्प कर लें तो क्या नहीं जीवन में अर्जित कर सकता है। विचार के नियमों को गहराई से समझकर मनुष्य 100 प्रतिशत अपनी प्रतिभा का सर्वोच्च कार्य समाज को देकर उसे लाभान्वित कर सकता है। तेज ज्ञान फाउण्डेशन, पुणे के सरश्री का कहना है कि यदि प्राचीन काल के ऋषि-मुनियों, वैज्ञानिकों, विचारकों, मनोवैज्ञानिकों के चिन्तन से निकले मानवीय विचारों को आधुनिक प्रक्रियाओं के साथ जोड़ कर विश्व को खोयी हुई समझ प्रदान कर दी जाए तो विश्व में प्रेम, शांति व आनंद से जड़ से ही विकारों के अंत की शुरूआत शत-प्रतिशत सम्भव है। वर्तमान तो परिवर्तित होगा ही भविष्य भी बदल जाएगा। यह आवश्यकता पूर्ण होगी अपनी खुद की पहचान से। यानि मैं कौन हूं? इसके साथ जुड़ी समझ से। तीन क्षेत्रों को तराशना यानि खोज करना है। यही तराशना यदि व्यक्ति खुद को तराशने से जुड़ गया तो सभी सवालों का जवाब एक साथ मिल गया यानि पहली उसके जीवन की खोज की पूर्ति हो गयी। दूसरी पूर्ति यानि मैं पृथ्वी पर क्यों हूं? स्पष्ट हो जायेगा। तीसरा जवाब पृथ्वी लक्ष्य पूर्ण होगा।

प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719