Homeहिन्दू व्रत, विधि व कथा

हिन्दू व्रत, विधि व कथा (30)

यह व्रत आश्विन मास के शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है| इस व्रत में अशोक वृक्ष की पूजा की जाती है| 

यह व्रत कार्तिक लगते ही अष्टमी को किया जाता है| जिस वार की दीपावली होती है अहोई आठें भी उसी वार की पड़ती है| इस व्रत को वे स्त्रियाँ ही करती हैं जिनके सन्तान होती हैं|

यह व्रत प्रायः कार्तिक बदी अष्टमी को उसी वार को किया जाता है| जिस वार की दीपावली होती है| इस दिन स्त्रियों की आरोग्यता और दीर्घायु प्राप्ति के लिए अहोई माता का चित्र दिवार पर माँड कर पूजन किया जाता है|

यह व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी से प्रारम्भ होकर आठ दिन तक चलता है|

यह व्रत भाद्रपद पूर्णिमा को किया जाता है|

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है|यह स्त्रियों का मुख्य त्यौहार है| सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं|

यह व्रत आषाढ़ मास की पूर्णिमा को रखा जाता है|

यह चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है| इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियाँ व्रत रखती हैं| कहावत है कि इस दिन पार्वती जी ने भगवान शंकर से सोभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त किया था, तथा पार्वती जी ने अन्य स्त्रियों को सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया था|

यह व्रत भाद्रपद माह में किया जाता है| यदि किसी के पुत्र पैदा हुआ हो या पुत्र का विवाह हुआ हो तो उसी वर्ष भाद्रपद माह में किसी शुभ दिन को देखकर गाज का व्रत कर उजमन करना चाहिए|

यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता है|
इस दिन गौ की पूजा करने का विधान है| साथ में भगवान लक्ष्मीनारायण जी की भी पूजा करनी चाहिए| 

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित पुत्रिका के रूप में मनाते हैं| इस व्रत को करने से पुत्र शोक नहीं होता| इस व्रत का स्त्री समाज में बहुत ही महत्व है| इस व्रत में सूर्य नारायण की पूजा की जाती है|

चैत्र नवरात्री मे अष्टमी का सर्वाधिक महत्व है| इसी दिन काली, महाकाली, भद्रकाली, दक्षिणकाली तथा बिजासन माता का पूजन किया जाता है| वास्तव मे इन्हे कुल की देवी माना जाता है|

जेसे की पहले भी लिखा गया की नवरात्रि पर्व माँ दुर्गा और शारदा माँ, महालक्ष्मी माता जी की श्रदा मे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है|

नवरात्रि एक ख़ास हिन्दू पर्व है जिसे न केवल भारत वर्ष अपितु अन्य देशों मे भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है| नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें|

प्रदोष का अर्थ है रात्रि का शुभ आरम्भ|इस व्रत के पूजन का विधान इसी समय होता है| इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहते हैं| यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता हैं| इसका उदेशय संतान की कामना है|इस व्रत को स्त्री पुरुष दोनों ही कर सकते हैं| इस व्रत के उपास्य देव भगवान शंकर हैं|

ग्रह शांति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए|

इस दिन ब्रह्स्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है|

यह व्रत पोश माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है|

श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आएँ, उनमें रखे गये व्रत गौरी व्रत कहलाते हैं| यह व्रत मंगलवार को रखे जाने के करण मंगला गौरी व्रत कहलाते हैं| "मंगल गौरी का पूजन और व्रत" सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Audio Mangal Gori Ka Poojan Aur Vrat Your browser does not support the audio element. विधि: प्रातः नहा-धोकर एक चौकी पर लाल कपडा बिछाना चाहिए| सफेद कपड़े पर चावल से नौ ग्रह बनाते हैं तथा लाल कपड़े

सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का वर्त उतम है|

यह व्रत राधा अष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी) से प्रारम्भ होकर आशिवन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलता है| इस दिन लक्ष्मी जी की पूजन का विधान है|

सर्व मनोकामनाओ की पूर्ति हेतु रविवार का वर्त श्रेस्ठ है|

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष को अष्टमी को कृष्ण प्रिया राधा जी का जन्म हुआ था| इसलिए यह दिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है| 

वट सावित्री व्रत ज्येष्ट मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सम्पन्न किया जाता है| यह स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है| इस दिन सत्यवान, सावित्री तथा यमराज की पूजा की जाती है| सावित्री ने इसी व्रत के प्रभाव से अपने मृतक पति सत्यवान को धर्मराज से छुड़ाया था|

इस दिन शनि की पूजा होती है|

श्रावण मास के समस्त सोमवारों को यह व्रत रखा जाता है| इस व्रत में शिव जी, पार्वती जी, गणेश जी तथा नन्दी की पूजा की जाती है| 

इस व्रत को करने वाला कथा कहते व सुनते समय हाथ मे गुड व भुने चने रखें|

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है|

सोमवार का व्रत साधारणतय दिन के तीसरे पहर तक होता है|