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मिरगी के 12 घरेलु उपचार – 12 Homemade Remedies for Epilepsy

यह बड़ा विचित्र रोग है| इसे अपस्मार भी कहते हैं| इसमें व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है, जैसे वह अचानक अंधेरे में गिर रहा हो या उससे घिर गया हो| यह रोग सामान्यत: मस्तिष्क की कमजोरी से होता है| विशेषज्ञों का कहना है कि मिरगी अधिक टी.वी. देखने से उत्पन्न होता है| ऐसे रोगी को किसी योग्य मनोचिकित्सक को दिखाना और उसकी सलाह लेना लाभकारी हो सकता है|

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मिरगी के 12 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. राई

जिस समय रोगी को बेहोशी आने लगे, उस समय 10 ग्राम राई पीसकर उसे बार-बार सुंघाएं| इससे रोगी की बेहोशी टूट जाएगी|


2. पानी, नीबू और खीरा

मिरगी का दौरा बैठे-बैठे पड़े तो उसे आराम से लिटाकर मुंह पर ठंडे पानी का छींटा मारें| होश आने पर नीबू के रस में जरा-सा खीरे का रस मिलाकर घूंट-घूंट पिलाएं|


3. शरीफा

बेहोशी तोड़ने के लिए शरीफे के पत्तों को पीसकर उनका रस रोगी के नथुनों में डालें|


4. शहतूत, सेब और आंवला

शहतूत का रस, सेब तथा आंवले का मुरब्बा मिरगी के रोगियों के लिए काफी लाभदायक है| ये सब पदार्थ भोजन के बाद उचित मात्रा में लेना चाहिए|


5. आक, बकरी का दूध

आक के पौधे की जड़ पीस लें| फिर उसे बकरी के दूध में मिलाकर रोगी को चार-पांच बार सुंघाएं| उसे होश आ जाएगा|


6. पीपल

रोगी के पैरों में सुबह-शाम पीपल के पत्तों का रस मलना चाहिए|


7. तुलसी और कपूर

तुलसी की चार-पांच पत्तियों में चार रत्ती कपूर मिलाकर चटनी बना लें| इस चटनी को सुंघाने से रोगी को होश आ जाता है|


8. तुलसी, नीबू और सेंधा नमक

तुलसी के पत्तों के रस में नीबू तथा सेंधा नमक मिलाकर रोगी की नाक में डालें| रोगी को कुछ ही देर में होश आ जाएगा|


9. दूध और मेहंदी

एक गिलास दूध में चार चम्मच मेहंदी का रस मिलाकर रोगी को पिलाएं| मिरगी के रोगियों के लिए यह रामबाण नुस्खा है|


10. लहसुन

लहसुन की चार-पांच कलियों को कुचलकर सुंघाने से भी रोगी उठकर बैठ जाता है|


11. प्याज और जीरा

रोगी को दो चम्मच प्याज का रस पिलाकर ऊपर से आधा चम्मच भुने हुए जीरे का चूर्ण दें| कुछ दिनों तक लगातार नियमित रूप से यह नुस्खा देने पर मिरगी का रोग सदैव के लिए चला जाता है|


12. आक और नारियल

आक के दूध को नारियल के तेल में मिलाकर पैर के तलवों, हथेलियों तथा बांहों पर मलने से मिरगी का पक्ष घट जाता है| दौरा पड़ने के बाद भी रोगी को थोड़ा-बहुत होश रहता है|

 

मिरगी में क्या खाएं क्या नहीं

मिरगी के दौरे पड़ने वाले व्यक्ति को पौष्टिक परन्तु सादा भोजन खिलाना चाहिए| गरम मसालों से युक्त भोजन कभी न दें| भोजन के बाद उसको घर के आंगन या बाहर गली में टहलने के लिए कहें| उसे अकेले बाजार, कार्यालय, स्नानघर या नदी पर कभी न भेजें| बाहर जाते समय एक आदमी उसके साथ अवश्य रहे| रोगी को हल्के व्यायाम अपने सामने कराएं| यदि उसे शीर्षासन की जानकारी है तो 15 सेकंड से बढ़ाते हुए 2 मिनट तक सिर के बल खड़े होने की व्यवस्था करें|

चिन्ता, शोक, भय, क्रोध आदि मनोभावों से उसे दूर रखें| वह अधिक शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम भी न करे| शराब, मांस, मछली, स्त्री-प्रसंग आदि से भी दूर रखें|

ऐसे व्यक्ति को निश्चिन्त जीवन बिताने का निर्देश दें ताकि उसे पूरी नींद आए| उसे संतोष, धैर्य, आशा एवं प्रसन्नता आदि से सम्बंधित कहानियां तथा प्रसंग सुनाते रहें ताकि वह इन भावों को ग्रहण कर शान्तचित्त रह सके| उसे साइकिल, स्कूटर, कार, घोड़ा, तांगा, आदि पर अकेले बैठकर कभी भी जाने की आज्ञा न दें| उसके साथ अच्छा व्यवहार करें|

मिरगी का कारण

यह रोग उन लोगों को होता है जो चिन्ता, शोक, भय, क्रोध, ईर्ष्या-द्वेष आदि मनोविकारों से ग्रस्त रहते हैं| मन के ये नकारात्मक भाव श्वसन-संस्थान, खून के संचरण, पाचन संस्थान तथा मल-मूत्र संस्थानों पर उलटा प्रभाव डालते हैं| इससे इन संस्थानों में तरह-तरह के विकार उत्पन्न हो जाते हैं| ये विकार मानसिक शक्ति को क्षीण करना शुरू कर देते हैं| इसके अलावा अधिक मात्रा में वीर्य नष्ट करने, अधिक शराब पीने, अत्यधिक मानसिक व शारीरिक मेहनत करने, मौसम सम्बंधी खराबी के कारण, आंव, कृमि रोग तथा चोट के कारण व्यक्ति को मिरगी के दौरे आना शुरू हो जाते हैं| बार-बार दौरे पड़ने से व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो जाता है|

मिरगी की पहचान

मिरगी का दौरा अचानक पड़ता है, अत: व्यक्ति नीचे गिरते ही आँखें फाड़ देता है और बेहोश हो जाता है| बेहोश होने से पहले उसे यह पता नहीं चलता कि दौरा पड़ने वाला है| वह बातें करते-करते, रास्ते में चलते-चलते बोलते-बतियाते एकाएक बेहोश होकर गिर पड़ता है| उसका शरीर अकड़ने लगता है और गरदन टेढ़ी हो जाती है| आंखें फट जाती हैं| पलकों में एक जगह रुकावट आ जाती है| मुंह से झाग आने लगते हैं और रोगी हाथ-पैर पटकने लगता है| उसके दांत आपस में जकड़ जाते हैं| कभी-कभी तो जीभ दातों के बीच में आ जाती है| कुछ रोगियों का मल-मूत्र तक उतर जाता है| रोगी को सांस लेने में बहुत कष्ट होता है| उसके हृदय की धड़कन बढ़ जाती है| सारा शरीर पसीने से भीग जाता है| वह काम-धाम करने में असमर्थ बढ़ जाती है| सारा शरीर पसीने से भीग जाता है| वह काम-धाम करने में असमर्थ हो जाता है| इस प्रकार मिरगी के रोगी के लक्षण शारीरिक क्षमता के अनुसार अलग-अलग होते हैं|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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